अपने पहले दिन की यात्रा में मैंने लक्ष्मण झूला देखने के बाद भूतनाथ मंदिर देखने का प्लान किया।भोले बाबा और मेरे रिश्ता अलग ही हैं ना बस मेरा बल्कि बहुत सारे भक्तों का भोले बाबा से अलग ही रिश्ता है।हमारे देश में भोलेनाथ के ऐसे कई मंदिर हैं जिनकी कहानियां हमे हैरानी में डाल देती हैं। उत्तराखंड के हरिद्वार में पौराणिक मंदिरों के लिए प्रसिद्ध तीर्थनगरी ऋषिकेश में शिव का एक मंदिर ऐसा ही हैं।
वैसे तो भूतनाथ मंदिर अपनी सुंदरता और विचित्रता के लिए जाना जाता है, लेकिन उससे कहीं ज्यादा अपने विचित्र और आध्यात्मिक-पौराणिक महत्त्व ने इस मंदिर को चर्चित किया है।जब यहां जा के मुझे यहां के पौराणिक कथा के बारे में पता चला तो काफ़ी अचंभित हुआ।
इतिहास में इस मंदिर के बारे में जिक्र है कि जब शिव भगवान सती माता से विवाह करने के लिए बारात लेकर निकले थे तब सती माता के पिता दक्ष ने इसी स्थान में शिव भगवान और उनकी बारात को रुकवाया था।जो आगे चल के भूतनाथ मंदिर बन गया।भगवान शिव ने अपनी बारात में शामिल सभी देव, गण, भूत और तमाम जानवरों के साथ यहीं पर रात बितायी थी। हमारे यहां इस जगह को जनवासा बोला जाता हैं।जनवासा मतलब जहां बारात को ठहराया जाता है।
यह मंदिर तीन तरफ से राजाजी नेशनल पार्क से घिरा हुआ है, जिसकी वजह से इसकी तरफ फैली हरियाली लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है।इस मंदिर की सातवें मंजिल से ऋषिकेश का नजारा आप अगर देखेंगे तो बेहद ही रमणीय और मनमोहक नज़र आयेगा।
जब मैंने मंदिर की सीढ़ियां चढ़ना शुरू किया तो मैंने देखा कि हर एक मंजिल में नंदी, हनुमान और भगवान शिव से जुड़े देवी-देवताओं को दर्शाया गया है।अंत में कई सीढ़ियों को हांफते हुए पार करने के बाद जब मैं सातवीं और आखिरी मंजिल पे पहुंचा तो, तो वहाँ शिव का छोटा सा मंदिर था जहाँ मंदिर के पुजारी बैठे हुए थे।सातवीं मंजिल में जब आप भगवान शिव के दर्शन करेंगे तो इस छोटे से मंदिर में चित्रों के माध्यम से आप शिव की भूतों की बारात को भी देख सकेंगे।
तो कुछ ऐसे ख़त्म हुआ मेरे ऋषिकेश ट्रिप का पहला दिन।