तमिलनाडु में भारत के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं जैसे मंदिर, समुद्र तट, हिल स्टेशन इत्यादि। इन सभी जगहों में से यहां की एक बहुत ही खूबसूरत जगह है यरकौड। यरकौड एक हिल स्टेशन है और यह हरे-भरे जंगलों और लेक से घिरा हुआ है। यहां आने पर घाटियों के सुंदर दृश्य देखकर पर्यटकों के चेहरे खिल जाते हैं।
यरकौड तमिलनाडु की शेवारॉय पहाड़ियों में स्थित है तथा पूर्वी घाटों में स्थित एक हिल स्टेशन है। यह 1515 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है तथा यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और खुशनुमा मौसम बहुत से पर्यटकों को आकर्षित करता है। यद्यपि यरकौड को कभी कभी गरीब लोगों का उटकमंडलम भी कहा जाता है क्योंकि प्रसिद्ध हिल स्टेशन ऊटी की तुलना में यहाँ चीज़ें अधिक सस्ती हैं।
यरकौड तमिलनाडु की शेवारॉय पहाड़ियों में बसा एक खूबसूरत सा हिल स्टेशन है। ये 1515 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और यहां की प्राकृतिक सुंदरता और खुशनुमा मौसम बहुत से पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। यरकौड स्थानीय और विदेशी पर्यटकों में काफी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। यरकौड 2 तमिल शब्दों से मिलकर बना है – येरी जिसका मतलब होता है झील और कडू जिसे जंगल कहते हैं। यरकौड मुख्य रूप से कॉफी, संतरा, कटहल, अमरुद, इलायची और काली मिर्च के पौधों के लिए मशहूर है। कॉफी इस जगह का प्रमुख उत्पाद है और साल 1820 में स्कॉटिश कलेक्टर एम. डी. कॉकबर्न अफ्रीका से इसे यहां पर लेकर आए थे। यरकौड के जंगलों में चंदन, सागौन और सिल्वर ओक के पेड़ काफी ज्यादा पाए जाते हैं। यहां पर जंगली जानवर जैसे कि भैंसा, हिरन, लोमड़ी, नेवले, सांप, गिलहरी से लेकर विभिन्न पक्षी जैसे कि बुलबुल, पतंगे, गौरेया और अबाबील भी पाए जाते हैं।
यरकौड एक हिल स्टेशन है और यहां पर कभी भी तापमान बहुत अधिक नहीं होता। इसलिए लोगों को हमेशा यहां पर अपने साथ गर्म कपड़े रखने की सलाह भी दी जाती है। साथ ही यहां पर आने के लिए सबसे अच्छा वक्त अक्टूबर से जून का है। प्रकृति के सुंदर नजारों के अलावा लोग यहां पर ट्रेकिंग भी कर सकते हैं और अगर आप मई के महीने में यहां पर आ रहे हैं तो आपको यहां के ग्रीष्म उत्सव का मजा भी लेना चाहिए। यहां पर ग्रीष्म उत्सव, बोट रेस, फूलों और कुत्तों के शो भी आयोजित किये जाते हैं।
ब्रिटिश शासनकाल में साल 1842 में सर थॉमस मुरोए ने यरकौड की खोज की थी जो कि उस समय मद्रास प्रेसीडेंसी के गवर्नर थे। यहां की कुछ चीजें काफी लोकप्रिय हैं जैसे कि प्राकृतिक तेल, परफ्यूम, त्वचा की देखभाल के उत्पाद, स्थानीय तौर पर उत्पन्न होने वाली काली मिर्च के ताजा पैक, इलायची और कॉफी।हालाँकि यरकौड शॉपिंग के लिए कोई अद्वितीय स्थान नहीं है फिर भी यहाँ पर्यटकों के लिए कुछ वस्तुएं हैं। कुछ लोकप्रिय चीज़ें हैं प्राकृतिक तेल, परफ्यूम, त्वचा की देखभाल के उत्पाद, स्थानीय तौर पर उत्पन्न काली मिर्च के ताज़ा पैक, इलायची और कॉफ़ी। यरकौड में रहने के लिए स्थान ढूंढना आसान है। इसके लिए अनेक विकल्प उपलब्ध है जिनमें बजट होटल से लेकर लक्ज़री रिसॉर्ट या रहने के लिए घर भी शामिल हैं।
आसपास दर्शनीय स्थल
मुख्य आकर्षण
यरकौड झील
यरकॉड का सबसे बड़ा आकर्षण है यहां की झील है। इसकी ठंडी हवा आपको तरोताजा कर देगी। झील के पास ही अन्ना पार्क है जहां फूल की कई आकर्षक प्रजातियां है, इनकी मई के महीने में प्रदर्शनी भी होती है जब यहां ग्रीष्म महोत्सव का आयोजन किया जाता है। झील के बीच में एक द्वीप है जिस पर ओवरब्रिज द्वारा जाया जा सकता है। इस द्वीप पर हिरन और मोर की बहुतायत है। यहां बोटिंग भी की जा सकती है पर आपको सावधान रहने की जरुरत है।
शेवाराय मंदिर
सर्वरायन पहाड़ी पर समुद्रतल से 5326 फीट ऊपर शेवाराय मंदिर है। यह स्थान यरकौड का सबसे ऊंची जगह है। यह मंदिर स्थानीय देवता सरवरन और उनकी पत्नी कवरिअम्मा को समर्पित है। यहां रहने वाली जनजाति के लोग प्रतिवर्ष मई में वार्षिकोत्सव मनाते हैं। मंदिर के रास्ते में नोर्टन बंगले के पास भालू की गुफा है। यह माना जाता है कि बहुत समय पहले यह एक राजा की गुप्त सुरंग का प्रवेश द्वार था।
लेडीज सीट
इस स्थान से घाट रोड का नजारा दिखाई देता है। रात को यहां से रोशनी में जगमगाता सालेम शहर बहुत ही खूबसूरत नजर आता है। लेडीज सीट पर एक टेलीस्कोप है जिसके जरिए मैदानी इलाके को देखने में बड़ा मजा आता है। यहां से बाएं ओर जाने पर कावेरी नदी पर बना मेत्तूर बांध भी दिखाई देगा।
किलियुर जलप्रपात
यरकॉड से 3 किलोमीटर दूर एक जलप्रपात है। 300 फीट ऊंचे इस प्रपात का नाम किलियुर जलप्रपात है। यहां तक पहुंचने का रास्ता बहुत रोमांचक है। हालाकि बुजुर्गों को यहां जाने में कठिनाई हो सकती है।
बोटेनिकल गार्डन
यरकॉड के इस वनस्पति उद्यान में पिचर प्लांट जैसी दुर्लभ प्रजातियों सहित पौधों की अनेक प्रजातियां मौजूद हैं। इस गार्डन में कुरिंजी फूल भी देखा जा सकता है, कहते हैं कि यह बारह साल में एक बार उगता है। यहां भारत का तीसरा सबसे बड़ा ऑर्किडेरिअम भी है। इसमें ऑर्किड की सौ से ज्यादा किस्में देखने को मिलती हैं। इनमें से कुछ तो इतनी रेयर है कि दुनिया में और कहीं नहीं मिलतीं।
श्री राज राजेश्वरी मंदिर
राज राजेश्वरी मंदिर एक सुंदर घाटी में स्थित है। इस मंदिर की मुख्य देवी राज राजेश्वरी हैं जो कि सभी देवों की देवी हैं। इस मंदिर का निर्माण सन् 1983 में हुआ था। मुख्य देवी के अलावा मंदिर में अन्य कई देवताओं की मूर्तियां भी हैं। मुख्य देवी की मूर्ति के चारों तरफ हिंदू भगवान जैसे रूद्र, विष्णु, लक्ष्मी, ब्रह्मा और सरस्वती की मूर्तियां भी हैं। ऐसा माना जाता है कि देवी की पूजा करने से समृद्धि, धन और ज्ञान की प्राप्ति होती है ।
आसपास दर्शनीय स्थल
सेलम
30 किलोमीटर) यह इस क्षेत्र का सबसे बड़ा नगर है। यहां कुछ प्राचीन मंदिर हैं। लेकिन इसकी मुख्य पहचान यहां स्थापित उद्योगों से है। इनमें प्रमुख हैं स्टील, साबूदाना और हस्त करघा उद्योग।
नमक्कल
(48 किलोमीटर) यह जगह एक छोटी सी पहाड़ी के नीचे स्थित है। इस पहाड़ी के ऊपर एक किला है। यहां चट्टानों को काटकर बनाए गए दो गुफा मंदिर हैं जिनमें से एक नरसिम्हास्वामी को और दूसरा रंगनाथस्वामी को समर्पित है। इस स्थान पर हनुमान जी की 20 फीट ऊंची प्रतिमा है जो एक ही पत्थर को काटकर बनाई गई है।
अरंगलूर
(74 किलोमीटर) इस गांव पर एकंबरा मुदलियार नामक राजा का शासन था। यहां पर दो प्रमुख मंदिर हैं। इनमें से एक मंदिर श्री कामेश्वर को और दूसरा करिवरडपेरुमल को समर्पित है। अरंमलूर के बाहरी हिस्से में तिसंगनूर गांव में भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा है।
कैसे पहुँचे यरकॉर्ड
हवाई मार्ग
नजदीकी हवाई अड्डा तिरुचिरापल्ली है। इसके अलावा कोयंबटूर और बैंगलोर हवाई अड्डों से भी यहां पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग
मुख्य जंक्शन सलेम यहां के 31 किलोमीटर दूर है।
सड़क मार्ग
सलेम से बस और टैक्सी के जरिए यहां पहुंचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त चैन्नई, त्रिची, मदुरै, बैंगलोर और कोयंबटूर से भी जुड़ा हुआ है।