बद्रीनाथ जी से बापस आकर चमोली में रात्रि विश्राम किया हम 3 यात्रियों ने सुबह गोपेश्वर होते हुए गौरीकुण्ड तक की यात्रा का प्लान था गोपेश्वर में मंदिर के पास ही आयुर्वेदिक अस्पताल है बड़े भाई अशेष अवस्थी थोड़े मोशन सिकनेस के शिकार थे इसलिये अस्पताल की ओर चले गए वहां उन्हें केदारनाथ के पंडित जी के छोटे भाई डॉक्टर के रूप में मिल गए उन्होंने केदारनाथ में हमारी ब्यबस्था करने की बात कही उन से विदा लेकर गोपेश्वर महादेव के सुंदर मंदिर दर्शन कर हम टैक्सी से चोपता पहुंचे रास्ता बाहर भयंकर जंगली था इस रास्ते पर बहन न के बराबर चलते हैं
था तो यह डे 1 ही पर चमोली से चलजर रामबाड़ा तक यह अगले दिन का अहसास करा रहा था चमोली में गर्मी अब यहां ठंड का एहसास होने लगा था । थकान होने लगी थी अतः 1 दुकान पर नीबू बाली चाय आर्डर की पहाड़ों पर नीबू मसाला चाय से ज्यादा ऊर्जा दायक पेय कुछ नही लगता इसे पी कर तरोताजा हो गए । साहब यहीं पर एक विशेष निर्णय ले लिया जो काफी गलत था पर इसी से रोमांच पैदा हुआ । रात के 8 बजने को थे छुट्टी की कमी ने रामबाड़ा न रुककर सीधा मंदिर पर जा कर रुकने का बिचार बना दिया । चाय के साथ पराठे की ऊर्जा काम आयी और हम बिना सोचे समझे अपने शरीर पर गर्म कपड़े जैकेट कार्गो आदि पहन कर रेडी भोलेनाथ
एक ही दिन को हिस्सों में बांट रहा हूं आज भी अहसास है कि 11 बजे के बाद 4 से 8 होने पर फिर हिम्मत मिली चल पड़े आगे प्यास भी लग रही थी व ठंड भी पानी साथ था नही दुकानदार के पास रखी पानी की बोतलें याद आईं कि 1 बोतल ले लेते और पैसे रख देते । पर अब आगे झरनों का ही पानी कहीं कहीं दिखाई दे रहा था पर उन पर बोर्ड झरनों का पानी न पिएं दिख रहा था उस हल्की फुल्की रोशनी जो कि सरकार द्वारा उत्तम ब्यबस्था थी उस समय । 500 मी पर 1 लटकती CFL कोई चालू कोई बंद ।चेतावनी के बाद भी 1 झरने का पानी पी ही लिया ।इस तरह गरुण चट्टी के मोड़ तक पहुँच ही गए अब भोलेनाथ 3 km गरूणचट्टी 1 km ऊपर फिर बिचार किया 1 km चढ़ने के बजाय 3 km सीधे चला जाय सो चल पड़े आगे चढ़ाई नही है पर रात का समय ऑक्सीजन की कमी इस रास्ते को दुर्गम होने का अहसास करा रहा था अब हर 50 मीटर पर मील के पत्थर लगे हुए थे प्रत्येक 50 मीटर चलने के बाद विजय सी प्रतीत होती थी । इस प्रकार रात 12 30 पर हम 8 में से 6 मंदाकनी पुल पर पहुंचे वहां 1 ब्यक्ति ने हम से बात करने का प्रयास भी किया परन्तु इतनी रात में कुछ अटपटा से लगा इस लिए उन से बात ही नही की । अभी हम पुल पार ही कर रहे थे कि तेज बारिश फिर आ गयी । अब भागकर 1 धर्मशाला में घुसे तो गैलरी में शरण ली पर काफी खटखटाने के बाद भी बहां कमरा नही मिला अब मेरी हिम्मत जबाब दे गई शरीर ठंड के बजह से कांप रहा था अतः मैंने उस भबन के गैलरी में पड़े फुटमेट्स को अपना आसन बनाया और सिमट कर बैठ गया । बारिश में ही साथ आये पुलिस के जवानों ने 1 धर्मशाला खुलबा ली थी पर मैं उन के फोन करने पर भी वहां तक जाने की हिम्मत नही कर पा रहा था । अंत में बे ही मुझे वहां से ले कर उस धर्मशाला गए जहां 1 हाल में हम सब की ब्यबस्था रात्रि 1 बजे हो पाई थी ।
थोडे मैले बिस्तर ही स्वर्ग का अहसास करा रहे थे हम भूल चुके थे कि ये जून की गर्मी का महीना है लग रहा था पूस की रात में पहाड़ पर आ गए हैं ।
सुबह मंदिर के घंटे की आवाज से आंख खुली पर उठने का मन नही हो रहा था फिर भी चाय मंगा कर सबसे पहले कॉम्बिफ्लेम खाई तब उठ पाए हमारे 1 साथी जो सबसे तगड़े थे अब बीमार हो गए थे । सब को उठा कर गरम पानी मंगा कर नहाए और मंदिर की तरफ चल दिये घंटे की आवाज सम्मोहित कर रही थी तेजी से हम मंदिर की तरफ बढ़े तभी मंदिर का बह भबन बाजार के बीच से दिखाई दिया जो चित्रों में देखा था । पीछे विशाल ग्लेशियर बहुत सुंदर लग रहा था । पर भोले को भबनों की भीड़ ने घेर रखा था मेरे बिचार में मंदिर एकान्त स्थान पर स्थापित था इस लिए थोड़ा अच्छा नही लगा । पर भोलेनाथ ने दर्शन बहुत अच्छे से दिए आराम से बैठ कर पूजन किया गोपेश्वर बाले पंडित जी के भाई मिले उन्होंने बताया कि उन के पास रुकने की काफी अच्छी ब्यबस्था थी । दर्शन पूजन के बाद हम 2 भैरबनाथ मंदिर की तरफ चले वहां ऊंचाई से मंदिर व केदारनाथ कस्वा बहुत अच्छा दिखाई देता है । काफी देर तक भैरबनाथ मंदिर से ही प्रार्थना करना धूप में बैठना सामने बर्फ से ढके पहाड़ का दिखना छुप जाना आज तक याद है ।स्वर्गानुभूति थी वो ।
बापस सब घोड़े से ही आ पाए थे ।
2013 आपदा के समय मुझे अपनी यात्रा याद आयी थी मैं 5 घंटे की ठंड नही बर्दाश्त कर पाया था कैसे लोगों ने 3 से 4 दिन बारिश व ठंड में गुजारे होंगे ।
मेरे 1 मित्र का परिवार भी आपदा में फंस गया व वहीं से स्वर्ग पधार गए । मैं देहरादून उनकी तलाश में गया भी था वह सब किसी और पोस्ट में लिखूंगा ।
पर 2010 की यह रोमांचक यात्रा मुझे याद आती रहेगी
फ़ोटो मेरी हार्ड डिस्क के साथ नही रहे इसलिए नही डाल पा रहा हूँ
और हाँ 2017 में मैं दोवारा गया तब सब बदल चुका था । भोलेनाथ ने अपने चारों तरफ से भबन हटा दिए हैं । सरकार ने अब ब्यबस्था उत्तम कर दी है । जिस भबन में रुका था बह आधा खड़ा है ।2017 की यात्रा का बर्णन फिर कभी