मेघालय नाम इस राज्य के लिए एकदम सही चॉइस है। यहां पर सचमुच बादलों को छुआ जा सकता है। साल भर पड़ती बारिश की फुहार, हल्की धुंध और खुशनुमा मौसम यहां आने वाले हर सैलानी का दिल जीत लेता है। शिलांग और चेरापूंजी में तो अक्सर ऐसे नज़ारे देखने को मिलते हैं। जितना लाजवाब यहां का खाना है उतना ही मधुर यहां का संगीत और मेघालय के लोग। इस राज्य की खूबसूरती से तो सबका मन खुश होता ही है पर साथ में यह फोटोग्राफर्स के लिए भी किसी जन्नत से कम नहीं है। स्लो ट्रैवल के लिए भी ख़ास इस जगह पर एडवेंचर प्रेमियों के लिए भी बहुत कुछ है।
मेघालय अपनी प्राकृतिक सौनदर्य के साथ-साथ अपने नेचुरल केव्स के लिए भी फेमस है। पहाड़ों के गढ़ मेघालय में 1500 से भी ज़्यादा प्राकृतिक गुफाएं हैं जिनमें से 980 गुफाएं ऐसी हैं जिनको एक्सप्लोर किया जा चुका है। खासी भाषा में केव को "क्रेम" कहा जाता है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत की सबसे लंबी गुफा भी यही मेघालय में ही है। इस गुफा का नाम है क्रेम लियात प्राह और यह 30957 मीटर लंबी है।
मेघालय में ऐसी और भी कई गुफाएं हैं जिन्हें हर एडवेंचर प्रेमी एक बार तो ज़रूर खोलना चाहेगा।
1. क्रेम लियात प्राह
मेघालय के जैंतिया की पहाड़ियाँ की यह गुफा भारत का सबसे लंबा नेचुरल केव है। इस गुफा में एक जगह ऐसी भी है कि इसमें एक एयरोप्लेन तक आ जाएगा। इतनी चौड़ी है यह गुफा। यह गुफा अलग-अलग तरह के फॉर्मेशन से बनी हुई है कि देखने में यह एक तरह का नेचुरल वंडर लगती है। इस गुफा में जाने के लिए कई रास्ते हैं। उनमें से एक है एयरक्राफ्ट हैंगर। यह रास्ता कुछ 25 किमी. लंबा है और ऐसा कहा जाता है कि इस गुफा में जाने के लिए यही रास्ता सबसे सही भी है। यह गुफा बाकी पड़ोसी केव्स से भी अच्छी तरह से जुड़ी हुई है जिससे आप अंदर ही अंदर बगल वाले केव में भी का सकते हैं। लोगों का कहना है इस केव को अभी पूरी तरह से एक्सप्लोर नहीं किया गया है और इसमें अब भी कई चौंका देने वाली चीजें छुपी हुई हैं।
2. मौसमई केव
सोहरा से थोड़ी ही दूर और बांग्लादेश की सीमा के बेहद करीब स्थित है मेघालय का सबसे खूबसूरत केव। मौसमई केव इतना सुन्दर है कि इसकी खूबसूरती बताने जाएं तो शायद शब्द कम पड़ जाएंगे। गुफा में घुसते ही आपका स्वागत एक शानदार सीनरी से होता है और आगे बढ़ने पर यह नज़ारे और भी सुंदर होते जाते हैं। आपको यह जानकर शायद हैरानी होगी कि एक गुफा होते हुए भी इसके अंदर प्राकृतिक रोशनी का भंडार है। इस केव में दिन के समय भरपूर रोशनी रहती है जिसकी वजह से इस केव को एक्सप्लोर करने में आपको किसी गाइड की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।
3. सिनरांग-पामियांग केव
यह केव भारत का तीसरा सबसे लंबा और सबसे रंगीन केव है। विशेषज्ञों की माने तो अब तक इस गुफा को 14157 मीटर तक ही एक्सप्लोर किया गया है इसलिए इसकी असली लंबाई बता पाना थोड़ा मुश्किल है। इस गुफा की ख़ास बात यह है कि इसके अंदर के फॉर्मेशन में रंगों ने भी खूब कमाल दिखाया है। इस केव के अंदर लाल, ऑरेंज, ब्लू, व्हाइट और ग्रीन रंगों का अदभुद मिश्रण देखने को मिलता है जो इस केव को और भी खूबसूरत बना देते हैं। केव के एक हिस्से को टाइटैनिक चैंबर नाम दिया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस हिस्से की ज़मीन पर तरह-तरह के मोतियों देखने को मिलते हैं जो टाइटैनिक की सजावट की याद दिलाते हैं।
4. क्रेम डैम
मासिनराम की भरी बारिश से बचने के लिए बढ़िया विकल्प है क्रेम डैम। इस गुफा की ख़ास बात यह है कि केव में अंदर जाने वाला रास्ता 30 मीटर चौड़ा है जिससे अंदर जाने में तो कोई तकलीफ़ नहीं होगी। केव की बनावट को देखकर लगता है कि यह सैंडस्टोन पत्थर से बना है पर असल में वह लाइमस्टोन यानी चूना पत्थर का है। यहां के लोकल लोगों को आर्चरी से ख़ास लगाव है और यह केव उनकी सबसे पसंदीदा जगहों में से एक है। किस्मत अच्छी रही तो आपको आर्चरी का एक बढ़िया मुकाबला भी देखने को मिल सकता है।
5. सिजू केव
गारो पर्वतमाला की यह गुफा चमगादड़ों की बड़ी संख्या के लिए मशहूर है। इस केव में इसके अलावा स्टैलॅक्टाइट और स्टैलॅग्माइट भी देखने को मिलते हैं। चूने के पानी के जमने पर एक पिलर जैसा फॉर्मेशन बनता है। छत पर मिलने वाले इस फॉर्मेशन को स्टैलॅक्टाइट और फर्श वाले को स्टैलॅग्माइट कहते हैं। इस गुफा में भी कई हिस्से देखने को मिलेंगे। इनमे से एक हिस्से को प्रिंसेस चैंबर नाम दिया गया है। कहते हैं गुफा का यह हिस्सा सबसे खूबसूरत हिस्सा है और यहां मिलने वाले स्टैलॅक्टाइट इसे और भी शानदार बना देते हैं।
6. क्रेम चिंप
जौंतिया पहाड़ों की इस गुफा के अंदर जाने के लिए आपको कम से कम 3.5 किमी. तैरना होगा। इसके बाद ही आप इस केव में दाखिल हो सकते हैं। इस रिवर केव की एक अलग कहानी है। यह एक रिसर्जंस केव है। रिसर्जंस यानी पुनर्जीवन। यह केव नदियों के पुनर्जीवन से बना है। सालों तक धरती के नीचे बेहतर हुआ पानी जब प्रेशर के वजह से ज़मीन के ऊपर आया तब इस केव का निर्माण हुआ। केव की ख़ास बात है इसमें 50 से भी ज़्यादा प्राकृतिक बांध हैं जो इस केव की मौजूदगी का असली कारण हैं। सिजु की तरह इस केव में भी चमगादड़ों ने घर बनाया हुआ है। पर ख़ास बात यह है कि इस गुफा में अलग तरह की मछलियां भी मिलती है जिन्हे केव फिश नाम दिया गया है।
गारो, खासी और जौंतिया पहाड़ों से घिरे मेघालय में ऐसे और भी केव्स हैं जो देखने लायक हैं। 1992 में गारो पहाड़ियों पर करी गई स्टडी का नतीजा यह रहा कि इन गुफाओं के बारे में दुनिया को और भी नज़दीक से जानने को मिला। इसके बाद केविंग भी एक एडवेंचर स्पोर्ट्स की तरह सामने आया। इसके बावजूद इन गुफाओं में अकेले बिल्कुल भी नहीं जाना चाहिए। इनमे से कुछ गुफाएं भुलभुलैया जैसी हैं जिनमें एक बार घुस गए तो बाहर निकलना मुश्किल हो जाएगा।
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