उत्तर भारत में रहकर आपने जिस ट्रैवल डेस्टिनेशन के बारे में सबसे ज्यादा सुना होगा वो पंजाब में अमृतसर का गोल्डन टेंपल जरूर होगा।आप में से बहुत सारे लोग गोल्डन टेंपल यानी स्वर्ण मंदिर गए भी होंगे,हालांकि जो लोग अभी तक गोल्डन टेंपल नहीं गए हैं या जो लोग गोल्डन टेंपल जाकर भी कुछ जानकारियों से चूक गए हैं तो ये ट्रैवल बलॉग आपके बेहद काम का है।
स्वर्ण मंदिर
श्री हरमंदिर साहिब को श्री दरबार साहिब या स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है (इसके आस पास के सुंदर परिवेश और स्वर्ण की पर्त के कारण) और यह अमृतसर (पंजाब) में स्थित सिक्खों का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है।अमृतसर का स्वर्ण मंदिर केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया का मशहूर मंदिर है। ये सिख धर्म के मशहूर तीर्थ स्थलों में से एक है। इस मंदिर का ऊपरी माला 400 किलो सोने से निर्मित है, इसलिए इस मंदिर को स्वर्ण मंदिर नाम दिया गयाकहने को तो ये सिखों का गुरुद्वारा है, लेकिन मंदिर शब्द का जुडऩा इसी बात का प्रतीक है कि भारत में हर धर्म को एकसमान माना गया है। यही वजह है कि यहां सिखों के अलावा हर साल विभिन्न धर्मों के श्रद्धालु भी आते हैं, जो स्वर्ण मंदिर और सिख धर्म के प्रति अटूट आस्था रखते हैं। इस मंदिर के चारों ओर बने दरवाजे सभी धर्म के लोगों को यहां आने के लिए आमंत्रित करते हैं। तो चलिए हम आपको आज इसी स्वर्ण मंदिर से जुड़ी कई दिलचस्प और रोचक बातें बताते हैं। खासतौर से अगर आप पहली बार स्वर्ण मंदिर जा रहे हैं।
स्वर्ण मंदिर ( Golden Temple ) के नाम से विख्यात यह गुरुद्वारा सिख धर्म के पांचवें गुरु, श्री गुरु अर्जन ने इस गुरूद्वारे को स्थापित किया तथा आदि ग्रन्थ की रचना सन 1604 में कर ग्रन्थ को यहाँ स्थापित किया।गुरूद्वारे की संरचना अत्यंत सुन्दर है। संगमरमर तथा सोने से बना गुरुद्वारा बहुत ही अद्भुत कला का प्रतिक है। यहाँ का वातावरण अत्यंत ही साफ़ सुथरा है। सिख धर्म के अनुयायी बड़े मन से यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करते है। यहाँ के गुरु के लंगर में रोज़ हज़ारों लोग प्रशाद रूप में भोजन ग्रहण करते है। सभी धर्म के लोग यहाँ दर्शन के लिए आते है। इस गुरूद्वारे का लम्बा इतिहास है। अंदर की और प्रवित्र जल के तालाब के बीचों बीच गुरुद्वारा साहिब है व चारों तरफ बड़ा सा प्रांगण है। गुरूद्वारे में एक अजायब घर ( museum ) भी है जहा सिख धर्म से जुडी चीज़े रखी गयी है। बहार की तरफ खाने पीने की व धार्मिक वस्तुओं, तस्वीरो, किताबों की दिखाने सजी रहती है।
अन्य मुख्य दर्शनीय स्थल :-
वाघा बॉर्डर
वाघा बॉर्डर समारोह की शुरुआत 1959 में हुई थी। वाघा बॉर्डर समारोह का मुख्य मकसद दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग और सौहार्द का माहौल बनाना है। यह बीटिंग रिट्रीट समारोह के नाम से मशहूर है। इस समारोह के दौरान औपचारिक रूप से सीमा को बंद किया जाता है और दोनों देश के झंडे को सम्मानपूर्वक उतारा जाता है।
जलियांवाला बाग
आप अगर यहा आये हैं तो जलियांवाला बाग भी ज़रूर जाये। ये यहां से 1 घंटे की दूरी पर ही मौजूद हैं,जो आपको भारत के आज़ादी के दौर में ले जाएगी।ये वो जगह है जहां हज़ारों भारतीयों का बलिदान आज भी गवाही देता है।
खान-पान
वैसे तो हम सभी जानते हैं की पंजाबी खाना भारत का सबसे लज़ीज़ खाना और स्वादिष्ट खाना होता हैं। लेकिन अगर अमृतसर आये हैं तो अमृतसरी नान और यहां के स्ट्रीट चाय और पकोड़े का आनंद लेना न भूलें जो कि एक विशेष प्रकार की बैंगन की चटनी के साथ परोसे जाते है जो कि बेहद स्वादिष्ट लगते हैं और यहां के स्ट्रीट फ़ूड में यहां के कुलचे भी बेहद फेमस हैं।वहीं मिठाई में रबड़ी वाली जलेबी भी ।यहां के हर ढाबे में आपको मक्के की रोटी और बड़ा गिलास लस्सी का ज़रूर मिल जायेगा और सर्दियों की समय में सरसों का साग भी आपको चखने को मिल जायेगा। जो कि पंजाबी खाने का अहम हिस्सा है|
अमृतसर कैसे पहुंचे :-
रेल मार्ग
अमृतसर के लिये दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद, कोलकाता, आगरा और चंडीगढ़ सहित अन्य सभी शहरों रेल्वे सेवाये उपलब्ध है।
सड़क मार्ग
अमृतसर सड़क मार्ग से देश के सभी बड़े शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। ग्रांड ट्रंक रोड अमृतसर को दिल्ली से जोड़ता है। आईएसबीटी, दिल्ली से अमृतसर तक नियमित बसें उपलब्ध हैं। चंडीगढ़, डलहौसी, चंबा और धर्मशाला के बीच नियमित बस सेवा उपलब्ध है।
हवाई मार्ग
निकटतम हवाई अड्डा अमृतसर में राजा सांसी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। इसे श्री गुरु राम दासजी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी कहा जाता है, यह शहर के केंद्र से करीब 11 किलोमीटर दुरी पर स्थित है, और यह भारत के अन्य शहरों और कई अंतरराष्ट्रीय शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
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