मनाली

Tripoto

 बात 15 दिसंबर 2019 की है मेरी ऑफिस की 5 दिन की छूटी थी मै बाहर घूमने जाना चाहता था फिर मै ने अपने एक दोस्त को फोन किया ऑर उस से अपनी बाते बताई फिर उसने भी मेरे साथ चलने का प्लान फिर हमने काफी सोच बिचार के मनाली जाने का प्लान फिक्स किया ऑर हम निकाल लिए।

ऑर हमारी यात्रा दिल्ली से स्टार्ट होती है 

हम ने बस की ऑनलाइन टिकट बूक किया ऑर हम आई एस  बी टी न्यू दिल्ली से बस लिया ऑर निकाल परे 5 बजे साम को हम बस मे बैठे कुछ समय बाद बस ड्राईवर ने  स्टार्ट किया ऑर बस दिल्ली की जाम से आराम आराम से बाहर निकालने लगी ऑर अंधेरा भी छाने लगा था हम भी दिन दिन भर के थके थे आखे भी बंद हो रही थी रात के 11 बजे बस एक ढाबे पे रुकी हम लोगो ने थोड़ा बहुत कुछ खाया फिर थोड़ी देर बाद बस फिर निकाल परी थोरी देर बाद मेरी आखे लग गई 5 बजे मॉर्निंग मे मेरी आखे खुली तो हम पहारों के बीच से हमारी बस निकाल रही थी अब आखो से नींद भाग गई थी बाहर का नजारा ही कुछ ऐसा था  बर्फ से ढके पहाड़ ढके ऐसा लग रहा था की किसी ने सफ़ेद चादर बिछा रखा हो ये सब मै पहली बार देख रहा था ऑर 10 बजे सुबह हमारी बस मनाली बस स्टैंड पर लगी॰

पहाड़, नदी घाटियां, अदभुत कैफे और शांत स्थानों का नज़ारा चारो ओर दिखाई देता है। समुद्र तल से 6260 फीट की ऊंचाई पर स्थित मनाली सेबों से लदे हुए पेड़ और बर्फ से ढके हुए रास्ते मनाली की सुंदरता को बढाते हैं| 

ब्यास नदी जो शहर के बीचों-बीच बहती है, इस जगह की सुंदरता को और बढ़ा देती है|जहाँ साहसी लोगों के लिए पैराग्लिडिंग, स्कीइंग, व्हाइट वाटर राफ्टिंग जैसी गतिविधियां हैं तो मनाली के मंदिरों में भक्तों और पर्यटकों की भीड़ भी समान रूप से देखी जा सकती है| 

सोलांग घाटी 

Photo of मनाली 1/4 by RAVI SINGH

सोलांग घाटी मनाली शहर से लगभग 14 कि.मी की दूरी पर स्थित यह जगह साहसिक गतिविधियों जैसे पैराग्लाइडिंग, घोड़े की सवारी आदि के लिए भी प्रसिद्ध है। सर्दियों के महीनों में स्कीइंग एक लोकप्रिय खेल बन जाता है। बर्फ के पिघलने के समय में ज़ोरबिंग स्कीइंग की जगह प्राथमिकता हो जाती है।

रोहतंग पास

Photo of मनाली 2/4 by RAVI SINGH

3978 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रोहतंग पास मनाली शहर से मात्र 50 कि.मी की दूरी पर है| जब आप मनाली-कीलॉन्ग रोड पर चढ़ते हैं तो आपको यह जगह और सुंदर दिखाई देती है| रोहतंग पास तक जाने के लिए रोहतंग पास परमिट लेना अनिवार्य होता है|

हिडिम्बा मंदिर

Photo of मनाली 3/4 by RAVI SINGH

हिडिम्बा देवी मंदिर बर्फीली पहाड़ियों और देवदार के पेड़ों के मध्य एक चट्टान पर बनाया गया है जिसे हिडिम्बा देवी की प्रतिकृति माना जाता है। 1553 में बनाए गये इस मंदिर में चार लकड़ी के फर्श हैं| मंदिर के अंदरूनी भाग से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है| पत्थर, मिट्टी की छाप और विभिन्न देवताओं की मूर्तियोंसे मंदिर की दीवारों को सजाया गया है|

मनाली सेंचुरी

मनाली के मुख्य शहर से थोड़ी दूरी पर स्थित मनाली वन्यजीव अभयारण्य पक्षियों, स्तनधारियों, सरीसृपों और अन्य जानवरों की कई प्रजातियों की जैव विविधता प्रदर्शन करता है। इसी जगह पर ब्लैक बीयर, पाम सिवेट, बार्किंग हिरण, फ्लाइंग फॉक्स जैसी दुर्लभ और लुप्त होने की कगार पर प्रजातियां भी पाई जा सकती हैं। 32 वर्ग कि.मी. के क्षेत्र में फैली हुई इस जगह को 1954 में अभयारण्य घोषित किया गया था।

ओल्ड मनाली

Photo of मनाली 4/4 by RAVI SINGH

इसे बैकपैकर्स का स्वर्ग माना जाता है। यहाँ आकर कोई भी बड़ी मात्रा में नीलगिरी के पेड़ों, कुल्लू नदी का घुमावदार पानी और राजसी पहाड़ों को भूल नही सकता| यहाँ के सूर्यास्त और सूर्योदय को देखकर मानो सांस रुक सी जाती है| यहाँ पर कम कीमत में महाद्वीपीय भोजन का आनंद लिया जा सकता है और बाजार में खरीदारी के लिए स्थानीय दुकाने भी हैं|

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