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पहले राक्षस ताल फिर मानसरोवर के दर्शन
आज का दिन हम सब के लिये बहुत खास है। आज हम मानसरोवर के दर्शन करेंगे।
सुबह जल्दी तैयार होकर सभी अपने आवश्यकतानुसार खरीदारी के लिये बाज़ार आ गये।
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लंच करके हम लोग करीब दोपहर 1 .30 बजे पुरांग से मानसरोवर के लिये निकल पड़े। अब हमारी आगे की सारी यात्रा बस ही से होनी थी। यहां की बस और सड़क दोनो ही बहुत अच्छी थी। बस में बैठने के बाद सबने जोर से भोले बाबा का जयकारा लगाया। जयकारे से ही पता चल गया कि सब दर्शन के लिये कितने उत्साहित हैं।
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अभी हमें चले हुए 15 मिनट भी नहीं हुए थे कि हमने देखा आसमान में बादलो से त्रिशूल बना हुआ था। सभी भावविभोर हो गये और इसे शुभ संकेत मानकर हाथ जोड़े।
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करीब शाम 3.00 बजे हम राक्षसताल पहुंचे। इसी जगह रावण ने शिवजी की तपस्या की थी। रावण ने तपस्या के बाद नहाने के लिये ये ताल बनाया था पर नहाने के बाद ही उसमें बुरे विचार आ गये, इसलिये इसे राक्षसताल कहते है। साफ मौसम की वजह से हमें यहीं से कैलाश पर्वत के पहले दर्शन हुए। हमारे गाईड जिम्मी ने बताया कि यहां से कैलाश के दर्शन बहुत दुर्लभ हैं और किस्मतवालों को ही होते हैं। मानसरोवर के पास होने के बावजूद भी इस ताल का पानी एकदम खारा है इसलिये यहां का ना कोई पानी पीता हैं और ना ही नहाता हैं। जबकी मानसरोवर शुद्धत्ता और जीवन से भरपुर है
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कुछ समय यहां बैठकर करीब शाम 5.00 बजे हम मानसरोवर पहुंचे। हम जिस होटल में रुके थे वो अभी नया-नया बना था और उसका उदघाटन हमने ही किया। हमें जो रुम मिला था उसकी खिड़की मानसरोवर की तरफ खुलती थी। होटल से मानसरोवर सिर्फ आधा किमी ही था पर किसी की भी जाने की हिम्मत नही हुई क्युंकि जिम्मी ने बताया कि वहां कुछ खतरनाक जंगली कुत्ते हैं जो हमला कर सकते हैं। वैसे भी अंधेरे के साथ-साथ बारिश भी बढ़ रही थी। होटल में बिजली नहीं थी इसलिये मोमबत्ती और मोबाइल की लाईट का ही इस्तेमाल हो रहा था। ठंड बहुत थी। ठंड से ज्यादा यहां की तेज बर्फीली हवा बहुत खतरनाक थी। अगर सिर और कान ढक कर नही रखो तो भयंकर सिरदर्द हो जाता था। कैंडल लाईट डिनर करने के बाद हम हाल में बैठे थे तो हमारे ग्रुप के एक लड़के जिसकी उम्र करीब 23-24 साल की होगी उसने बताया कि अभी शाम को वो मानसरोवर की तरफ अकेला ही चला गया था। मानसरोवर पर छोटे छोटे शिवलिंग बने हुए थे (लोग पूजा करने के लिये ऐसे मिट्टी के शिवलिंग बनाते हैं)। वो वहां बैठकर पूजा करने लगा। जब उसने आँखे खोली तो एक बड़ा सा जंगली कुत्ता (शेर के आकार जैसा) उसे सूंघ रहा था। वो घबरा गया पर वो बाबा का जाप करता रहा। कुत्ता उसके चक्कर काटने लगा। वो बाबा का नाम लेकर उठा और होटल की तरफ बढ़ने लगा। कुत्ता भी साथ साथ ही चलता रहा और होटल के पास आते-आते वो कुत्ता कहाँ चला गया उसको नही पता चला। यह बताते समय भी उसकी आवाज में घबराहट साफ पता चल रही थी। कहते हैं, मानसरोवर में ब्रह्म मुहूर्त सुबह 3.00 बजे देवी देवता नहाने आते हैं। लोग वहां सुबह 3.00 बजे से ही बैठ कर पूजा अर्चना करते हैं। हमने भी ब्रह्म मुहूर्त में जाने का प्रोग्राम बनाया और सभी अपने अपने मोबाइल पे अलार्म लगा के सोने चले गये।
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