राजस्थान = माउंट आबू
[ 23 -08 - 2017 ]
सुबह तकरीबन 6.00 बजे चले थे भगत कि कोठी रेलवे स्टेशन ( जोधपुर )से दोपहर 11.20 तक हम आबू रोड स्टेशन पर उतरे। वहां से बस स्टैंड पास में ही था। आबू रोड से बस या जीप द्वारा ही माउंट आबू जा सकते हैं। क्योंकि माउंटआबू रेल नेटवर्क से नहीं जुड़ हुआ है। बस स्टैंड से तीन टिकट ले ली। आबु पर्वत के लिए जल्द ही बस आ गई। बस थोड़ी देर में बस चल दी। पहाड़ों से होते हुए बस चल दी। हल्की हल्की बारिश हो रही थी बस जैसे जैसे आगे बढ़ रही थी। मौसम अत्यंत सुहाना हो गया और पहाड़ों से उठता धुआं हमारा मन मोह रहा सफर कब बिता पता ही नहीं चला तकरीबन 11.30 बजे तक माउंट आबू पहुंचे। बस से उतरते ही। हमने होटल में कमरा बुक कर लिया एक दिन के लिए। क्योंकि मेरे प्रोग्राम के हिसाब से हमें आज और कल शाम तक माउंट आबू धुमना था। कल रात 10.00 कि ट्रेन थी। आबू रोड से दिल्ली के लिए जिसकी हमने पहले से ही बुकिंग कर रखी थी।
माउंट आबू
राजस्थान का नाम लेते ही आपके दिमाग में सबसे पहले क्या आता है? जाहिर है चारों तरफ फैला रेगिस्तान, परन्तु राजस्थान में सिर्फ रेत के समंदर ही नहीं, बल्कि खूबसूरत पहाड़, झरने और कुदरती नज़ारे भी हैं। सिरोही जिले में में अरावली की पहाड़ियों पर बसा राजस्थान का एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू आपको राजस्थान में शीतल हवा के झोंके सा प्रतीत होगा। यहां आने पर आपको यह विश्वास ही नहीं होगा कि यह राजस्थान में है। खूबसूरत पहाड़, हरियाली, झील और शीतल वातावरण माउंट आबू को पर्यटकों के लिए बेहतरीन जगह बनाते है। कुदरती सुंदरता का लुत्फ उठाने के लिए लोगों का तांता लगा रहता है साथ ही यहां आप आध्यात्मिक और मानसिक शांति के लिए ब्रह्मकुमारी के शांति पार्क भी जा सकते हैं।
दिलवाड़ा जैन मंदिर-
दिलवाड़ा जैन मंदिर- माउंट आबू हिंदू और जैन धर्म को मानने वालों का पवित्र तीर्थस्थलों है। जैन धर्म अपनी सादगी के लिए तो प्रसिद्ध है ही इसके साथ ही इसने भारत के पर्यटक सौन्दर्य में बहुत सारी धरोहर दी है. वैसे भी जब किसी धर्म से इतने सारे लोग जुड़ते हैं तो उस धर्म का विस्तार होना ही होता है. जैन धर्म में भी ऐसी कई धरोहर हैं जो पर्यटन की दृष्टि से बेहद रोचक हैं. दिलवाड़ा के जैन मंदिर भी उन्हीं में से एक हैं।दिलवाड़ा के मंदिर हस्तशिल्प के सर्वोत्तम उदाहरणों में से एक हैं. यहां की मुर्तिकारी इतनी जीवंत और पत्थर के एक खण्ड से इतनी बारीकी से बनाए गए आकार दर्शाती है कि यह लगभग सजीव हो उठती है. यह मंदिर पर्यटकों का स्वर्ग है और श्रद्धालुओं के लिए अध्यात्म का केन्द्र है मैंने दिलवाड़ा जैन मंदिर पहले भी देखा रखा है मैं 29-08-2001 मैं भी यहां आ चुका हूं। जब यह मेरी पहली माउंट आबू कि यात्रा थी
फिर हम चल दिए, निक्की झील रास्ते में हमने घुड़सवारी का आनंद लिया। मौसम बड़ा सुहाना था
जल्द ही हम निक्की झील पर पहुंचे। वहां काफी पर्यटक थे।
निक्की झील
नक्की झील समुद्र तल से 1200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित भारत की एकमात्र झील है। नक्की झील माउंट आबू का प्रमुख आकर्षण है। यह झील ढाई किलोमीटर के दायरे में फैली हुई है। झील के पास एक पार्क भी है, जहां पर स्थानीय निवासियों और सैलानियों भी दिन भर भीड़ जमा रहती है। नक्की झील राजस्थान की सबसे ऊँची झील है। चारों तरफ पहाड़ों से घिरी यह झील राजस्थान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। अरावली पर्वत श्रृंखला के बीच में स्थापित माउंट आबू अपनी ख़ूबसूरती के लिए जाना जाता है। यह झील सर्दियों में अक्सर जम जाया करती है।
राजस्थान और गुजरात की सीमा में स्थित माउंट आबू के बाजारों में गुजरात की झलक भी दिखाई देती है। झील के किनारे ही एक मुख्य बाजार है। यहां पर राजस्थान और गुजरात की बनी वस्तुएं सबसे अधिक मिलती हैं। राजस्थान के पारंपरिक ड्रेस से लेकर जूते, कढ़ाई किए हुए बैग यहां बाजार में आसानी से मिल जाते हैं। इसके अलावा यहां से लोग किराये से राजस्थानी और गुजराती पोशाक खरीदकर फोटो खिंचवाते है। झील के आसपास धुमने के बाद हम होटल आ गये। कुछ देर आराम करने के बाद हम खाना खाने के लिए कोई बढ़िया सा भोजनालय देखने चल दिये रात को बाजार और भी खूबसूरत लग रहा था। खाना खाने कि बाद बाजार देखने लगें।
अभी थोड़े से आगे चले थे। कि आईसक्रीम कि दुकान दिखी बस फिर क्या था। आइसक्रीम खाने का मजा लिया। और होटल आ गये थके होने के कारण जल्दी सो गये।