सायन किला
सायन दुर्ग एक पहाड़ी किला है जो मुंबई शहर में स्थित है। इसका निर्माण गवर्नर जेरार्ड अङ्गिएर द्वारा १६६९ से १६७७ के बीच के शासन के तहत करवाया गया था। इसे एक शंकु आकार की पहाड़ी के ऊपर बनाया था। अपने निर्माण के समय किले की क्रीक के उत्तर में इसे ब्रिटिश आयोजित और पुर्तगाली आयोजित के बीच सीमा के रूप में चिन्हित किया था। १९२५ में ग्रेड वन विरासत संरंचना के रूप में अधिसूचित किया गया था। यह छोटी पहाड़ी से ५०० मीटर की दूरी पर है।] पहाड़ी के तल पर है और साथ ही का मुम्बई सर्किल कार्यालय भी बना हुआ है।
वर्तमान में यह अत्यन्त जीर्ण अवस्था में है। यहां टूटी हुई पत्थर की सीढ़ियाँ, बिखरे हुए दीवारों और खंडहरों, के अलावा कुछ नहीं मिलता है। हर स्थान पर वनस्पति ने अपना साम्राज्य बना रखा है। किले की दीवार के उपर एक छोटा सा कमरा है। कई रास्तों की श्रृंखला से उस कमरे तक पहुँचा जा सकता है। इस किले से ठाणे के नमक पट्टल का दॄश्य दिखाई देता है। २००९ में किले का मरम्मत एवं अनुरक्षण कार्य आरम्भ हुआ था । अभी एक गार्डन के रूप में वहा के लोग घूमने आते है।
धारावी किल्ला
रिवा किला (या रेवाह किला) जो स्थानीय रूप में काला किला के नाम से जाना जाता है, मध्य मुम्बई में मीठी नदी के किनारे स्थित एक दुर्ग है। यह किला धारावी झोपड़पट्टी के बीच जीर्ण अवस्था में है। यह किला तत्कालीन बॉम्बे (वर्तमान मुम्बई) के प्रथम राज्यपाल जेराल्ड अङ्गिएर (१६६९-१६७७) द्वारा बनवाया गया था। यह बड़े मुंबई कैसल का भाग था, और १७ वीं सदी में ब्रिटिश आयोजित मुंबई के उत्तरी हिस्से में दिखाया जाता था। यह महल भी पुर्तगाली अनुरक्षित और बाद में मराठाओं के अधीन साल्सेट द्वीप के विरुद्ध क्षेत्र की रखवाली हेतु एक पहरे की मीनार के रूप में प्रयोग किया गया था। देखने लायक परिस्थिति में नहीं है। लेकिन इतिहास के अभ्यसको के लिए जगह है। अभी कुछ दुर्ग प्रेमी समूह यह देख भाल करते है।
शिवड़ी किल्ला
शिवडी किल्ला 1680 में निर्मित किया गया। किले ने वॉच टॉवर के रूप में कार्य किया, जो मुंबई बंदरगाह से गुजरते हुए एक उत्कीर्ण पहाड़ी के ऊपर स्थित है। 1672 में सिद्धियों द्वारा अथक हमलों का सामना करते हुए, मुंबई में कई किलेबंदी का निर्माण किया गया था, और 1680 में सेवरी का किला पूरा हो गया था। यह पूर्वी समुद्र तट और भारतीय मुख्य भूमि के सामने एक पहाड़ी पर परेल द्वीप पर खड़ा था। इसमें 50 सिपाहियों का एक समूह था और एक सूबेदार द्वारा प्रबंधित किया गया था । यह आठ से दस तोपों से भी लैस था। 1689 में, सिद्दी जनरल, यादी सकत , ने 20,000 लोगों की सेना के साथ, मुंबई पर आक्रमण किया। बेड़े ने सबसे पहले माहिम शहर को बर्खास्त करने से पहले सेवरी किले, फिर मझगांव किले पर कब्जा कर लिया । किले को बाद में एक लड़ाई में शामिल किया गया जिसने में एक पुर्तगाली हमले को रद्द कर दिया। क्षेत्रीय शक्तियों के पतन के बाद, किले को बाद में घर के कैदियों के लिए इस्तेमाल किया गया था। इसे बाद में बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट गोदाम के रूप में परिवर्तित कर दिया गया । अभी ये किल्ला सुना पडा है। बच्चे खेलने आते है।
कास्टेल्ला दे अगुआड़ा जिसे बांद्रा किले के नाम से भी जाना जाता है, मुम्बई में बांद्रा क्षेत्र में स्थित एक दुर्ग है। इसका सही नाम कैस्टेलो दे अगुआड़ा होना चाहिये, किन्तु इसके निर्माताओं द्वारा इसे फोर्टे दे बंदोरा (बांद्रा किला) कहा गया था। यहाँ बांद्रा द्वीप की भूमि के अंत पर स्थित है। यह ऊन पुर्तगाली जहाजों के लिए था जो प्रारंभिक अवधि में तटों के लिये उपस्थित रहते थे। समुद्री तट से २४ मीटर (७९ फीट) की ऊंचाई पर बना यह दुर्ग कई स्तरों पर बसा हुआ है। बॉलिवुड फ़िल्मों में कास्टेल्ला दे अगुआड़ा कई फिल्मो में दिखाया गया है । बहोत सारे लोग यहां घूमे आते है। नजदीक मे ही बँड स्टँड बीच होणे के कारण बहोत सी बीड होती है। यह से वर्ली सी लिंक बहुत ही अच्छे से दिखाई देता है।
वरळी किल्ला
वरळी किला मुम्बई में वरळी में ब्रिटिश द्वारा बनाया गया था। काफ़ी समय तक इसे पुर्तगालियों निर्माण माना जाता रहा था, परंतु यह किला असल में ब्रिटिश ने १६७५ में बनाया था। यह किला वरळी पहाड़ी पर बना था, माहिम की खाड़ी पर नजर रखने के लिए, जब मुम्बई शहर सिर्फ सात द्वीपों से बना था। यह दुश्मन के जहाजों और डाकुओं पर नजर रखने के लिए बनाया था। यह मच्छीमार फैमिली रहने की वजह से अच्छी स्तिथि में है। वह के कुछ लोग वहा वाचनालय और जिम चलते है। वहा से वरली सी लिंक बहुत ही सुंदर दिखता है। सूर्यास्त के वक्त तो और भी मस्त लगता है।
माहिम फोर्ट
माहिम दुर्ग या महिम का किला मुंबई के माहीम इलाके में स्थित हैं। इस किले के लिए इतिहास में काफी युद्ध हुए। देख रेख के अभाव, समीप में झोपड़पट्टी और समुन्द्र के कटाव के कारण आज इस किले की हालत बहुत दयनीय है। यह से बांद्रा फोर्ट दिखाई देता है। अभी हम सिर्फ बाहर से ही देख सकते है।
तो रविवार का प्लान बनाइए और घूमिए मुंबई के ये ६ किल्ले..