अतुल्य भारत हमारा,
विभिन्न संस्कृति,धर्मो,रंगों का मेल यहाँ पर,
त्याग का सागर यहाँ पर,बलिदान का छलकत गागर यहाँ पर,
शेरों की ललकार यहाँ पर,नम्रता की बौछार यहाँ पर,
बहुत पुराना है भारत का इतिहास, वेद,पुराण,उपनिषद, विभिन्न ऋषि -मुनियों का यहाँ वास।
वीरों की जन्मभूमि है ये,ऐसी ही एक भूमि मे से एक है भारतीयों वीरों की जन्मभूमि राजस्थान |
यहां की संस्कृति दुनिया भर में मशहूर है। राजस्थान की संस्कृति विभिन्न समुदायों और शासकों का योगदान है। आज भी जब कभी राजस्थान का नाम लिया जाए तो हमारी आखों के आगे थार रेगिस्तान, ऊंट की सवारी, घूमर और कालबेलिया नृत्य और रंग-बिरंगे पारंपरिक परिधान आते हैं।अपने सभ्य स्वभाव और शालीन मेहमाननवाज़ी के लिए जाना जाता है ये राज्य। चाहे स्वदेशी हो या विदेशी, यहां की संस्कृति तो किसी का भी मन चुटकियों में मोह लेगी |
राजस्थान मे मेरी यात्रा :-
तब किताबो के बीच भी हम मुस्कुराया करते थे जनाब,
अब बस वह यादो का एक बड़ा सा कारवां बन गया है |
तो बात है उन दिनों की जब हम पढ़ा करते थे क्लास 11th मे |
बचपन मे भूगोल की किसी बुक मै पढ़ा था मैंने की थार रेगिस्तान को भारत का सबसे गर्म जगह माना जाता है,तथा झीलों के शाही शहर उदयपुर के बारे मे सुना था मैंने,
जो राजस्थान मै स्तिथ है । तब से ही मेरी झीलों के शहर उदयपुर घूमने की इक्छा थी। । फरवरी का महीना था ,और हम जिज्ञासा से भरपूर थे, झीलों के शहर उदयपुर की खूबसूरती देखने के लिए,
हम दिल्ली से, राजस्थान के शहर नाथद्वारा के लिए सुबह के 6 बजे ,कड़ाके की ठण्ड मे रवाना हुए और 15 घंटे की लम्बे सफर के बाद नाथद्वारा के होटल मे विश्राम किया। और सुबह-सुबह भगवान श्रीकृष्णा के दर्शन करने पहुंच, श्रीनाथजी मंदिर ( नाथद्वारा, राजस्थान)।। और हम परिचित हुए राजस्थान की संस्कृति से। तो चलो आपको बताते हैं हमने यहां कौन-कौन से पर्यटन और आकर्षण स्थल के दर्शन किए और उस जगह के वीर राजाओ से क्या संबंध था।
श्रीनाथजी मंदिर ( नाथद्वारा, राजस्थान) :-
सुबह-सुबह हम हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे करते हुए होटल से श्रीनाथजी मंदिर पहुंचे भगवन के दर्शन करने के लिए। और सुबह-सुबह स्वादिष्ट रेवड़ी और ढोकला का आनद उठाया।
श्रीनाथ जी मंदिर के रहस्य के बारे मे कहा जाता है की, श्रीनाथजी श्रीकृष्ण भगवान के 7 वर्ष की अवस्था के रूप हैं। श्रीनाथजी हिंदू भगवान कृष्ण का एक रूप हैं, जो सात साल के बच्चे (बालक) के रूप में प्रकट होते हैं
श्रीनाथजी की लोकप्रियता के कारण, नाथद्वारा शहर को 'श्रीनाथजी' के नाम से जाना जाता हैलोग इसे बावा की (श्रीनाथजी बावा) नगरी भी कहते हैं
श्रीनाथ जी मंदिर के रहस्य के बारे मे कहा जाता है कीश्रीनाथजी को आगरा और ग्वालियर के माध्यम से राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र में लाया गया था ताकि औरंगजेब के दमनकारी शासनकाल के दौरान हो रहे हिंदू मंदिरों के व्यापक विनाश से सुरक्षा की जा सके |
‘ठाकुर जी की हवेली’! जी हाँ, नाथद्वारा मंदिर को भक्तगण इसी नाम से पुकारते हैं। यह मंदिर भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार के श्रीनाथजी स्वरुप को समर्पित है। नाथद्वारा एक प्रकार से ब्रज भूमि का इस नगरी में अवतरण है। जी हाँ, कृष्ण एवं कृष्णलीला की भूमि, ब्रज भूमि का छोटा प्रतिरूप है नाथद्वारा।
फतेहसागर झील ( उदयपुर, राजस्थान ) :-
सुबह 10 ट्रिप के दूसरे दिन होटल से चेकआउट करने के बाद , हम झीलों के शहर उदयपुर के लिए नाथद्वारा से रवाना हुए | नाथद्वारा से उदयपुर 46 की दुरी पर स्थित है । इसलिए हम 1 घंटे मे पहुंच गए और हमने फतेहसागर लेक मे बोटिंग का आनदं उठाया |
फतेहसागर झील रमणीय पहाड़ियों और वुडलैंड्स, द्वारा बोर्ड़ेरेद झील, पिछोला झील के उत्तर में निर्मित है। इस कृत्रिम झील पिछोला झील से एक नहर द्वारा जुड़ा हुआ है। झील पर सुंदर नेहरू द्वीप के रूप में अच्छी तरह से एक छोटा सा टाप जिस पर उदयपुर सौर वेधशाला खड़ा है यह कनॉट के ड्यूक द्वारा उद्घाटन किया गया था |
सहेलियों की बारी ( उदयपुर, राजस्थान ) :-
फतेहसागर लेक मे बोटिंग करने के बाद हमारी बस दूसरे दर्शनीय स्थल "सहेलियों की बारी "के लिए रवाना हुई| सहेलियों की बारी भारतीय लोगो के बीच बहुत ही आकृषक केंद्र है।सहेलियों की बाड़ी भारतीय राज्य राजस्थान के उदयपुर ज़िले का प्रमुख और एक लोकप्रिय उद्यान तथा दर्शनीय स्थल है।
इसका निर्माण राणा महाराणा संग्राम सिंह ने करवाया था। उद्यान के पास एक संग्रहालय भी है।सहेलियों की बाड़ी एक अड़तालीस जवान महिलाओं का समूह था जिसे उदयपुर की राजकुमारी के दहेज़ के तौर पर दिया गया था।
इसलिए उनके लिए इस उद्यान का निर्माण करवाया था। उद्यान में बहुत ही सुन्दर कमल के ताल एवं फूल है साथ ही संगमरमर के मंडप और हाथी के आकार के फव्वारे है जो कि अभूतपूर्व लगते हैं | यह उद्यान फतेहसागर झील के निकट स्थित है जिसका निर्माण राजकीय महिलाओं के लिए महाराणा संग्राम सिंह ने करवाया था।
लेकिन कुछ प्रमाणों के अनुसार इस उद्यान की संरचना खुद महाराणा सांगा ने तैयार की थी और फिर अपनी महारानी को दिया था। सहेलियों की बारी घूमने के बाद हम बस से अपने उदयपुर के होटल रवाना हुई। शाम के 6 रहे थे और संध्या का समय हो गया था। हम थक चुके थे। हम 6 :30 पर होटल पहुंच कर विश्राम किया और 8 बजे एक साथ रात्रि का भोजन किया।
महाराणा प्रताप म्यूजियम - ( हल्दीघाटी, उदयपुर, राजस्थान ) :-
आज राजस्थान मे हमारा 2 दिन था। और हम सुबह-सुबह उठे होटल की छत से सुबह का प्रकितिक नजारा बहुत सूंदर था। हम सुबह सुबह नहा कर रेडी हुई और एक साथ सुबह का ब्रेकफास्ट किया। और 10 बजे बस से "महाराणा प्रताप म्यूजियम - ( हल्दीघाटी, उदयपुर, राजस्थान )" कर लिए रवाना हुई। हम गौरवशाली महाराणा प्रताप के बारे मे जानने के लिए उत्सुक थे।
महाराणा प्रताप ने कई वर्षों तक मुगलों के सम्राट अकबर की सेना के साथ संघर्ष किया। मेवाड़ की धरती को मुगलों के आतंक से बचाने के लिए महाराणा प्रताप ने वीरता और शौर्य का परिचय दिया। प्रताप की वीरता ऐसी थी कि उनके दुश्मन भी उनके युद्ध-कौशल के कायल थे। उदारता ऐसी कि दूसरों की पकड़ी गई मुगल बेगमों को सम्मानपूर्वक उनके पास वापस भेज दिया था।
इस योद्धा ने साधन सीमित होने पर भी दुश्मन के सामने सिर नहीं झुकाया और जंगल के कंद-मूल खाकर लड़ते रहे। माना जाता है कि इस योद्धा की मृत्यु पर अकबर की आंखें भी नम हो गई थीं। अकबर ने भी कहा था कि देशभक्त हो तो ऐसा हो। महाराणा प्रताप की महान गाथा सुन कर 4 शाम को कठपुलि शो देखने पहुंचे। मैं बहुत उत्सुक था कठपुतली डांस देखने के लिए क्योकि मैंने इससे पहले कभी कठपुतली डांस फिल्मो या ऑनलाइन देखा था।
कठपुतली नृत्य ( राजस्थान ) :-
महाराणा प्रताप स्मारक देखने के बाद हम कठपुतली नृत्य देखा। जो मारवाड़ी सांग पर खेला गया था। डांस बहुत ही प्रशंसनीय था। मैंने कठपुतली डांस बहुत एन्जॉय किया।
कठपुतली विश्व के प्राचीनतम रंगमंच पर खेला जाने वाले मनोरंजक कार्यक्रम में से एक है कठपुतलियों को विभिन्न प्रकार की गुड्डे गुड़ियों, जोकर आदि पात्रों के रूप में बनाया जाता है |
दक्ष अंगुलियों से बंधी डोर के एक इशारे से डांसर्स नाचने लगते है और अगले इशारे से मंच युग के मैदान मैं बदल जाता है। ये कमानल करते है राजस्थान के कठपुतली कलाकार जिनकी उंगलियों से बंधी डोर मंच को तरह तरह के दृश्यों से जिवंत कर देती है ।
राजस्थान रंगो, कला और पारम्परिक प्रदर्शन कला के लिए जाना जाता है। जिसे बरसो से संजो कर रखा गया है।
इन्ही कलाओ मे कलाओ मे एक कला है कठपुतली का खेल जिसके जरिये लोक कथाये सुनाई जाती है।कठपुतली का अर्थ लकड़ी का खिलौना होता हिअ काठ मतलब लकड़ी और पुतली का मतलब खिलौना।
कठपुतली का खेल आज राजस्थान के लगभग हर हिस्स्से मे देखा जा सकता है मन जाता है की इसकी शुरुआत थार रेगिस्तान के मुहाने पर जोधपुर के पास नागौर मे हुई थी |कठपुतली नृत्य देखने के बाद हम अपने होटल के लिए रवाना हुई और फिर हमें उदयपुर होटल से चेकआउट किया। और राजस्थान से वापस दिल्ली के लिए चले।
राजस्थान घूमने जाने का सबसे अच्छा समय –
राजस्थान गुमने के लिये वेसे तो हर समय अच्छा होता है परंतु अगर आप ग्रीष्मकालीन मै आओगे तो यहा पर गर्मी बोहोत जादा होती है खासकर जैसलमेर,बाड़मेर, जयपुर, जोधपुर जेसी जगहों पर तो आप सबसे अच्छा मेरे हिसाब से राजस्थान गुमने का समय शीतकालीन ओर वर्षाकालीन मै होता है आप सितम्बर से दिसम्बर - जनवरी ओर साथ ही फरवरी मै राजस्थान गुमने का आनन्द ले सकते हो
राजस्थान में खाने के लिए प्रसिद्ध स्थानीय भोजन –
राजस्थान के प्रसिद्ध खाने में टैंगी वेजी करी से लेकर स्वादिष्ट मिठाइयाँ तक वह सभी डिश शामिल है जो पर्यटकों को उँगलियाँ चाटने पर मजबूर कर देती है। देखा जाये तो राजस्थान के फेमस फ़ूड राजस्थान के पर्यटन में भी इम्पोर्टेंट कंट्रीब्यूशन करते है, क्योंकि बहुत से इंडियन और फॉरेनर टूरिस्ट राजस्थान के फेमस फ़ूड को एन्जॉय करने के लिए ट्रेवल करना पसंद करते है।
यदि आप कभी राजस्थान की ट्रिप पर जायें तो राजस्थान के प्रसिद्ध स्थानीय व्यंजन का लुफ्त जरूर उठायें :-
1.दाल बाटी चूरमा
2. गट्टे की सब्ज़ी
3.गट्टे का पुलाओ
4.केर सांगरी राजस्थान कढ़ी, मेथी बाजरा
राजस्थान में कहाँ रुके –
राजस्थान के प्रमुख दर्शनीय स्थलों की यात्रा करने के बाद यदि आप राजस्थान में रुकने के स्थान की तलाश कर रहे हैं, तो हम आपको बता दें कि गया में कई लो-बजट से लेकर हाई-बजट के होटल आपको मिल जायंगे। तो आप अपनी सुविधानुसार होटल ले सकते है।
राजस्थान कैसे जाये –
राजस्थान की यात्रा पर जाने वाले पर्यटक फ्लाइट, ट्रेन और बस में से किसी का भी चुनाव कर सकते है।राजस्थान जाने के लिए आपको फ्लाइट्स नई दिल्ली से एयरपोर्ट्स मिल जाएगी |
राजस्थान स्थानीय लोगो के साथ-साथ विश्व स्तरीय टूरिज्म प्लेस है। इसलिए यह पर जयपुर इंतजरनेशनल एयरपोर्ट्स, महाराणा प्रताप एयरपोर्ट उदयपुर, जोधपुर एयरपोर्ट तथा जोधपुर जंक्शन, अलवर जंक्शन और जयपुर जक्शन उपलब्ध है।