हर घुमक्कड़ हमेशा ऑफबीट जगहों पर जाना चाहता है। एक हसीन वादी, तारों से भरा मैदान और आसपास फैली खूबसूरती को कौन नहीं देखना चाहेगा? पर कैसा हो कि ऐसे दिलकश नज़ारे के साथ-साथ हजारों सैकड़ों लाइट ईयर्स दूर बसे गैलक्सी के करीब आने का मौका भी मिल जाए? यकीन मानिए ये किसी तोहफ़े से कम नहीं होगा। घुमक्कड़ों की इसी हसरत को पूरा करता है लद्दाख का एक छोटा-सा गांव "मान"।
14,000 फीट की ऊंचाई पर बसा ये गांव अपने साफ वातावरण और शानदार नज़ारों के लिए फेमस है। एस्ट्रोनॉमी में रुचि रखने वालों के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है। यहां से जुपिटर के छल्लों को बड़ी ही आसानी से पहचाना जा सकता है। किस्मत अच्छी रही तो यहाँ से आकाशगंगा को भी ढूँढा जा सकता है।
क्या है एस्ट्रो विलेज?
मान गांव के एस्ट्रो विलेज बनने की कहानी 2013 में शुरू हुई थी। ग्लोबल हिमालयन एक्सपीडिशन नाम की एक सामाजिक संस्थान की नजर इस गाँव पर पड़ी। इस संस्था ने लोकल लोगों को एस्ट्रो होमस्टे बनाने की राह दिखाई। बाद में इस संस्था ने इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट को दिशा देने का काम शुरू किया। प्रोजेक्ट का नाम "एस्ट्रोनॉमी फॉर हिमालयन लाइवलीहुड" रखा गया और तय हुआ कि पहले चरण में 5 एस्ट्रो होमस्टे बनाए जाएँगे। इसके साथ ही 15 गांवों की 30 महिलाओं को होमस्टे चलाने का प्रशिक्षण दिया गया।
आज हाल यह है कि ये महिलाएं टेलीस्कोप चलाना जानती हैं। इन्हे आकाश में हो रही घटनाओं और उनसे जुड़े शब्दों के बारे में भी अच्छी तरह पता है। यहां आए पर्यटकों के रहने-खाने का इंतजाम भी यही महिलाएं देखती हैं। लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश (यूनियन टेरिटरी) बनाने के बाद यहाँ पर्यटन से जुड़े लोगों के लिए नई उम्मीदें पैदा हुई हैं।
क्या करें?
1. आसमां को निहारें
तारों को टकटकी लगाकर देखने के लिए बिल्कुल परफेक्ट है ये जगह। पंग्योंग झील के कनारे के शांत वातावरण में टेलीस्कोप से तारे देखने का अपना अलग ही मज़ा है। केवल यह ही नहीं तारे देखने के इस पूरे सेशन में आपके साथ लोकल लोगों की एक टीम रहती है जो तारे और प्लैनेट्स पहचानने में मदद करती है। इन लोगों को आकाशीय चीज़ों की अच्छी जानकारी है और इन लोगों के सहयोग से स्टार गेजिंग का एक्सपीरियंस एक अदभुद एहसास की तरह हो जाता है। हर रात यहां पर ऐसे ही सेशन करवाए जाते हैं जिसके लिए फ़ीस के तौर पर कुछ पैसे देने होते हैं। शाही पहाड़ और खूबसूरत नजारों वाली यह जगह तारों से भरे आसमान में गोता लगाने के लिए बढ़िया ऑप्शन है।
2. क्लाइमेट चेंज पर चर्चा
जलवायु परिवर्तन एक ऐसा विषय है जिस पर बहुत पहले ध्यान दिया जाना चाहिए था। देर आए पर दुरुस्त आए वाला हिसाब है। तेज़ी से हो रहे परिवर्तन से लोगों को जागरूक कराने के लिए यहां पर कई ऐसे सत्र करवाए जाते हैं। जिससे मान आए लोगों को अपने वातावरण में लगातार हो रहे बदलाव को समझने में मदद मिले। इसके पीछे एक ख़ास मकसद भी है। लद्दाख के लोग हमेशा से वातावरण को लेकर गंभीर रहे हैं। यहां पर लगभग हर होमस्टे में यह सेशन होते हैं। बढ़ते तापमान का असर यहां के ग्लेशियरों पर भी साफ दिखाई देता है। इस बदलाव को देखने के लिए खुद हिमालय से अच्छी जगह हो ही नहीं सकती।
3. ट्रेकिंग
पहाड़ों पर ट्रेकिंग करना किसको नहीं पसंद? मान गांव में हाइकिंग करने का अनुभव बाकी सब जगहों से थोड़ा अलग है। यहां पर हाइकिंग वाले रास्ते कठिन ज़रूर हैं पर इनका अपना एक अलग मज़ा है। यहां के लोगों के लिए मॉर्निंग वॉक जैसे टर्म अब पुराने हो चुके हैं। यहां। सभी लोग सुबह उठकर छोटे ट्रेक पर जाना पसंद करते हैं। शायद यही वजह है कि यहां के लोग एक फिट भी हैं। ऑफबीट जगह होने के चलते मान कि खूबसूरती अब भी पर्यटकों की भीड़ से अनछुई है इसलिए यहां ट्रेकिंग करने का एहसास बाकी सब कमर्शियल ट्रेक से काफी अलग है।
4. आर्चरी
लद्दाख में ज़्यादातर लोगों को आर्चरी करने का बहुत शौक है। ये शौक भी कोई ऐसा वैसा नहीं है। यहां के कुछ लोग आर्चरी में इतने अच्छे हैं कि किसी भी प्रोफेशनल तीरंदाज को मात से सकते हैं। निशाना लगाने की ये कला यहां हर किसी के पास है और इस बात का इतिहास गवाह है। लद्दाख के लोग हमेशा से ही अच्छे आर्चर रहे हैं और यही वजह से मान के लगभग हर घर में धनुष बाण देखने को मिल जाएगा। अगर आप भी पंग्योंग झील के किनारे तीरंदाज़ी में हाथ आजमाना चाहते हैं तो यकीन मानिए मान विलेज से अच्छी जगह आपको नहीं मिलेगी।
5. हॉर्स राइडिंग
मान गांव एक ऐसी जगह है जो बाकी लद्दाख से थोड़ा अलग है। जहां एक तरफ लद्दाख का अधिकांश हिस्सा एक्सप्लोर किया जा चुका है वहीं दूसरी तरफ मान विलेज अब भी टूरिस्टों की नज़र से बची हुई है। इसीलिए यहां पर बाकी लद्दाख की तुलना में सुविधाएं थोड़ी कम हैं। पर यहां के लोगों ने उसका भी उपाय बखूबी ढूंढ निकाला है। बसों और टैक्सियों के अभाव के चलते यहां पर एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए आपके पास पैदल चलने के अलावा घुड़सवारी का भी ऑप्शन है। फ़र्ज़ कीजिए पंगयोंग झील के किनारे घुड़सवारी करना कितना शानदार दृश्य होता होगा।
6. हैंडीक्राफ्ट्स
किसी भी जगह की संस्कृति को जानने का सबसे सटीक तरीका होता है वहां का हैंडीक्राफ्ट। लद्दाख की खूबसूरती को अपने साथ वापस ले जाना चाहते हैं तो हैंडीक्राफ्ट खरीदना बढ़िया ऑप्शन है। यहां पर मिलने वाली सभी चीज़ें लोकल लोगों द्वारा हाथ से बनाई जाती हैं जिनमें मशीनों का इस्तेमाल एकदम ना के बराबर होता है।
क्या खाएं?
मान विलेज की सबसे खास बात है यहां पर आपको पारंपरिक लद्दाखी खाना खाने को मिलेगा। बटर टी, मोमोज, थुकपा, स्कु कुछ चीजें हैं जो यहां के लोग बड़े ही चाव से खाते हैं और अगर आपका आना हुआ तो आपको भी खाने में यही परोसा जाएगा। अगर आप यह नहीं खाना चाहते तो पूड़ी सब्ज़ी और चावल का भी इंतजाम है पर उसके लिए आपको होमस्टे में पहले से सूचना दे देनी होगी। ठंड और ऊंचाई के चलते यहां बड़ी मेहनत से फल और सब्जियां उगाई जाती है इसलिए छप्पनभोग की उम्मीद मत ही रखिएगा।
कहां ठहरें?
मान में ठहरने के लिए कम लेकिन बढ़िया ऑप्शन्स हैं। यहां बनाए गए एस्ट्रो होमस्टे में आपको सभी सुविधाएं दी जाती है जिससे आपको रहने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। यह सभी होमस्टे की बनावट पर्यावरण को ध्यान में रखकर की गई है और प्रदूषण को कम से कम हो इसके लिए भी कई कदम उठाए गए हैं। इन होमस्टे में प्लास्टिक, पॉलीथीन जैसी चीजों का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं किया जाता है और ना ही कोई कचड़ा झील में फेंका जाता है। जानवरों को कोई नुकसान ना हो इसका भी ख़ास ध्यान रखा जाता है। इन होमस्टे में रहने की एक और वजह भी है। यह होमस्टे यहां के लोगों की कमाई का इकलौता ज़रिया हैं इसलिए अगर आपका यहां आना हो तो आप बेझिझक होकर ऑनलाइन इन होमस्टे की बुकिंग कर सकते हैं। आपके रहने से लेकर खाने तक का सभी इंतजाम कर दिया जाएगा।
कैसे पहुंचे?
मान विलेज पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको लेह आना होगा। आप बस या फ्लाइट से लेह तक आ सकते हैं। लेह से मान के लिए लेह के लोकल यूनियन से टैक्सी लेनी होगी। लेह से मान विलेज का रास्ता बेहद खूबसूरत है। रास्ते में चांग था पास पार करना होता है जिसके बाद पांग्योंग झील का भव्य नज़ारा देखने को मिलता है। झील से मान विलेज की दूरी लगभग 8 किमी. है। झील के आसपास बोर्ड लगे हुए हैं जिससे आपको रास्ता आसानी से मिल जाएगा। लेह से मान पहुंचने के लिए कुल 6 घंटों का सफर करना होता है।
इन बातों का रखें ध्यान:
1. यहां अक्सर बर्फबारी होती रहती है इसलिए अच्छा होगा अगर लेह से मान के लिए सुबह ही निकल जाएं।
2. ऊंचाई पर होने कि वजह से यहां पर मोबाइल नेटवर्क मिलना बहुत मुश्किल होता है हालांकि 2019 के बाद से बीएसएनएल का नेटवर्क मिल जाता है पर इन पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
3. यहां अक्सर एल्टीट्यूड सिकनेस जैसी बीमारी होने का खतरा बना रहता है इसलिए अपने साथ डायमॉक्स जैसी दवाई ज़रूर साथ रखनी चाहिए।
4. यहां आने के पहले डॉक्टर से जांच ज़रूर करवा लेनी चाहिए।
5. यहां डिहाइड्रेशन सबसे बड़ी समस्या है इसलिए भरपूर मात्रा में पानी पीते रहने चाहिए।
अगर आपने लद्दाख के एस्ट्रो विलेज की सैर की है तो हमें अपना अनुभव कमेंट बाॅक्स में बताइए।