कमद से सहस्त्र ताल तक का छः दिवसीय सुनहरा सफर
कमद-सहस्त्रताल ट्रेक रुट 50 किमी पैदल ट्रेक है, जो अदभुत अकल्पनीय अद्वितीय प्राकृतिक सौन्दर्य व रोमांच से भरपूर एक सुखद सहासिक व धार्मिक यात्रा का ट्रैक है।
सहस्त्र ताल उत्तराखंड में टेहरी उत्तरकाशी सीमा पर खतलिंग ग्लेशियर के पश्चिम में स्थित हजारो झीलों का समूह है हिमाच्छादित और दुर्लभ क्षेत्र होने के कारण अभी तक मात्रिताल, नरसिंग ताल, मामली ताल, भीमताल, महात्मय ताल की पहचान ही हो पाई है।
जहां श्रद्धालु लोग जाकर स्नान और पूजा अर्चना करते है वो वास्तव में महात्म्य ताल है और लोग उसे ही सहस्त्र ताल बोलते है ।
सहस्त्र ताल 4611 मीटर की ऊँचाई पर स्थित ताल है जहां साल के 9 महीने बर्फ की चादर जमी रहती है केवल जून से अगस्त तक यहां पर जाया जा सकता है
अधिक ऊंचाई पर होने के कारण यहां तापमान सामान्य से बहुत कम रहता है तथा साल के अधिकांश महीनों में तापमान शून्य से नीचे गिर जाता है,तथा वायुदाब की कमी के कारण यहां पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की कमी महसूस की जाती है.
धार्मिक आस्था
15000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह ताल धार्मिक आस्था के लिए क्षेत्रीय गॉवों में विख्यात है जहां लोग जून से अगस्त के मध्य धर्म की यात्रा करते है, सहस्त्रताल में लोग आस्था की ढुबकी लगाकर अपने पित्रों का आव्हान करते है व घर के देवी देवता की मूर्ती स्नान करके पुण्य के भागी बनते है,
कमद -सहस्त्र ताल ट्रेक रुट के मुख्य पड़ाव
कमद - सहस्त्र ताल जाने के लिए कमद तक कार या बस से सड़क मार्ग द्वारा पहुचा जा सकता है और उसके बाद कमद से पैदल ट्रैक रुट शुरू होता है जो भयूडी बुग्याल से होते हुए दुंदक, खोबी खाला होते हुए यात्री रात्रि विश्राम के लिए दूसरे पड़ाव बेलक में पहुचते है
बेलक चट्टी - बेलक चट्टी कमद सहस्त्र ताल रुट का द्वितीय जहां पर यात्री रात्रि विश्राम करते है। यहां पर ठहरने खाने की छनियो में समुचित ब्यवस्था है जहां पर शुद्ध दूध की चाय, मट्ठा और मक्खन का आनंद लिया जा सकता है साथ ही यहां पर औंडके(छनियो में बने हुए छुले)की रोटी और स्वादिष्ट सब्जी, दाल और देशी लाल चावल का भी आनंद लिया जा सकता है।
जोराई बुग्याल - जोराई बुग्याल 9 वर्ग किलो मीटर में फैला हुआ है जिसकी नैसर्गिक सुंदरता सबका मन मोह लेती है
कुश कल्याण बुग्याल - जोराई बुग्याल के बाद यात्री कुश कल्याण बुग्याल की और प्रस्थान करते है जहाँ पर रहने और खाने के लिए दो होटल है जहां पर स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया जा सकता है यहां पर यात्रि रात्री विश्राम कर सकते है
बवानी बुग्याल - बवानी बुग्याल में सात घास और फूल के मैदान है जिसकी सुंदरता सभी का मन मोह लेती है बवानी बुग्याल के बाद यात्रा का सबसे कठिन पड़ाव झुण्डु घला की चढ़ाई आती है अधिक ऊंचाई और उच्च वायुदाब के कारण यह चढ़ाई बहुत ही कठिन होती है।उंसके बाद यात्री द्रोपदी की कंठि पहुचते है जहां पर द्रोपदी का धारा मिलता है उंसके बाद भैसा का सिंग होते हुए हम क्यारकी बुग्याल पहुचते है
क्यारकी बुग्याल - क्यारकी बुग्याल असंख्य फूलो से भरपूर बुग्याल है जहां पर विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियां भी विद्यमान ही।क्यारकी बुग्याल इस ट्रैक रुट का सबसे सुंदर और विस्तृत बुग्याल है क्यार्की बुग्याल में लगभग 15 हजार फूलों की प्रजाति पायी जाती है, जिस वजह से सहस्त्रताल ट्रैक पर यह स्थान "वैली ऑफ फ्लावर" के नाम से जाना जाता है. क्यार्की बुग्याल के अधिक ऊंचाई पर होने के कारण यहां से गंगोत्री में पडने वाला सुखी-बुखी का डांडा दिखाई पडता है तत्पश्चात धर्मशाला, कुखली की चढ़ाई आती है।कुखली कि चढ़ाई के ठीक सामने मामली ताल है उंसके बाद मात्रिताल और मातृ का वडार के दर्शन श्रद्धालु लोग करते है फिर नरसिंग ताल होते हुए महात्म्य ताल में यात्रा पूरी होती है।
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