जैसे ही गर्मी शुरू होती है ,गंगा का किनारा याद आता है। इस बार पैंतीस साल के बाद फिर से ऋषिकेश जाने का मोका मिला।अब की बार जो देखने को मिला वो कुछ और ही था। जब मै स्वर्गाश्रम पहुंची तो वहां की व्यवस्था देख कर बहुत प्रसन्नता हुई।
मेरा वहां दो दिन का कार्यक्रम था।मेरी बुकिंग परमार्थ निकेतन के गंगा ब्लॉक में थी जहां से कलकल बहती हुई गंगा की मधुर ध्वनि सुनाई देती है। यहां का वातावरण बहुत जीवंत है।
सुबह भोर से ही मधुर भजनों का स्वर सुनाई देता है। चिड़ियों के चहचहाने के स्वर भी कानों में पड़ते है। हर तरफ लोग मंदिरो में जाते हुए दिखाई देते हैं। मन को प्रसन्न करने वाला गंगा स्नान, सभी कुछ तो है यहां। ऐसे दृश्य देख कर मन को बहुत सुकून मिलता है।
परमार्थ निकेतन ही वो केंद्र है जहां पर गंगा के किनारे योग का आयोजन होता है।प्रातःकाल और गंगा का किनारा अद्भुत संयोग है।
दिन भर वहीं पर बहुत तरह के धार्मिक कार्यक्रम चलते रहते हैं। सबसे मुख्य परमार्थ निकेतन की संध्या आरती देखते ही बनती है। ब्रह्मचारी बालकों का संगीत कार्यक्रम देख कर मन मुग्ध हो जाता है।गंगा स्तुति के साथ आरती में शामिल हो कर लगता है कि पुण्य कमाने का अवसर सभी को मिले।
महत्वपूर्ण सूचना:
परमार्थ में बुकिंग 45 दिन पहले करवानी होगी और पहले ही अपनी प्रिफरेंस बता दें। गंगा ब्लॉक या यमुना ब्लॉक में सुविधा ज्यादा अच्छी है। यहां जाने के लिए समय ठीक रहता है अप्रैल या मई दो दिन का टाइम sufficient है। बहुत भाग्य से मिलता है, यह अवसर।
स्वर्ग आश्रम में खाने के स्थान:
परमार्थ में भी खाने की व्यवस्था बहुत अच्छी है। इसके अतिरिक्त गीता भवन की दुकान बहुत प्रसिद्ध है।वहां पर देसी घी से बनी वस्तुएं ,बहुत ही सस्ते दामों में मिलती है।उसमें बैठ कर खाने की भी व्यवस्था है। चाय तो यहां की भूली भी नहीं जा सकती है।अगर चाहें तो खरीद कर ले भी जा सकते हैं।
यहां पहुंचने का तरीका:
परमार्थ निकेतन पहुंचने के दो रास्ते हैं। किसी भी
वाहन से पीछे के रास्ते से आ सकते हैं ,दूसरा नाव के द्वारा भी आया जा सकता है। निर्भर करता है स्वयं की सुविधा पर नाव से आने के समय जेट्टी से थोड़ा चलना पड़ता है। यदि अपने वाहन से आएं तो ज्यादा मुश्किल नहीं होती है।यह थोड़ा महंगा होता है।
जरूरी कार्य:
ऋषिकेश के स्वर्गाश्रम में आने के बाद हमें देखने को मिलती है हिलोरें लेती हुई गंगा। यह दृश्य मन को मोहने वाला होता है ।घंटों यहां बैठे रहने की इच्छा करती है। स्वच्छ एवम ठंडा गंगा जल मन को तरो ताजा कर देता है। यात्री अपने अपने तरीके से आनंद लेते रहते है। ये सब कुछ स्वयं के मन पर निर्भर करता है। यहां भारत के सभी राज्यों के लोग आते हैं।