सरिस्का अभयारण्य में नलदेश्वर धाम के बारे में आपने शायद ही सुना हो। मैंने भी जब ये सुना की अमरनाथ जैसी सुरम्य गुफा जिसमें शिव जी विराजमान हैं। वैसी ही एक गुफा राजस्थान के अलवर जिले में भी स्थित हैं। तो मुझे भी काफी आश्चर्य हुआ और जिज्ञासा भी हुई कि जरूर दर्शन के लिए जाऊं। अलवर जिले में प्राकृतिक मनमोहक स्थलों में नलदेश्वर का नाम प्रमुख रूप से आता है। यहां आप सुरम्य पहाड़ियों के बीच प्राकृतिक सौन्दर्य का आनंद भी ले सकते हैं और साथ ही भोलेबाबा के दर्शन करने का सौभाग्य तो आपको मिलेगा ही। इससे अच्छे और क्या बात हो सकती है एक घुमकड़ी के लिए की ईश्वर के दर्शन के साथ साथ प्राकृतिक सौंदर्य के भी दर्शन हो। चलिए, आज आपको बताते हैं भोले बाबा के स्थान नलदेश्वर धाम के बारे में-
नल्देश्वर तीर्थ भगवान शिव को समर्पित एक गुफा है। इसमें एक शिवलिंग है जो कई सदियों से है। 18 वीं शताब्दी में, शिव-लिंग की रक्षा के लिए एक मंदिर बनाया गया था, और इस स्थान का नाम नल्देश्वर तीर्थ रखा गया था।
यह धाम अलवर और थानागाजी के मध्य अरावली की पहाड़ियों में स्थित है। यदि आप सड़क मार्ग से यहां जाना चाहते हैं तो बारां से आगे चलने पर अलवर - थानागाजी के बीच की ये पहाड़ियां स्थित है। इसी सड़क के बाईं ओर पहाड़ी की घाटी से अन्दर जाने वाला रास्ता आपको सीधा नलदेश्वर की ओर ले जाएगा । रास्ते में काफी बड़े बड़े पत्थर गिरे हुए है। रास्ता थोड़ा पथरीला है। साथ ही थोड़ा सूनसान भी। जब भी भोले बाबा के दर्शन के लिए जाएं तो अकेले ना जाएं। दर्शन के लिए जाने से पूर्व इन बातों ध्यान ज़रूर रखें। मेरे लिए तो ये यात्रा काफी एडवेंचरस थी। चारो तरफ से विशाल पहाड़, बहुत ही अदभुत शांति प्रिय दृश्य था।
नलदेश्वर में महादेव जी का मंदिर है जिसमें स्थानीय लोगों की बड़ी आस्था है। यहां तक पहुंचने के लिए आपको सैकड़ों की संख्या में सीढ़िया चढ़नी पड़ेंगी। ऊपर बनी मन्दिरनुमा चट्टान से निरंतर पानी गिरता रहता है। बीहड़ घनघोर जंगल, पहाड़ी नाला और एक नैसर्गिक कुंड यहां की शोभा में और भी बढ़ोतरी करते हैं।
बरसात के समय में यह स्थान काफी सुरम्य हो जाता है। आप पिकनिक के लिए भी यहां जा सकते हैं। यहां न सिर्फ स्थानीय लोग आते हैं, बल्कि दूर—दराज के इलाकों में भी इसकी मान्यता है और लोग यहां अपनी मन्नत पूरी करने के लिए आते हैं।
मन्दिर में दर्शन का समय:
मंदिर सुबह से सायं 5 बजे तक दर्शन के लिए खुला रहता है। सोमवार और शिवरात्रि पर तो यहां लोगों का काफी जमावड़ा रहता है।
कैसे पहुंचे अलवर :
अलवर शहर रेल और सड़क मार्ग से बड़े महानगरो से जुड़ा हुआ है , मै आपको सलाह दूंगी के अगर आप दिल्ली या जयपुर से है तो अलवर अपने परिवार या दोस्तों के साथ रोड ट्रिप पर आयें। अलवर जयपुर से 120 किलोमीटर और दिल्ली से 163 किलोमीटर दूर है और यहाँ तक पहुँचने के लिए शानदार सड़क मार्ग है। अगर आप खुद ड्राइव करके आने की बजाय आराम से मजेदार ट्रिप करना चाहते है तो अलवर तक इन दोनों शहरो से सस्ती कैब भी मिल सकती है।
अलवर भारत के सभी शहरों से हवाई, रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा है। यदि आप सड़क मार्ग से नलदेश्वर धाम जाना चाहते हैं तो बारां से आगे चलने पर अलवर—थानागाजी के बीच की ये पहाड़ियां स्थित है। इसी सड़क के बाईं ओर पहाड़ी की घाटी से अन्दर जाने वाला रास्ता आपको सीधा नलदेश्वर धाम की ओर ले जाएगा।
यह पवित्र स्थान परिवार और दोस्तों के साथ घूमने के लिए काफी अच्छा है, खाश कर उन लोगो के लिए जो प्राकृतिक और धार्मिक स्थल प्रेमी है। यदि आप अलवर से हैं या अलवर के बाहर से हैं। अपितु दोनों ही स्थिति में नलदेश्वर धाम की एक यात्रा की योजना अवश्य बनाएं।
अभी के लिए नलदेश्वर धाम की अदभुत सुंदरता के दर्शन आप मेरे द्वारा ली गई तस्वीरों द्वारा कीजिए। 💁🏻♀️....
मेरी यात्रा का वर्णन आप सभी को कैसा लगा। अपने विचार अवश्य व्यक्त करे।
अभी तक के लिए इतना ही…. तो मिलते है फिर अगले ब्लॉग में।……💁