मथुरा (भगवान कृष्ण की जन्मभूमि)

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श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा के कारागार में हुआ था। पिता का नाम वासुदेव और माता का नाम देवकी। दोनों को ही कंस ने कारागार में डाल दिया था। उस काल में मथुरा का राजा कंस था, जो श्रीकृष्ण का मामा था। कंस को आकाशवाणी द्वारा पता चला कि उसकी मृत्यु उसकी ही बहन देवकी की आठवीं संतान के हाथों होगी। इसी डर के चलते कंस ने अपनी बहन और जीजा को आजीवन कारागार में डाल दिया था।

मथुरा यमुना नदी के तट पर बसा एक सुंदर शहर है। मथुरा जिला उत्तरप्रदेश की पश्चिमी सीमा पर स्थित है।

मथुरा भारत का प्राचीन नगर है। यहां पर से 500 ईसा पूर्व के प्राचीन अवशेष मिले हैं, जिससे इसकी प्राचीनता सिद्ध होती है। उस काल में शूरसेन देश की यह राजधानी हुआ करती थी। पौराणिक साहित्य में मथुरा को अनेक नामों से संबोधित किया गया है जैसे- शूरसेन नगरी, मधुपुरी, मधुनगरी, मधुरा आदि। उग्रसेन और कंस मथुरा के शासक थे जिस पर अंधकों के उत्तराधिकारी राज्य करते थे।

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वराह पुराण एवं नारदीय पुराण ने मथुरा के पास के 12 वनों की चर्चा की है- 1. मधुवन, 2. तालवन, 3. कुमुदवन, 3. काम्यवन, 5. बहुलावन, 6. भद्रवन, 7. खदिरवन, 8. महावन (गोकुल), 9. लौहजंघवन, 10. बिल्व, 11. भांडीरवन एवं 12. वृन्दावन। इसके अलावा 24 अन्य उपवन भी थे।

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जहां भगवान कृष्ण का जन्म हुआ पहले वह कारागार हुआ करता था। यहां पहला मंदिर 80-57 ईसा पूर्व बनाया गया था। इस संबंध में महाक्षत्रप सौदास के समय के एक शिलालेख से ज्ञात होता है कि किसी 'वसु' नामक व्यक्ति ने यह मंदिर बनाया था। इसके बहुत काल के बाद दूसरा मंदिर सन् 800 में विक्रमादित्य के काल में बनवाया गया था, जबकि बौद्ध और जैन धर्म उन्नति कर रहे थे।

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