स्टैच्यू ऑफ यूनिटी [ गुजरात ]
09 -10 -2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा स्टैचू ऑफ यूनिटी का अनावरण जब से कर था। जब से ही इसे देखने का प्लान था। परन्तु इस देखने का अवसर जब मिला जब हम द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन करने गए। आजाद भारत के पहले ग्रहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा स्टैचू ऑफ यूनिटी गुजरात के नर्मदा जिले के केवड़िया में साधु आईलैंड में स्थित है। यह पीएम मोदी जी का ड्रीम प्रॉजेक्ट है। यह विशाल प्रतिमा 7 किमी की दूरी से भी नजर आती है। मेरे प्रोग्राम के हिसाब से हम पहले स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने जाना है। और गुजरात के अन्य धार्मिक एवं पर्यटन स्थल देखने थे। सो हमने दिल्ली से वड़ोदरा कि हवाई जहाज कि चार टिकट बुक करा ली। धीरे धीरे वह समय भी आ गया जब हमें गुजरात दर्शन पर जाना था। सुबह 5.15 कि फ्लाइट थी। हमने सारी पैकिंग तो हमने पहले ही कर ली थी। समय पर हम इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे।
सुबह तकरीबन 6:15 बजे हम वडोदरा एयरपोर्ट पर पहुंचे। वहां से हम वडोदरा बस अड्डे पहुंचे जहां से हमें केवड़िया के लिए बस मिलती।
बस अड्डे पर पहुंच कर हमने अपना समान क्लोक रुम में जमा कर दिया। वहीं पर चाय नाश्ता किया बस अड्डे पर काफी भीड़ थी। वैसे तो वड़ोदरा से केवड़िया की दूरी 87 किलोमीटर है। परंतु बस काफी घूमकर जाती है जिससे कि 3-से 4 घंटे लग जाते हैं।
केवड़िया पहुंचते ही हम चल दिए सरदार पटेल की मूर्ति की तरफ हमने पहले से ही ऑनलाइन टिकट ले रखा था जिसकी जिसकी कीमत 350. है
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
राष्ट्रीय एकता दिवस…2014 से हर वर्ष 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन हर वर्ग के लोग रन फॉर यूनिटी (एकता दौड़) में भाग लेते है
अगर आपकी हाईट 6 फीट है तो ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ आपसे 100 गुना ज्यादा ऊंची है। भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री रहे सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 मीटर ऊंची (597 फीट) है, और ये दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। खास बात यह है कि इसे बनाने में 2,989 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं 42 महीनों में बनकर हुई तैयार…
सरदार पटेल की ये मूर्ति सरदार सरोवर बांध से 3.2 किलोमीटर दूर साधू बेट नाम के स्थान पर है जो नर्मदा नदी पर एक टापू है। 2012-13 में इस मूर्ति की नींव तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी और आज उन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर इस मूर्ति का अनावरण किया। इस मूर्ति को बनाने में 3000 से ज्यादा लोग और 250 से ज्यादा इंजीनियरों ने काम किया है। 25 मीटर के बेस पर रखा है मूर्ति को…
खास बात यह है कि इस मूर्ति की ऊंचाई 182 मीटर है, लेकिन अगर सिर्फ मूर्ति की ऊंचाई को देखें तो ये 167 मीटर ऊंची है। इस मूर्ति को 25 मीटर ऊंचे बेस पर रखा गया है जिस कारण इसकी ऊंचाई 182 मीटर हो जाती है।
स्टैच्यू आफ यूनिटी जहां राष्ट्रीय गौरव और एकता का प्रतीक है वहीं यह भारत के इंजीनियरिंग कौशल तथा परियोजना प्रबंधन क्षमताओं का सम्मान भी है।
स्टैच्यू आफ यूनिटी की यह मूर्ति सरदार वल्लभ भाई पटेल की है, जो हमेशा जमीन से जुड़े रहे और अब वे आसमान की भी शोभा बढ़ा रहे हैं।
‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ ऊंचाई में अमेरिका के ‘स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी’ (93 मीटर) से दोगुना है।इस मूर्ति में दो लिफ्ट भी लगी है, जिनके माध्यम से आप सरदार पटेल की छाती पर्यटक पहुंचते हैं, और वहां से सरदार सरोवर बांध का नजारा देख सकते हैं, खूबसूरत वादियों का मजा ले सकते हैं। सरदार की मूर्ति तक पहुंचने के लिए पर्यटकों के लिए पुल और बोट की व्यवस्था है।
इंजीनियर्स ने इस मूर्ति के कंस्ट्रक्शन को चार चरणों में पूरा किया गया है, जो इस प्रकार है:-
(1)मॉक-अप, (2)3डी
(3)स्कैनिंग तकनीक, (4)कंप्यूटर न्यूमैरिकल कंट्रोल प्रोडक्शन तकनीक, वहीं मूर्ति के नीचे के हिस्से को ऊपर के हिस्से की तुलना में थोड़ा पतला किया गया है। मूर्ति के निर्माण में सबसे बड़ी चुनौती इसे भूकंप और अन्य आपदा से बचाव करना था।
खास बात यह है कि यह स्टैच्यू 180 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाली हवा में भी स्थिर खड़ा रहता है। यह 6.5 तीव्रता के भूकंप को भी सह सकता है, इस मूर्ति के निर्माण में भारतीय मजदूरों के साथ 200 चीन के कर्मचारियों ने भी हाथ बंटाया है, इन लोगों ने सितंबर 2017 से ही दो से तीन महीनों तक अलग-अलग बैचों में काम किया।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की इस मूर्ति में 4 धातुओं का उपयोग किया गया है जिसमें बरसों तक जंग नहीं लगेगी, स्टैच्यू में 85 फीसदी तांबा का इस्तेमाल किया गया है।
दिखने में जितनी खास ये प्रतिमा है, उतनी ही खास इसकी बनावट है। यह कॉम्पोजिट प्रकार का स्ट्रक्चर है और सरदार पटेल की मूर्ति के ऊपर ब्रॉन्ज की क्लियरिंग है, इस प्रोजेक्ट में एक लाख 70 हजार क्यूबिक मीटर कॉन्क्रीट लगा है। साथ ही दो हजार मीट्रिक टन ब्रॉन्ज लगाया गया है।
इसके अलावा 5700 मीट्रिक टन स्ट्रक्चरल स्टील और 18500 मीट्रिक टन रिइनफोर्समेंट बार्स भी इस्तेमाल किया गया है, यह मूर्ति 22500 मीट्रिक टन सीमेंट से बनी है। इस विशाल प्रतिमा की ऊंचाई 182 मीटर है, इस मूर्ति को बनाने में करीब 44 महीनों का वक्त लगा है।
इस लौह पुरुष की मूर्ति के निर्माण में लाखों टन लोहा और तांबा लगा है और कुछ लोहा लोगों से मांगकर लगाया है, इस मूर्ति को बनाने के लिए लोहा पूरे भारत के गांव में रहने वाले किसानों से खेती के काम में आने वाले पुराने और बेकार हो चुके औजारों का संग्रह करके जुटाया गया। इसके लिए एक ट्रस्ट भी बना “सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट”. इसकी नींव 2013 में पीएम मोदी ने रखी थी।
बस सबसे पहले सरदर पटेल कि मूर्ति के पास पहुंची बस फुली ऐसी थी समान चेक करने के बाद हम चल दिए स्टैच्यू कि तरफ गर्मी काफी थी। हमने स्टैच्यू को अच्छे से देखा।
फिर हम चल दिए लिफ्ट कि तरफ काफी देर बहर का व्यू देखने के बाद हम नीचे आ गये।
फिर हमने बाकी पॉइंट बीके सरदार सरोवर डैम और अन्य पॉइंट जैसे फूलों का बगीचा सरदार सरोवर डैम फिर चल दिए हम बस डिपो कि तरफ जो काफी दुर था
बस कि काफी ख़राब सर्विस होने कि वजह से हम काफी परेशान हुए इस वजह से हम वड़ोदरा काफी लेट पहुंचे। वहां से हम चल दिए अहमदाबाद वहां मेरे रिस्तेदार रहते हैं रात वहीं रुके। रात को तकरीबन हम 11.00 बजे पहुंचे।