गुवाहटी का हर मौसम है घुमने वाला:
ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसा हुआ पूर्व-उत्तर भारत में असम का सबसे बड़ा शहर है गुवाहाटी। इसे “नॉर्थ ईस्ट इंडिया की सेवन सिस्टर्स” का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। गुवाहाटी देश-विदेश से आने वाले हर सैलानी को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है।
गुवाहाटी में प्राचीन मंदिर की संख्या बहुत अधिक हैं और प्रत्येक मंदिर की कोई न कोई दिलचस्प कहानी है।
नीलाचल पहाड़ी पर बना माँ कामाख्या मंदिर दुनिया के प्रसिद्ध तांत्रिक मंदिरों में से एक माना जाता है। रेलवे स्टेशन से मात्र 10 किलोमीटर दूर इस मंदिर में आने वाले भक्तगणों की संख्या बहुत अधिक होती हैं। माता को को खुश करने के लिए जानवरों की बलि भी दी जाती है।
कमाख्या से कुछ आगे पहाड़ी की ऊंचाई पर देवी भुवनेश्वरी का मंदिर है, जहां से गुवाहाटी का पूरा नजारा देखा जा सकता है। भगवान शिव को समर्पित उमानंद मंदिर ब्रह्मापुत्र नदी के बीच पर एक द्वीप पर स्थित है। पूर्वी गुवाहाटी में नौ ग्रहों को समर्पित नवग्रह मंदिर है, जहां एस्ट्रॉलजी व एस्ट्रॉनमी का अद्भूत मेल देखा जा सकता है। इसके पास बना वशिष्ठ आश्रम भी देखने लायक है, तो पर्यटकों को उग्रतरा मंदिर में भी खासी दिलचस्पी रहती है। यह मंदिर सोने की मूर्ति व भैंसों की बलि की वजह से चर्चा में रहता है।
गुवाहाटी में एक चिड़ियाघर हैं जिसे असम राज्य चिड़ियाघर के नाम से भी जाना जाता हैं और यह उत्तर-पूर्व भारत का सबसे बड़ा नेचरल चिड़ियाघर है। इस चिड़ियाघर में अधिक संख्या में विभिन्न जाति-प्रजाति के जानवर देखने को मिलते हैं।
इसके अलावा, स्टेट म्यूजियम, एंथ्रोपॉलजिकल म्यूजियम, फॉरेस्ट म्यूजियम जैसे संग्रहालय असम के विविध पहलू दिखाने के लिए मौजूद हैं। अंतरिक्ष में दिलचस्पी रखने वालों के लिए यहां का प्लैनेटेरियम भी एक बेहतरीन जगह है। इसे देश के बेस्ट प्लैनेटेरियमों में गिना जाता है।
गुवाहटी शहर में शहरीकरण और व्यावसायीकरण को ध्यान में रखते हुए आधुनिक जीवन शैली और एक खूबसूरत नाइटलाइफ़ का समावेश देखने को मिलता हैं।
गुवाहाटी जाने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से अप्रैल के बीच का है। अप्रैल में यहां नए साल के आगमन पर बोहाग बीहू मनाया जाता है और इस दौरान आप असम का बेहतरीन व्यंजन का लुफ्त ले सकते है।
जून-जुलाई में कमाख्या मंदिर में अंबूबाशी मेला लगता है। मां कामाख्या के मासिक धर्म को ही अंबूबाची मेले के रूप में मनाया जाता है। जिसमें शामिल होने के लिए देश के कोने-कोने से तंत्र-मंत्र साधक और भक्त लोग अंबुवाची मेले में आते है। तीन दिनों तक चलने वाले इस मेले के दौरान मंदिर का दरवाजा अपने आप बंद हो जाता है। वजह यह है कि इन 3 दिनों में देवी रजस्वला रहती हैं। यह दुनिया का अकेला ऐसा मंदिर है जहां मासिक धर्म आने पर पूजा-अर्चना की जाती है। ये अत्यंत पवित्र समय माना जाता है। यहां भक्तों को प्रसाद के रूप में गीला कपड़ा दिया जाता है। कहा जाता है कि देवी के रजस्वला होने के दौरान प्रतिमा के आस-पास सफेद कपड़ा बिछा दिया जाता है। तीन दिन बाद जब मंदिर के दरवाजे खोले जाते हैं, तब वह वस्त्र माता के रज से लाल होता है।
इसके अलावा अक्टूबर में होने वाली दुर्गा पूजा के दौरान भी यहां खूब धूम रहती हैं। इस तरह आप गुवाहटी कभी भी आ सकते है।
गुवाहाटी और दिल्ली के बीच नियमित फ्लाइट्स हैं। आप कोलकाता होते हुए भी वहां पहुंच सकते हैं। वैसे, यह शहर रेल मार्ग से भी अधिकतर शहरों से जुड़ा हुआ है।