आज ग्यारहवॉं और अन्तिम दिन हैं। हमारी कैलाश यात्रा भोले बाबा की कृपा से और अपनो की दुआओं से बिना किसी कष्ट के पूर्ण हुई। लखनऊ होटल में नाश्ता करने के बाद निकलने की तैयारी शुरू हो गई। ग्रुप के अन्य सदस्यों से विदाई लेकर करीब 11 बजे हम दोनो लखनऊ से दिल्ली के लिये निकल पड़े। आराम से ड्राइव करते हुए हम दोनो रात करीब 8.30 बजे तक घर पहुंच गये। ऐसा नहीं है कि इससे पहले कोई यात्रा नहीं की थी, पर ये यात्रा अद्भूत थी या अद्भूत है। अब मैं आपको बताती हूँ कि ये यात्रा अलग क्यूँ है।
कैलाश पर्वत - जहाँ शिव आज भी अपने परिवार के साथ रहते हैं। यह एक पवित्र पुज्यनीय स्थान हैं। इसलिये इस पर्वत की परिक्रमा की जाती हैं। कैलाश एक रहस्यमयी पर्वत हैं। आज तक कोई भी कैलाश पर्वत पर चढ़ाई नही कर पाया। जिन्होने भी कोशिश की वो या तो रास्ता भटक गये या धड़कने बढ़ जाने के कारण या घबराहट की वजह से आगे नही जा पाये। कैलाश पर्वत को धरती का केन्द्र भी कहा जाता है। यहां के वातावरण में आलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है। जिसे आप अनुभव कर सकते हैं। कैलाश चारो दिशाओं का सूचक भी हैं। यहां पर कंपास भी काम नही करता। माना जाता हैं के यहां चारों दिशायें मिलती हैं। यहाँ से संसार की चार विशाल नदियाँ निकलती हैं- सतलुज, सिन्धु, घाघरा और ब्रह्मपुत्र नदी। और ये चारों नदियाँ इस पर्वत को चार अलग-अलग भाग में बाँटती हैं। ध्यान से सुनने पर कैलाश पर्वत के वातावरण मे 'ओम' का स्वर सुनाई पड़ता है। दूर से कैलाश पर्वत एक विशाल शिवलिंग की तरह प्रतीत होता हैं जो सदा बर्फ से ढका रहता हैं। अगर कैलाश के नजदीक से दर्शन करो तो लगता हैं भोले बाबा तपस्या की मुद्रा में एकदम शांत बैठे है। यहां पर बहने वाली दोनो झीले भी अपने आप में अजूबा हैं। साथ साथ होने के बावजूद दोनो की प्रकृति एकदम अलग हैं। एक मीठे पानी का सरोवर हैं दुसरा खारे पानी का। एक सरोवर मे जीवन हैं दुसरे में नही। मानसरोवर जहाँ सूर्य के आकार का हैं वहीं राक्षस ताल चन्द्रमा के आकार का। माना जाता हैं कि मानसरोवर में आज भी ब्रह्म मुहूर्त मे सभी देवी देवता नहाने आते हैं। भोले बाबा यहां आने वालों को अपने किसी ना किसी रुप में दर्शन जरुर देते हैं। यही कारण हैं कि यहां आना आसान भी नहीं हैं। अच्छे अच्छे लोगों को यहाँ हिम्मत हारते देखा हैं। हमारे ही ग्रुप के 75 साल के दादाजी पूरी यात्रा में स्वस्थ रहे और वहीं 28 साल के लड़के की पूरे रास्ते तबीयत खराब ही रही। हाँ पर किसी को भी बहुत गम्भीर समस्या नहीं हुई।
कैलाश यात्रा अति दुर्गम यात्रा हैं।
पर ये सही हैं कि कैलाश यात्रा - विश्वास की यात्रा है.....
आस्था की यात्रा है.....
'सत्यम शिवम सुन्दरम् ' के साक्षात्कार की यात्रा है.....
शिव के हस्ताक्षर की यात्रा है.....
जीवन के परिवर्तन की यात्रा है......
ॐ नम: शिवाये 🙏🏻
I love you Shivaye ❤