विन्ध्याचल उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर का एक धार्मिक दृष्टिकोण से प्रसिद्ध शहर है। वहीं कालीन भाई, गुड्डू भईया वाला मिर्जापुर🤭। यहाँ माँ विंध्याचल देवी का मंदिर है। माँ विन्ध्यवासिनी ने महिषासुर का वध करने के लिए अवतार लिया था। यह नगर गंगा के किनारे स्थित है। मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जो मनुष्य इस स्थान पर तप करता है, उसे अवश्य सिद्दि प्राप्त होती है। भारतीय मानक समय (IST) की रेखा विन्ध्याचल के रेलवे स्टेशन से होकर जाती है।ये तो इसका भौगौलिक मामला हुआ अब आते अपने यात्रा पर।
विंध्याचल कस्बा पावन गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है।इसी कारण इस स्थान की आस्था और भी बढ़ जाती है मुख्यता यहां आने वाले श्रद्धालु सबसे पहले गंगा नदी के घाट पर डुबकी लगाकर अपने आप को धन्य करते हैं। यहां आपको गंगा नदी के दोनों किनारों पर स्नान करने की सुविधा है। यहां तमाम नाविक आपको गंगा नदी के दूसरे किनारे पर ले जाकर स्नान करवा सकते है और दोनों किनारों के बीच एक शिवलिंग भी है आप जैसे ही घाट के पास पहुंचोगे तो आपको ये नाव वाले यही बोलेंगे की चलिए आपको शिवलिंग के दर्शन करा देंगे और इधर वाले घाट पर पत्थर बहुत ज्यादा है तो आप दूसरे किनारे पर स्नान करें।
सबसे पहले हमने भी पका घाट पर पवित्र स्नान किया, जो कि हमारे लिए काफी जरूरी भी था क्योंकि पाप ही इतना करते हैं हम। हम चारों को ही तैरने नहीं आता पर हमारे में एक मनुष्य ऐसा था जो की 6 फीट का था और उसे अपनी जान की इतनी चिंता है की वह घुटने से ऊपर पानी नहीं आने देता वो हैं हमारे मित्र अमित यादव पता नहीं उसे उच्चाई, गहराई ,पानी ,पहाड़ सबसे इतना डर क्यों लगता है ?उसे देख के मेरे अंदर से एक ही आवाज़ आता है "कैसा बंदा हैं ये" 🙄आधी एडवेंचर चीज हम उसकी वजह से भी नहीं कर पाते ट्रिप पर। लगभग 1 घंटा स्नान करने के बाद हमने दर्शन किया।
मंदिर का इतिहास
विंध्याचल वह स्थान हैं जहां देवी दुर्गा और दानव राजा महिषासुर के बीच बहुत भायंकर युद्ध हुआ था जिसमे देवी दुर्गा ने महिषासुर देत्य का बध करके मानव जाती की रक्षा की और श्रेष्टी को पाप मुक्त किया था। महिषासुर दानव का बध करने के कारण देवी दुर्गा को महिषासुर मर्दनी भी कहते हैं। यह प्राचीन मंदिर समाज की पुरुषवादी ताकतों पर दैवीय नारी शक्ति की इस महान जीत की गाथा को बयान करता हैं।
फिर हमने मिर्जापुर से ट्रेन लिया मैहर के लिए। ट्रेन लेने तक का सफर इतना टेंशन भरा था की मत पूछो मित्रों । फिल्म में जैसे क्लाइमैक्स आता है वैसे ट्रेन हमारे ट्रिप का क्लाइमैक्स सीन था।ट्रेन आने में कुछ 1 मिनट बचा होगा उतने में हमारे लाले (अमित यादव) को टॉयलेट लग गया मतलब हमें एक बात नहीं समझ आता की लोग इतना लाते कहां से हमारा तो नहीं आता इतना 🙄हम लोग ने उसको बोला मर्दवा ट्रेन में कर लिहा तो उसने बोला नहीं निकल जायेगा, हम बोले मरदवा ई काऊनो बस थोड़ी ही ना हैं जो निकल जायेगा कंट्रोल करा, पर ऊ नहीं माना। 😠 फिर वो गया कर के तुरन्त ट्रेन की ओर भागा ,हम भी भागे । भागते भागते मेरे दिमाग़ में एक बात आ रही थीं 🤔ई सलावा किया क्या होगा इतनी से देर में इतना टाइम तो मूड बनाने में ही निकल जाता हैं ।ई सालावा क्या निकाला🙄 होगा और क्या छोड़ा होगा 🙄?
जैसे ही हम अपने सीट पर पहुंचे हमने देखा की कुछ लोग सोएं हुए हैं हमारी सीट पर। तो फिर क्या था मेरे अंदर का भी यूपी का भौकाल लड़का जग गया मैं भी बहुत टशन😎 में आगे बढ़ा और उस सीट के बन्दे से आरुगमेंट करने लगा, वाद -विवाद का सिलसिला चल ही रहा था कि एक दम से पीछे से आवाज़ आई भाई रिजर्वेशन कल का था अपना 🙄।फिर क्या था जो अंदर से यूपी का लड़का तेज़ी से आया था मैंने उसे उतनी ही तेज़ी से अंदर भेजा और सॉरी बोल के निकल लिया वहां से। 12 बजे दूसरा दिन शुरू हो जाता है इतनी छोटी सी बात को ध्यान नहीं दिया हमारे काबिल मित्र ने रिजर्वेशन करते वक्त ,फिर मैंने अनुपम को कॉल किया पूछा सीट बा उधर, इधर एक कांड हो गई मर्दावा तो उसने बोला भईया ईधर आ जाओ यहां सीट हैं ट्रेन स्टार्ट होने में कुछ ही सेकंड बचा होगा हमें फ़ैसला जल्दी लेना था हम तीनो उतरे और अनुपम के बोगी के तरफ दौरे।🏃 प्लान कुछ ऐसा था की एक बंदा आगे रहेगा और पीछे लाइट देखता हुआ आगे तरफ भागेगा पर ऊ बोलते हैं ना इंसान की फटती हैं तो वो आगे पीछे कुछ नहीं देखता ये बात मैंने बचपन में सुना था पर उस दिन देखा हमारे एक मित्र ऐसे भागे हमें छोड़ के जैसे हमें जानते ही नहीं है। अंधेरा इतना था की कुछ दिख नहीं रहा था ऊपर से नीचे पत्थर😔 ,भागा ही नहीं जा रहा था जैसे तैसे हम अनुपम के पास पहुंचे उसके बाद जो गाली देने का सिलसिला चालू किया हमने उस बन्दे को मत पूछो 10 मिनट में उसने इतना कांड किया की किसी ने उम्मीद नहीं की थी ।उसने 10 मिनट में हमारे आराम दायक ट्रिप को बेयर ग्रिल्स का ट्रिप बना दिया।
फिल्म में जैसे क्लाइमैक्स आता है 10 मिनट के लिए ऊ ससुरा वैसे आया था कांड हमारे ट्रिप में। क्लाइमैक्स के बाद जैसे मूवी खतम होती हैं वैसे हमारी विंध्याचल की यात्रा खतम हुई । और सुबह 4 बजे हम मैहर पहुंच गए। ठंड इतनी थी क्या बोलू आप मेरा फोटो देख के समझ सकते हैं।
नेक्स्ट ब्लॉग में मैहर देवी दर्शन के बारे में पढ़े......
DAY :1 विंध्याचल यात्रा
सलाम, नमस्ते, केम छू दोस्तो। कैरीमिनाती के अंदाज़ में पुछू तो"कैसे हो आप लोग 😆"?
चित्रकूट दर्शन के बाद हम चारों ने सोचा क्यों ना एक और ट्रिप प्लान किया जाएं। वैसे भी कोरोना की वजह से हम इस बार कहीं जा नहीं पाए हैं। हम बैठ कर सोच विचार कर ही रहे थे कि हमारे ब्लॉगर भाई अनुपम नाग ने बोला की मिर्ज़ापुर चले क्या? हाल हीं में मिर्ज़ापुर-2 देखने के बाद हम लोगों में वैसे भी गुडडू भैया और कालीन भैया के क्षेत्र को देखना का मन तो था ही, तो हम सब बहुत आसानी से मिर्ज़ापुर जाने को मान गए।
जैसे ही मैंने मिर्ज़ापुर के बारे में गूगल बाबा से जानकारी ली तो मुझे एक मंदिर के बारे में पता चला जहां कुछ ऐसी मान्यता है कि सृष्टि आरंभ होने से पूर्व और प्रलय के बाद भी इस क्षेत्र का अस्तित्व कभी समाप्त नहीं हो सकता।यहां पर संकल्प मात्र से उपासकों को सिद्वि प्राप्त होती है। तब मुझे लगा की हमें यहां दर्शन करना चाहिए और हम निकल पड़े मिर्ज़ापुर की तरफ।