उत्तरप्रदेश के पीतल नगर में देखिए इंडो-इस्लामिक सभ्यता की झलक

Tripoto
1st Dec 2020
Photo of उत्तरप्रदेश के पीतल नगर में देखिए इंडो-इस्लामिक सभ्यता की झलक by Smita Yadav
Day 1

उत्तरप्रदेश का मुरादाबाद पीतल की वस्तुओं के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। देश में सबसे ज्यादा पीतल का कारोबार यहीं होता है। यहां के आधुनिक कारीगरों द्वारा बनाए गए आधुनिक, आकर्षक, और कलात्मक पीतल के बर्तन, गहने और ट्राफियां मुख्य शिल्प हैं। आकर्षक पीतल के बर्तन संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी और मध्य पूर्व एशिया जैसे देशों को निर्यात किए जाते हैं। इस समृद्ध शहर में हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों का संगम देखने को मिलता है और इसे देखकर पता चलता है कि भारत की एकता अखंड है। शहर इंडो-इस्लामिक विरासत का भंडार है। तो आइए जानते है मुरादाबाद से जुड़ी अन्य बातें।

मुरादाबाद का इतिहास

मुरादाबाद का नाम वैसे तो शाहजांह के पुत्र मुराद के नाम पर पड़ा है लेकिन इससे पहले यह शहर कई सारे महान राजवंशों का हिस्सा रह चुका है जिसमें नंदा, पांचला, मौर्य, मुगल, गुप्ता और मौखरी आदि शामिल हैं। 1624 में संभल के गवर्नर रुस्तम खान ने इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की और इसे 'रुस्तम नगर' नाम दिया। यह 1700 के दशक में रोहिलखंड राज्य का एक प्रांत हुआ करता था। रोहिलखंड को अंग्रेजों ने बंदी बना लिया था जिसके बाद इसे दो जिलों बरेली और मुरादाबाद में बांट दिया गया। भारत के आजाद होने के बाद मुरादाबाद को उत्तर प्रदेश का हिस्सा घोषित किया गया।

मुरादाबाद के दर्शनीय स्थल

मुरादाबाद के रामपुर में रज़ा लाइब्रेरी है जिसमें 30,000 से अधिक पुस्तकों का संग्रह है। कई ऐतिहासिक पांडुलिपियां और इस्लामी सुलेख के लघु नमूने यहां संरक्षित हैं। यहां का साईं मंदिर और जामा मस्जिद भी बहुत प्रसिद्ध है। पर्यटक यहां नजीबुदुल्लाह का किला, प्रेम वंडरलैंड, जल किंगडम, विदुर कुटी, सीता मंदिर, कण्व आश्रम जैसे आदि स्थानों पर जा सकते हैं।

महाभारत से है संबंध

'विदुर कुटी' मुरादाबाद का प्रमुख दर्शनीय स्थल है। इसे 'विदुर का आश्रम' भी कहा जाता है। महाभारत में दुर्योधन की मृत्यु के बाद विदुर ने अपना शेष जीवन यहीं बिताया था। विदुर ने महाभारत के दौरान कौरवों और पांडवों दोनों के बच्चों की सभी पत्नियों की सुरक्षा का बीड़ा उठाया था लेकिन विदुर को हर किसी के रहने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पाई थी और इसलिए एक क्षेत्र महिलाओं और बच्चों के लिए बनाया गया था, जिसे अब दारानगर कहा जाता है।

कैसे पहुंचे

सड़क मार्ग- मुरादाबाद का नेशनल हाईवे 24 नई दिल्ली के साथ-साथ लखनऊ से बरेली, गाजियाबाद और सीतापुर तक जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग- उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद शहर का मुख्य रेलवे जंक्शन स्टेशन है।और उत्तर रेलवे के मुरादाबाद रेलवे मंडल का मुख्यालय है।

यह लखनऊ-मुरादाबाद रेलमार्ग, मुरादाबाद - अंबाला रेलमार्ग, और दिल्ली - मुरादाबाद रेलमार्ग पर स्थित है। यहां से राजधानी, शताब्दी, गरीब रथ एक्सप्रेस, डबल डेकर एक्सप्रेस और कई सुपर फास्ट एक्सप्रेस गुजरती है। मुरादाबाद रेलवे जंक्शन से रोजाना 200 ट्रेन गुजरती है ।

हवाई मार्ग- निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर और दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो मुरादाबाद से 85 किमी और 185 किमी की दूरी पर स्थित है।

रज़ा लाइब्रेरी

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कलात्मक पीतल के बर्तन

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