औली पहारों के बीच एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है जो पूरी दुनिया में स्कीइंग के लिए प्रसिद्ध है। यह जगह ओक धार वाली ढलानों और सब्ज़ शंकुधारी जंगलों के लिए जानी जाती है। मान्यताओं के अनुसार, गुरु आदि शंकराचार्य इस पवित्र स्थान पर आए थे। इस जगह को ’बुग्याल ’ भी कहा जाता है जिसका स्थानीय भाषा में अर्थ है ’घास का मैदान’। ओस की ढलानों पर चलते हुए पर्यटक नंदादेवी, मान पर्वत तथा कामत पर्वत शृंख्ला के अद्भुत नज़ारें देख सकते हैं। यात्री इन ढलानों से गुज़रने पर सेब के बाग और हरेभरे देवदार के पेड़ देख सकते हैं
औली का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल, नंदप्रयाग, अलकनंदा और नंदाकिनी नदियों के संगम पर स्थित है। हिंदू धर्म के लोगो के लिए इस संगम में डुबकी लगाना धार्मिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। केदारनाथ ओर बद्रीनाथ के लिए यह प्रवेश द्वार है यह जगह सरकार द्वारा बनाई गई कृत्रिम औली झील के लिए प्रसिद्ध है जो विशेष रूप से कम बर्फबारी के महीनों में नई स्की ढलानों पर कृत्रिम बर्फ उपलब्ध कराने के लिए उपयोग की जाती है। यह जगह कोनिफर और ओक के हरेभरे जंगलों से घिरी हुई है। औली के पास स्थित छोटे से गाँव ’सैलधर तपोवन’ में यात्री एक प्राकृतिक झरना और एक मंदिर भी देख सकते हैं। औली की बर्फीली ढलानों पर स्कींइग का भरपूर मज़ा लिया जा सकता है। एशिया की सबसे लंबी केबल कार औली में है जो 4कि.मी. की दूरी तय करती है। केबल कार को गोंडोला कहते हैं जिसमें चेअर लिफ्ट और स्की लिफ्ट की सुविधा उपलब्ध है।
औली कैसे पहुंचे
औली तक यात्री आसानी से वायुमार्ग, रेलमार्ग तथा सड़कमार्ग द्वारा पहुँच सकते हैं। औली का निकटतम एयरपोर्ट देहरादून का जौली ग्रांट हवाईअड्डा है और निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार रेलवे स्टेशन है। आप यहा से औली के लिए बस ले सकते है ।