मेरी कैलाश मानसरोवर यात्रा - छठा दिन

Tripoto
7th Oct 2020
Photo of मेरी कैलाश मानसरोवर यात्रा - छठा दिन by Kalpana Srivastav
Day 6

मानसरोवर स्नान और पूजा 🙏🏻
ब्रह्म मुहूर्त में मानसरोवर के दर्शन के लिये हम सब 3.00 बजे उठकर बाहर तो आ गये पर बाहर घुप्प अंधेरा था। तेज बारिश और जंगली कुत्तों के डर की वजह से हम आगे नही जा पाये। फिर अपने कमरे की खिड़की से ही मानसरोवर को निहारते रहे।

खिड़की के सामने मानसरोवर

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करीब 7.00 बजे हम सब अपनी बची हुई मानसरोवर परिक्रमा पूरी करने और पूर्व निर्धारित स्थान पर पूजा-स्नान के लिये बस से निकल पड़े। बारिश अभी भी हो रही थी। मानसरोवर का अर्थ हैं मन का सरोवर। जिस सरोवर में देवी-देवता स्नान करते हैं। उसी सरोवर में हम भी स्नान करने जा रहे थे। आधी परिक्रमा हमने कल कर ली थी। समुद्रतल से लगभग 4556 मीटर की ऊंचाई पर यह मीठे पानी की झील आज भी वैज्ञानिकों के लिए गहन अध्ययन का विषय हैं। बस से ही इस झील की परिक्रमा होती हैं। बीच मे रुक कर हमने अपने केन में सरोवर का जल भरा।

मानसरोवर जल भरते हुए

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लगभग 9.00 बजे तक सब नहाकर पूजा-अर्चना के लिये तैयार हो गये थे। यहां डुबकी लगा कर नहाना मना हैं। बाल्टी भर कर अलग से नहाना पड़ता हैं। पानी एकदम साफ और नीला था। नीचे तक साफ दिखाई पड़ रहा था। पानी ठंडा भी बहुत था, इसलिये एक बाल्टी ही अपने ऊपर उडेलने के लिये बहुत थी। मानसरोवर के किनारे से ही घर लाने के लिये छोटे-छोटे पत्थर चुने। यहां कोई मंदिर तो हैं नही इसलिये प्रसाद के लिये मानसरोवर का जल और ये पत्थर ही हैं अपने लिये और अपने परिजनो के लिये। मैंने इसे अपने घर के मंदिर मे रखा हैं और शिवलिंग की तरह ही पूजा करती हूँ। पंडितजी ने बहुत अच्छे से पूजा करवाई।

प्रार्थना 🙏🏻

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यहां भगवान स्वयं आते हैं-स्नान के लिये

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स्नान के बाद प्रार्थना

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👆Monestery

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Isha foundation's camp

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पूजा करते हुए

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हवन करते हुए

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भोले का रंग

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भोले के भक्त

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मानसरोवर

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लगभग 11.00 बजे हम यहां से आगे जाने के लिए निकले। यूँ तो सभी का यहाँ और रुकने का बहुत मन था पर अभी हमारी यात्रा बाकी थी। हम दारचीन के लिए निकल पड़े, जो वहाँ से लगभग 53 किमी दूर था। दारचीन ही कैलाश का base camp हैं। हम लोग दारचीन करीब 2.00 बजे पहुंच गये। इस होटल में और भी ग्रुप थे। जिसमे कुछ यात्रा करके आ गये थे, कुछ कल यात्रा के लिए जायेंगे। होटल मे सुविधा के नाम पे कुछ भी नही था। एक कमरे मे 4 पलंग थे जिसमे हम चार लोग रुके। बाथरूम में गरम पानी भी नहीं था। वैसे यहां नहाने का मौसम था भी नही। हमारा ही ग्रुप सबसे छोटा रहा वरना यहां तो किसी का ग्रुप 50-75 सदस्यों से कम नहीं था। कमरे में घुटन ज्यादा थी इसलिये हम सभी ज्यादातर समय छत पर बिताते थे, जो चारों तरफ से ग्लास से कवर थी। यही डाइनिंग रुम भी था। सभी के सिर मे दर्द हो रहा था किसी के ज्यादा तो किसी के कम। मैने भी सिर दर्द की वजह से गाईड द्वारा बताई दवाई खा ली और हम नीचे मार्किट घुमने आ गये। थोड़ी देर में मेरी तबीयत खराब होने लगी। मेरे पुरे शरीर में झनझनाहट होने लगी। हम दोनो रुम में आ गये। घबराहट के कारण मैं रोने लगी। मुझे लगा मैं शायद वापिस घर नही जा पाऊंगी। फिर विनय ने गाईड से पुछा तो उसने बताया कि ये दवाई खाने से किसी-किसी को ऐसा होता हैं अभी थोड़ी देर में तबीयत ठीक हो जायेगी। थोड़ी देर बाद हम फिर मार्किट घुमने चले गये पर बहुत ठंड होने की वजह से जल्दी ही वापिस आ गये। डिनर के बाद काफी देर तक वही छत पर सब गप्पें मारते रहे। कल हमे कैलाश दर्शन के लिये जाना था।