एक सुबह और एक रात शहर-ए-नैनीताल की

Tripoto
18th Oct 2020
Photo of एक सुबह और एक रात शहर-ए-नैनीताल की by Yadav Vishal
Day 1

नैनी झील और नैना देवी मंदिर नैनीताल 

नैनी झील और नैना देवी मंदिर लगभग 2084 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। नैनी झील नैनीताल के बीचो-बीच बनी एक 2 मील लम्बी झील है जो की पहाड़ी से गुर्दे के आकार की दिखती है, इसके उत्तरी छोर पर नैना देवी मंदिर है।

नैनीताल आने वाले पर्यटकों के बीच सबसे लोकप्रिय झील नैनी झील को सबसे पहले सबसे पहले 1841 में पी  बैरन ने देखा था जो की एक अंग्रेज व्यापरी थे और अक्सर यंहा से कुमाऊं व्यापर करने जाते थे. उस समय नैनीताल नाम का कोई शहर या गाँव इसके आसपास नहीं था, 1880 में आये भूस्खलन के बाद जब यहाँ पहाड़ी का एक बड़ा हिस्सा खिसक गया तो लोगो ने उस हिस्से पर घर बना लिए और इस जगह का नाम पड़ा नैनीताल।

नैनी झील और नैना देवी मंदिर नैनीताल की कहानी

Photo of एक सुबह और एक रात शहर-ए-नैनीताल की by Yadav Vishal
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नैनी झील और नैना देवी मंदिर का इतिहास भगवान शिव से जुडा है जो की कई भारतीय ग्रंथो में लिखा है।कहानियो के अनुसार दक्ष प्रजापति ने देवी देवताओं के कहने पर न चाहते हुए भी भगवान शिव से अपनी पुत्री सती का विवाह करवाया था।एक बार दक्ष ने यज्ञ करवाया और समस्त देवी देवताओ को उसमे शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा लेकिन भगवान शिव को जान -बूझ कर नहीं बुलाया।

देवी सती को जब पति के इस अपमान का पता चला तो वो दुखी होकर उस जगह पहुंची जहाँ यज्ञ हो रहा था और उस यज्ञ में कूद गई ताकि उनके पति का अपमान कर हो रहा यज्ञ असफल हो जाए। जब भगवान शिव को इस बात का पता चला तो वे क्रोधित होकर दक्ष के हवन यज्ञ को तेहस नहस कर देते है ये सब देखने के बाद ब्रह्मांड में देवी देवताओ को लगा की अब भगवन शिव अपनी तीसरी आँख खोलेंगे और प्रलय होगी। किसी तरह उन्होंने शिव के क्रोध को शांत करवाया और प्रजापति ने उनसे माफ़ी मांगी।वैराग्य से भर चुके भगवान शिव ने देवी के जलते शरीर को उठाकर आकाश भ्रमण करना शुरू जकर दिया भ्रमण के दौरान जलते हुए शरीर से देवी के अंग जमीन पर गिरने लगे ।

इसी दौरान देवी सती के नयन जहाँ गिरे वह नंदा देवी अर्थात नैना देवी मंदिर की स्थापना हुई और जन्हा अश्रुधरा गिरी वहां बन गया ताल। देवी सती के शरीर के कुल 64 टुकड़े गिरे और जहाँ जहाँ गिरे वहां एक शक्तिपीठ स्थापित हुआ, ये कहानी भारत के कई ग्रंथो में लिखी वरना तो कई मनगढ़ंत कहानिया मिल जाती है।

नैनी झील के बारे में ये भी कहा जाता है की एक बार तीन ऋषि अत्री , पुलस्त्य और पुलह जब इस इलाके से गुजर रहे थे तब उन्हें कहीं भी पानी नहीं मिला उन्होंने यंहा गड्ढा खोदा और उसमे तिब्बत की मानसरोवर झील का पानी भर दिया. उसी से ये झील बनी और इसमें नहाने से उतना ही पुन्य मिलता है जितना मानसरोवर से मिलता है,  एसा एक हिन्दू ग्रंथ स्कंद पुराण में लिखा है।

Photo of एक सुबह और एक रात शहर-ए-नैनीताल की by Yadav Vishal
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नैनी झील और नैना देवी मंदिर की मेरी यात्रा-

Photo of एक सुबह और एक रात शहर-ए-नैनीताल की by Yadav Vishal

नैनीताल भ्रमण पर जाना हमारे लिस्ट में था नहीं पर वो कहते हैं ना जब किस्मत में लिखा हो तो आप कुछ नहीं कर सकते सिर्फ एक सुबह और एक रात मैं नैनीताल में रुका।

जब मै नैनीताल भ्रमण पर गया था तब पर्यटकों से नैनीताल भरा हुआ था, मैदानी इलाको में बड़े बड़े पोस्टर लगे थे की नैनीताल में पार्किंग की जगह नहीं बची है अत: पर्यटक अपने निजी वाहन न ले जाये।खैर हम एक टैक्सी से गये जिसे ले जाने की अनुमति थी। पार्किंग के पास से लाल छत्त दिखाई दी और वहां मौजूद लोगो से पूछने पर पता चला नैना देवी मंदिर की छत्त है इसलिए नैनीताल में सबसे पहली जगह जहाँ मैे घूमने गया गया वो थी नैना देवी मंदिर और उसके पास बनी नैनी झील।

Photo of एक सुबह और एक रात शहर-ए-नैनीताल की by Yadav Vishal


अंदर घुसते ही सामने पीपल का पेड़ अत है और बगल में हनुमान जी का मंदिर, नैना देवी मंदिर में कुल तीन देवी देवताओ की मुर्तिया है और दो नयन जो की नैना देवी के नयन के रूप में पूजे जाते है।मंदिर से कुछ कदम दुरी पर है नैनीताल की नैनी झील जो की पहाडियों से घिरी है उत्तर पूर्व में नैना पीक पश्चिम दक्षिण में टिफ़िन टाप है. अपने बुरे दौर से गुजर रही नैनी झील अब भी पर्यटकों के बीच सबसे प्रसिद्ध झील है, साल दर साल इसका पानी घट रहा और प्लास्टिक के वजहसे प्रदूषित भी हो रहा है खैर असंतुलन के बावजूद भी नौकायन के लिए झील सर्वोत्तम है। हमने नौकायन का आनंद भी उठाया।

नैनी झील के एक किनारे पर सेलिंग / याच भी करवाई जाती है अगर आप इच्छुक है तो साथ में साल में एक बार kumaun festival का भी आयोजन होता है।

Photo of एक सुबह और एक रात शहर-ए-नैनीताल की by Yadav Vishal
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नैनी झील और नैना देवी मंदिर की कुछ अन्य जानकारी-

यंहा घुमने का सबसे बढिया समय है अक्टूबर से मार्च लेकिन इसके उल्ट जून जुलाई में यंहा पर्यटक ज्यादा आते है । नैनताल का अधिकतम तापमान 24 डिग्री है। अगर जून जुलाई में जाते है तो भीड़ के वजह से काठगोदाम के बाद निजी वाहन ले जाने में दिक्कत होगी अत: कोशिश रहे की अक्टूबर में जाया जाए। नजदीकी रेलवे स्टेशन है काठगोदाम और वह से टैक्सी जिसका किराया है 1000-1500 रुपए एक तरफा. पन्त नगर हवाई अड्डा शहर से 30 km दूर है और बस स्टैंड यही झील के पास एक पुलिया पर स्थित है जहाँ से आसपास के बड़े शहरो में बस निरंतर जाती रहती है।

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