सलाम नमस्ते केम छू दोस्तों 🙏
उत्तराखंड के अल्मोड़ा में स्थित है गोलू देवता का चितई मंदिर। गोलू देवता देवभूमि उत्तराखंड के कुमांऊ और गढ़वाल के अधिकतर हिस्से में बड़ी ही सिद्दत से पूजे जाते हैं। जिन्हें लोग न्याय के देवता (god of justice) के नाम से भी जानते हैं। उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ी शहर अल्मोड़ा से करीब 6-7 किलोमीटर की दूरी पर और हल्द्वानी से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर बेरीनाग और गंगोलीहाट हाईवे पर स्थित है चितई गोलू देवता का मंदिर। इस मंदिर को “घंटियों का मंदिर” (TEMPLE OF BELLS) और “TEMPLE OF LETTERS” के नाम से भी जाना जाता है।यहां की दो परंपराएं ऐसी हैं जो आपको शायद विश्व में कहीं न मिलें। यहां लोग मनौती मांगने के लिए चिट्ठी चढ़ाते हैं। जब उनकी मनौती पूर्ण हो जाती है तब वे भगवान को घंटी भेंट करते हैं।
जब मुझे इस मंदिर के बारे में पता चला तो मैं सोच रहा था कि इस मंदिर का दृश्य कैसा होगा मन में बहुत सारे दृश्य बनने लगे, उत्सुकता इतना बढ़ गया कि मुझसे अपने आप को रोका नहीं गया और मै उत्तराखंड के वादियों में निकल पड़ा।
वैसे तो समस्त उत्तराखंड अपने मंदिरों , पर्यटन स्थलों, बर्फीले हिमालय की चोटियों और ट्रैकिंग के लिए मशहूर है, पर अल्मोड़ा में “बाल मिठाई” और “जागेस्वर धाम” के अलावा कुछ खास है तो वो है चितई गोलू देवता का मंदिर। रोड के किनारे लम्बे चीड़ (शालू ) के वृक्षों के जंगलों से घिरा चितई मंदिर बाहर से जितना नोर्मल दिखता है अंदर से बेहद खूबसूरत और अद्भुत है। मंदिर के मुख्य द्वार से अंदर प्रवेश करते ही एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है, चारो तरफ हजारों की तादाद में छोटी साइज से लेकर बड़ी साइज की हज़ारों घंटियां आपके स्वागत के लिए लटकी हैं। अनगिनत घंटियां यहाँ मौजूद हैं, जिन्हें दूर-दूर से आने वाले भक्त अपनी श्रद्धा से अपने ईष्ट देव को चढ़ा कर जाते हैं। ऐसा नहीं कि जिनकी मनोकामना पूरी हो या जो ईश्वर से मनोकामना पूर्ण करने का आग्रह करते हैं वही घंटियाँ चढ़ाते हैं बल्कि जिनके मन में ईश्वर के लिए सच्ची श्रद्धा है वे भी अपनी इच्छा से घंटियाँ चढ़ा कर जाते हैं। मंदिर परसिर में गूंजती अनगिनत घंटियों की टन-टन करती सुरीली ध्वनि मन को शांत और भाव-विभोर कर देती है। बात अगर घंटियों की करें तो देवभूमि उत्तराखंड के अधिकतर मंदिरो में आपको काफी संख्या में घंटियां अवश्य दिखाई देंगी। जो श्रद्धालु गोलू देवता को पूजते हैं अगर उनकी कोई मनोकामना पूर्ण हो जाये तो वे भक्त दूर-दूर से आकर मंदिर में घंटियाँ चढ़ाते हैं।
अल्मोड़ा के इस गोलू देवता के बारे में एक मजेदार कहानी है। कहा जाता है कि गोलू चंपावत के कत्यूरी वंश के राजा झालुराई के पुत्र थे। राजा झालुराई अपने राज्य के न्याय प्रिय, उदार तथा प्रजा सेवक थे। उनकी 7 रानियां थीं, लेकिन पुत्र एक भी नहीं। अब वे अपने उत्तराधिकारी को लेकर परेशान रहने लगे। ज्योतिषियों के कहने के अनुसार उन्होंने भगवान भैरव की आराधना की और उन्हें प्रसन्न करने के बाद उनसे संतान सुख का वर मांगा। जिस पर भैरव ने कहा कि तुम्हारे नसीब में संतान का सुख है ही नहीं। चूंकि तुमने मुझे प्रसन्न किया है तो मैं ही पुत्र रूप में जन्म लूंगा लेकिन अब तुम्हें आठवीं शादी करनी होगी।
घंटियों के साथ-साथ आपको मंदिर परिसर में काफी संख्या में चिट्टिया लटकी हुयी मिलेंगी। चूँकि गोलू देवता को उनकी न्याय प्रियता के लिए भी जाना जाता है और माना जाता है कि देवता के नाम की चिट्ठी लिखने से मनोकामना जल्दी पूर्ण होती है, इसलिए भक्त देवता के नाम की चिठ्ठी लिखते हैं और उनसे उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करने या उनसे न्याय दिलाने का आग्रह करते हैं।
मान्यताओं के आधार पर मंदिर परिसर में पहले बकरों की बलि भी दी जाती थी जो फ़िलहाल के कुछ वर्षो से रोक दी गई है। हालाँकि लोगों की भावनाओं और विश्वास के कारण इस प्रथा पर पूरी तरह से रोक लगा पाना थोड़ा मुश्किल है।पर जो भी यहां आ के एक अलग ही शांत और सुकून मौहल मिला मुझे।
बस उस मंदिर का लोकेशन ही अच्छा नहीं था उसके आस पास का दृश्य भी देखने लायक था मंदिर बहुत ही उचाई पर थी जिसके कारण ऐसा लग रहा था कि हम बादल के बीचों बीच खड़े हैं ।दर्शन करने के बाद हम आस पास के लोकेशन का मज़ा ले रहे थे ।और उतनी हाइट पर खड़ा हो कर दिल में बस एक बात आ रही थी जो मैंने चाय के लिए सुना था "आ तेरे संग एक पैग बनाई जाए ज़िन्दगी बैठ तुझे चाय पिलाई जाएं।" ऐसे ही थोड़े अलग जगह जो बाकी जगह से अलग हो मुझे जाने में और वाह के बारे में जाना बहुत अच्छा लगता है।
बाकी आप फोटो के माध्यम से वहा के दर्शन करो🙏
कैसे पहुंचें:
ऐसा कहा जाता है कि जिनको न्याय नहीं मिलता वो गोलू देवता की शरण में पहुंचते हैं और उसके बाद उनको न्याय मिल जाता है। गोलू मंदिर दिल्ली से 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगर आप इस मंदिर के दर्शन के लिए जाना चाहते हैं तो आपको आनंद विहार से सीधे अल्मोड़ा की बस मिलेगी। इसके अलावा आप पहले दिल्ली से हल्द्वानी भी जा सकते हैं और इसके बाद यहा से अल्मोड़ा के लिए गाड़ी ले सकते हैं।
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