शांगरी-ला-घाटी: एक रहस्यमयी दुनिया,जहाँ जाने वाला वापस लौट के नही आता

Tripoto
22nd Dec 2020
Photo of शांगरी-ला-घाटी: एक रहस्यमयी दुनिया,जहाँ जाने वाला वापस लौट के नही आता by Priya Yadav
Day 1

ये दुनिया बहुत से रहस्यो से भरी पड़ी है,जिसका पता आज तक कोई नही लगा पाया है।आज हम आपको एक ऐसी रहस्यमय घाटी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि उसे आज तक कोई भी नहीं ढूंढ पाया है, जबकि ऐसा माना जाता है कि यह घाटी अरुणाचल प्रदेश और तिब्बत के बीच में कहीं है। 

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इस जगह को 'शांगरी-ला घाटी' के नाम से जाना जाता है। शांगरी-ला-घाटी को वायुमंडल के चौथे आयाम यानी समय से प्रभावित जगहों में से एक माना जाता है। ऐसी जगहों पर समय थम सा जाता है और लोग जब तक चाहें तब तक यहाँ जीवित रह सकते हैं।  अरुण शर्मा ने अपनी किताब 'तिब्बत की वह रहस्यमय घाटी' में शांगरी-ला-घाटी  का जिक्र किया है। उनके मुताबिक, युत्सुंग नाम के एक लामा ने उन्हें बताया कि शांगरी-ला घाटी में काल का प्रभाव नगण्य है और वहां मन, प्राण और विचार की शक्ति एक विशेष सीमा तक बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि अगर कोई वस्तु या इंसान वहां अनजाने में भी चला जाए तो वह वापस दुनिया में कभी नहीं आ पाता। 

जेम्स हिल्टन ने अपनी पुस्तक लास्ट होराइजन में इस रहस्यमय शांगरी ला घाटी का जिक्र किया है।इसके अलावा भी कई किताबों में इसके बारे में कहा गया है कि चीन ने इसकी बहुत खोज की लेकिन वो इसे तलाश नहीं पाया। इस घाटी में तंत्र मंत्र के साधकों के रहने की बात कही गई है।इसे बरमुडा ट्राएंगल की तरह भी बताया गया है, जहां जाने वाले लोग गायब हो जाते हैं

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शांगरी ला घाटी को बरमूडा ट्राएंगल की तरह बताया जाता है।बरमूडा ट्राएंगल ऐसी जगह है, जहां से गुजरने वाले पानी के जहाज और हवाई जहाज़ गायब हो जाते हैं।वह स्थान भी भू हीनता के क्षेत्र में आता है।तिब्बती विद्वान युत्सुंग के अनुसार इस घाटी का संबंध अंतरिक्ष के किसी लोक से है।

तिब्बती भाषा की किताब "काल विज्ञान" में इस घाटी का जिक्र मिलता है। जिसमें लिखा है कि दुनिया की हर चीज़ देश, काल और निमित्त से बंधी है लेकिन इस घाटी में  काल यानी समय का असर नहीं है। वहां प्राण, मन के विचार की शक्ति, शारीरिक क्षमता और मानसिक चेतना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है।उनका दावा है कि वहां न तो सूर्य का प्रकाश था और न ही चंद्रमा। चारों तरफ एक रहस्यमय प्रकाश फैला हुआ था।

इस जगह को धरती का आध्यात्मिक नियंत्रण केंद्र भी कहा जाता है। इसके अलावा इसे सिद्धाश्रम भी कहते हैं, जिसका जिक्र महाभारत से लेकर वाल्मिकी रामायण और वेदों में भी मिलता है। जेम्स हिल्टन नामक लेखक ने अपनी किताब 'लॉस्ट हॉरीजोन' में भी इस रहस्यमय जगह के बारे में लिखा है।  हालांकि उनके मुताबिक, यह एक काल्पनिक जगह है। 

संग्रीला घाटी को सिद्धाश्रम भी कहते हैं. सिद्धाश्रम का वर्णन महाभारत, वाल्मिकी रामायण और वेदों में भी है।ऐसा विश्वास किया जाता है कि हिमालय पर्वत में सिद्धाश्रम नामक एक आश्रम है जहाँ सिद्ध योगी और साधु रहते हैं। तिब्बती लोग इसे ही शम्भल की रहस्यमय भूमि के रूप में पूजते हैं। एक अन्य परम्परा के अनुसार सिद्धाश्रम, तिब्बत क्षेत्र में कैलाश पर्वत के निकट स्थित है।

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इस प्राचीन अलौकिक भूमि का उल्लेख चार वेदों के साथ कई प्राचीन शास्त्रों में किया गया है। आध्यात्मिक यात्रा में सिद्धाश्रम को एक दिव्य स्थान के रूप में वर्णित किया गया है। इस प्रकार यह भी माना जाता है कि इस ब्रह्मांड में अपने दिव्य कार्यों का निर्वहन करते हुए आध्यात्मिक रूप से सशक्त योगी सिद्धाश्रम के संपर्क में रहते हैं और वे नियमित रूप से यहां आते हैं।

दुनियाभर के कई लोग 'शांगरी-ला घाटी' का पता लगाने की नाकाम कोशिश कर चुके हैं। कहते हैं कि इनमें से तो कई हमेशा-हमेशा के लिए गायब भी हो गए। ऐसा भी कहा जाता है कि चीन की सेना ने इस घाटी को ढूंढने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो इस जगह का पता नहीं लगा सके। 

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