शांति-साधकों और ध्यान लगाने वालों के लिए एक आदर्श पड़ाव, कुंमाऊं की पहाड़ियों पर स्थित कैंची धाम आश्रम है। स्थानीय संत श्री नीम करोली बाबा महाराज जी को समर्पित इस आश्रम में हर साल सैकड़ों लोगों द्वारा दर्शन किए जाते हैं। विशेष रूप से जून में आयोजित वार्षिक भंडारे के दौरान जिसमें एक लाख से अधिक लोगों को खाना खिलाया जाता है। आश्रम विभिन्न मंदिरों से घिरा हुआ है, जिसमें एक हनुमान मंदिर और कैंची मंदिर शामिल हैं, जिसमें कई विदेशी महाराज के साथ समय बिताने के लिए आते हैं। एक पवित्र गुफा, जहां बाबा नीम करोली की प्रार्थना की जाती है, यह भी एक लोकप्रिय आकर्षण है। आश्रम की स्थापना 1962 में महाराज नीम करोली बाबा ने की थी और तब से इसका रखरखाव किया जा रहा है। यह उन आगंतुकों को रहने की सुविधाएं भी प्रदान करता है जो एक शानदार अनुभव चाहते हैं।
कैसे बना कैंची धाम
कैंची धाम देव्-भूमि उत्तराखंड के नैनीताल जिले में अल्मोड़ा-रानीखेत राष्ट्रीय राजमार्ग पर नैनीताल से करीब 38 की.मी. की दूरी पर स्थित एक दिव्य, रमणीक, लुभावना स्थल कैंची धाम।यहां सड़क कैंची की तरह दो मोड़ों से होकर आगे बढ़ती है इसीलिए इस जगह का नाम कैंची मोड़ और मंदिर का नाम कैंची धाम पड़ गया। जिसे नीम करोली बाबा का कैंची धाम नाम से भी जाना जाता है।कहते हैं कि1964 में उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के एक गांव अकबरपुर से लक्ष्मी नारायण शर्मा नामक एक युवक ने यहां आ कर रहना शुरू किया था। चूँकि यहां आने से पहले उस युवक ने फर्रूखाबाद के गांव नीब करौरी में कठिन तपस्य़ा की थी, इसी कारण वे बाबा नीम करौली कहलाने लगे। महाराजजी की गणना बीसवीं शताब्दी के सबसे महान संतों में होती है।
मंदिर चारों ओर से ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों से घिरा हुआ है और मंदिर में हनुमान जी के अलावा भगवान राम एवं सीता माता तथा देवी दुर्गा जी के भी छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं। किन्तु कैंची धाम मुख्य रूप से बाबा नीम करौली और हनुमान जी की महिमा के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ आने पर व्यक्ति अपनी सभी समस्याओं के हल प्राप्त कर सकता है।
कौन थे नीम करौली बाबा ?
नीम करौली बाबा का जन्म उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर में रहने वाले एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
11 वर्ष की उम्र में ही उनका विवाह एक ब्राह्मण कन्या के साथ कर दिया गया था। परन्तु शादी के कुछ समय बाद ही उन्होंने घर छोड़ दिया और साधु बन गए। माना जाता है कि लगभग 17 वर्ष की उम्र में उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी।
घर छोड़ने के लगभग 10 वर्ष बाद उनके पिता को किसी ने उनके बारे में बताया। जिसके बाद उनके पिता ने उन्हें घर लौटने और वैवाहिक जीवन जीने का आदेश दिया। वह तुरंत ही घर लौट आए। कालांतर में उनके दो पुत्र तथा एक पुत्री उत्पन्न हुए। गृहस्थ जीवन के दौरान वह अपने आपको सामाजिक कार्यों में व्यस्त रखा।
1962 के दौरान नीम करौली बाबा ने कैंची गांव में एक चबूतरा बनवाया। जहां पर उनके साथ पहुंचे संतों ने प्रेमी बाबा और सोमबारी महाराज ने हवन किया।नीम करौली बाबा हनुमानजी के बहुत बड़े भक्त थे। उन्हें अपने जीवन में लगभग 108 हनुमान मंदिर बनवाए थे। वर्तमान में उनके हिंदुस्तान समेत अमरीका के टैक्सास में भी मंदिर है।
बाबा को वर्ष 1960 के दशक में अन्तरराष्ट्रीय पहचान मिली। उस समय उनके एक अमरीकी भक्त बाबा राम दास ने एक किताब लिखी जिसमें उनका उल्लेख किया गया था। इसके बाद से पश्चिमी देशों से लोग उनके दर्शन और आर्शीवाद लेने के लिए आने लगे।
बाबा ने अपनी समाधि के लिए वृन्दावन की पावन भूमि को चुना। उनकी मृत्यु 10 सितम्बर 1973 को हुई। उनकी याद में आश्रम में उनका मंदिर बनाया गया और एक प्रतिमा भी स्थापित की गई।
पानी घी में बदल गया
कहा जाता है कि कैंची धाम में एक बार भंडारे के दौरान घी की कमी पड़ गई थी।बाबा ने कहा कि नीचे बहती नदी से कनस्तर में पानी भरकर लाएं।उसे प्रसाद बनाने के लिए जब उपयोग में लाया गया तो वह पानी घी में बदल गया।वहीं एक बार बाबा नीम करौली ( Neem Karoli Baba ) महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाया।
विदेशी भी हैं बाबा के भक्त
नीम करौली बाबा सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपने चमत्कार के कारण जाने जाते हैं। लोकप्रिय लेखक रिचर्ड अल्बर्ट ने 'मिरेकल ऑफ लव' नाम से बाबा पर पुस्तक लिखी है। सिर्फ यही नहीं हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग सहित कई अन्य विदेशी हस्तियां बाबा के भक्त हैं।
फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब को यही से मिली प्रेरणा
फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब की प्रेरणा का स्थल कैंची धाम ही है। यहां नीम करौली बाबा का कैंची धाम आश्रम इनके अलावा कई सफल लोगों के लिए प्रेरणा श्रोत साबित हुआ। एप्पल की नींव रखने से पहले स्टीव जॉब कैंची धाम आए थे। यहीं उनकों कुछ अलग करने की प्रेरणा मिली थी। जिस वक्त फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग फेसबुक को लेकर कुछ तय नहीं कर पा रहे थे तो स्टीव जॉब ने ही उन्हें कैंची धाम जाने की सलाह दी थी। उसके बाद जुकरबर्ग ने यहां की यात्रा की और एक स्पष्ट विजन लेकर वापस लौटे। फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग और एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब के अलावा भारी संख्या में विदेशी साधक नीम करौली महाराज से जुड़ रहे हैं।
हर साल जून में होता है मेले का आयोजन
24 मई 1962 को बाबा ने अपने पावन चरण उस भूमि पर रखे थे , जहां वर्तमान में कैंची मंदिर स्थित है । 15 जून 1964 को मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति की प्रतिष्ठा की गई और तभी से 15 जून को प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है , इसलिए 15 जून को कैंची धाम में एक भव्य मेला का आयोजन किया जाता है । 15 जून को जब “कैंची धाम का मेला” होता है तब मंदिर में लाखों श्रद्धालु आतें हैं और प्रसाद पातें हैं।
कैसे पहुंचे
By Air – पंतनगर एयरपोर्ट से कैंची धाम 79 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां पर उतरकर आप कैब करके मंदिर पहुंच सकते हैं।
By Train – काठगोदाम रेलवे स्टेशन से कैंची धाम की दूरी लगभग 43 कि.मी. है।
By Road- कैंची धाम की दूरी नैनीताल से लगभग 17 किलोमीटर एवं भवाली से 9 किलोमीटर है।