कैलाश से प्रस्थान
आज हमारे ग्रुप के लोग जो परिक्रमा के लिये गये थे, वापिस आ जायेंगे। सुबह हम सब जल्दी तैयार हो गये क्योंकि आज वापिसी के लिये भी निकलना था। मौसम अच्छा था। करीब 8 बजे हमारे ग्रुप के लोग वापिस आ गये। हमने पूरी गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया। सबके चेहरों पे थकावट थी पर आँखों में परिक्रमा पूरी करने की चमक भी थी। हम सबने एक साथ नाश्ता किया और करीब 9 बजे वापिसी के लिये निकल पड़े।
घन्टे भर मे हम मानसरोवर पहुंच गये जहां हमें बस बदलनी थी इसलिये करीब 40-45 मिनट हमें वहां रुकना पड़ा। आज भी हमने मानसरोवर में खूब फोटोग्राफी की।
फिर पुरांग के लिये निकल पड़े। दोपहर 1 बजे तक पुरांग पहुंचे। जहाँ हमने लंच किया। लंच के बाद हमें हिलसा पहुंचने में शाम के 4 बज गये। सब चाहते थे की आज हिलसा ना रुककर और आगे निकल जायें। अब सबको घर जाने की जल्दी थी। किसी ने सही कहा है कि काम खत्म होते ही घर की याद आती हैं। हम सब का हाल भी कुछ ऐसा ही था। भोले बाबा के दर्शन हो गये थे और अब घर की और अपनो की याद आ रही थी। आज से हम सब के नाम के आगे कैलाशी लग गया। जब कोई कैलाश यात्रा कर लेता हैं उसे कैलाशी बोलते है। लोग बताते हैं कि यहां आने पर भी कभी कभी भोले बाबा के दर्शन नही हो पाते हैं। जैसा कि हमारे बेंगलुरु के एक साथी ने बताया था कि उसके चाचा पिछ्ले 4-5 साल से लगातार कैलाश आये पर उन्हें एक बार भी दर्शन नही हुए। पर इस मामले मे हम सब बहुत ही खुशकिस्मत रहे। भोले बाबा ने हमें बहुत अच्छे से दर्शन दिये। हिलसा में हम उसी guest house में रुके, जहाँ जाते वक़्त रुके थे। डिनर करने के बाद हम सभी डाइनिंग हाल में देर रात तक बातें करते रहे....भगवान की बातें, कैलाश की बातें, राम- रामायण की बातें, राजनीति की बातें और चीन की बदइन्तज़ामी की भी बातें....बातें-बातें बहुत सारी बातें। क्युंकि सबको पता था कि कल के बाद सब अपने अपने शहर लौट जायेंगे। यहीं सभी ने अपने फोन नंबर exchange किये और एक whatsapp ग्रुप बनाने की भी बात हुई।