क्या आपने कभी टॉयलेट सीट पर बैठकर खाना खाया है? या आपने कब्रिस्तान वाले रेस्तरां का नाम तो सुना ही होगा? अच्छा क्या आपने जेल में खाना खाया है? अगर आपका जवाब "ना" है तो सवाल को थोड़ा बदल देते हैं। क्या आप एक ऐसे कैफे में खाना खाना चाहेंगे। जहां आपको केवल अपनी सूंघने और महसूस करने की शक्ति पर भरोसा रख कर भोजन खाना होता है? अच्छा आप उस रेस्तरां में तो ज़रूर जाना चाहेंगे जहां आपको अपने ही खाने के लिए बिल नहीं देना पड़ता है!
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भारत में खाना एक ऐसी चीज है जिस पर बात करने से ही हर इंसान का मूड ठीक हो जाता है और बात जब ऐसे अजीबो-गरीब कैफे की हो तो आपके अंदर का फूडी ज़्यादा देर तक चुप नहीं बैठ पाएगा।
1. नेचर टॉयलेट कैफे, अहमदाबाद
अहमदाबाद का नेचर टॉयलेट कैफे भारत का पहला ऐसा कैफे है। जहां आपको टॉयलेट सीट पर बैठ कर खाना खाने की आज़ादी है, घबराइए नहीं। असल बात ये है कि यहां पर पुराने टॉयलेट सीट को कुर्सी या स्टूल जैसे आकार में बना दिया गया है। जिस पर बैठ कर यहां आने वाला हर व्यक्ति खाना खाता है। यहां आप अपनी मर्ज़ी से कोई भी टेबल चुन सकते हैं। खाना परोसने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तनों का आकार भी कुछ सीट के आसपास ही घूमता है। इस कैफे के संस्थापक जयेश पटेल बताते हैं कि उनके पास इस समय 20 से ज़्यादा तरह की सीट्स उपलब्ध हैं। उनका कहना है इनमें से कुछ तो 1950 की हैं। टॉयलेट सीट और खाने की प्रेम कथा को पास से देखने के लिए आपको एक बार इस कैफे में ज़रूर हो आना चाहिए।
देश की राजधानी दिल्ली की तिहाड़ जेल को तो सभी जानते हैं। पर क्या आपको पता है? जेल में एक फूड कोर्ट भी है जहां आप जब मन चाहे आकर खाना खा सकते हैं। दिल्ली के तिलक नगर में स्थित ये फूड कोर्ट असल में जेल अधिकारियों की ही शुरुआत है। इसके पीछे इनका एक ख़ास मकसद भी है। ये फूड कोर्ट जेल में बंद कैदियों के लिए यहां चलाए जाने वाले रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम का हिस्सा है। इस प्रोग्राम के तहत इस कैफे की देख-रेख से लेकर खाना परोसने तक का सभी काम यहां के कैदी करते हैं। अगर आप भी इस कैफे में जाना चाहते हैं तो तिहाड़ जेल कॉम्प्लेक्स के गेट नंबर 3 पर जाकर आप आसानी से यहां जा सकते हैं।
3. सेवा कैफे, अहमदाबाद
वसुधैव कुटुंबकम की बात पर एकदम सही बैठता है अहमदाबाद का सेवा कैफे। खास बात यह है कि यहां पर आपको अपने खाने का बिल खुद नहीं भरना होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि आपसे पहले आने वाले व्यक्ति ने आपका बिल पहले ही भर दिया होता है। यह कैफे "गिफ्ट इकॉनमी" के नक्शे कदम पर काम करता है। खाने के बाद आपको एक खाली लिफ़ाफा दिया जाता है जिसमें आप अपनी इच्छा के अनुसार कितने भी पैसे दे सकते हैं। कैफे पूरी तरह से वॉलंटियर्स चलाते हैं और यहां काम करने वाला हर व्यक्ति अपने मन के हिसाब से कोई भी काम चुन सकता है। दुनिया को प्यार और उदारता का संदेश देने वाले इस कैफे की शुरुआत मानव सदन ने की थी। बिजनेस और प्रॉफिट की चकाचौंध में मशगूल दुनिया में सेवा कैफे जैसी जगहें हमें अपेक्षा मुक्त होकर जीना सिखाते हैं।
4. बॉम्बे टू बार्सिलोना, मुंबई
कहते हैं सपनों को सच करने के लिए मेहनत और विश्वास का हाथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। मुंबई अंधेरी का यह कैफे भी एक ऐसे ही आदमी के संघर्ष की ऐसी ही मिसाल है। बॉम्बे टू बार्सिलोना के संस्थापक अमीन शेख़ का बचपन लगभग सड़कों पर ही बीता। उन्होंने कभी अपने इरादों को कमजोर नहीं होने दिया और मेहनत करते गए। फल ये हुआ कि उन्होंने अपने लिए अपनी पहली प्लेन की टिकट खरीदी। इसी से इस कैफे का नाम पड़ा। कैफे के पीछे अमीन का केवल एक मकसद है। उनकी बस एक चाहत है कि दुनिया में किसी को भी उनके बैकग्राउंड की वजह से भेदभाव का सामना ना करना पड़े। अपने इस सपने को उड़ान देने के लिए उन्होंने 2017 में इस कैफे की शुरुआत की। किताबों का बेशकीमती खज़ाने से परिपूर्ण इस कैफे को ज़्यादातर सनेहसदन अनाथालय के बच्चे या वॉलंटियर्स ही चलाते हैं।
खाने की बात हो और गुजरात की बात ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। अहमदाबाद का न्यू लकी रेस्तरां किसी अजूबे से कम नहीं है। दुनिया में शायद ही और कोई रेस्तरां होगा जो आपको कब्रिस्तान में बैठ कर खाने का मौका देता है। इस जगह की शुरुआत कृष्णन कुट्टी ने की थी जिनका मानना था कि कब्रें सुख और समृद्धि का प्रतीक होती हैं। 50 साल से भी ज़्यादा पुराना यह रेस्तरां एक कब्रिस्तान में बना हुआ है। लोगों का कहना है सालों पहले एक सूफी संत और उनके रिश्तेदारों को यहां दफनाया गया था। उसके कुछ समय बाद ही न्यू लकी की कहानी लिखी गई। कैफे का नक्शा कुछ इस तरह बिठाया गया है जिससे किसी भी कब्र को उसकी जगह से हिलाया ना जाना पड़े। भूतों का घर कहे जाने वाले कब्रिस्तान में अगर पार्टी करने को मिल जाए तो क्या गज़ब की बात है?
6. कैफे टोटो, कोलकाता
सिटी ऑफ जॉय कोलकाता भी नायाब कैफे की रेस में पीछे नहीं है। कोलकाता में कैफे टोटो एक अलग और नया कॉन्सेप्ट लेकर आया है। यहां कोलकाता के बस्तियों के बच्चों को लाकर उन्हें अपना भविष्य बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। कैफे में फ्रेंच लोगों ने कोलकाता को युवाओं को उनके बेहतर भविष्य के लिए तैयार करने का जिम्मा उठाया है। कैफे की शुरुआत 2016 में हुई थी जहां हर ट्रेनी को हफ्ते के 5 दिन काम करना होता है। उनके इस सेशन के दौरान उन्हें इंग्लिश बोलने के साथ और भी बहुत कुछ सिखाया जाता है। फ्रेंच और कॉन्टिनेंटल खाने के लिए मशहूर कोलकाता के इस कैफे में आपको एक बार ज़रूर हो आना चाहिए।
दिल्ली से अहमदाबाद को जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट संख्या 502 को हाईजैक कर लिया गया है। सूचना के अनुसार फ्लाइट में 175 यात्री सवार थे जिनमें 6 बच्चे शामिल हैं। अहमदाबाद के हाईजैक कैफे का भी कुछ ऐसा ही हिसाब है। मोइस्ट क्ले मीडिया नाम की कंपनी लोगों को लुभाने के लिए एक अलग कॉन्सेप्ट लेकर आई है। इसका लक्ष्य है कैफे में आने वाले सभी लोगों को अहमदाबाद के टूर पर ले जाने का। असल बात यह है कि इस कैफे में आने वाले हर व्यक्ति को कुछ देर के लिए बंदी बना लिया जाता है। कैफे एक बस में है जिससे सभी को 1 से 2 घंटे अहमदाबाद की गलियों में घुमाया जाता है। ऐसे में आप खाते हुए घूमने का मज़ा उठा सकते हैं।
"अंधेरा कायम रहे!!!" हैदराबाद के इस कैफे के लिए ये लाइन एकदम सही बैठती है। वजह है कि कैफे में एकदम अंधेरा रहता है और आप इस अंधेरे में बैठकर ही खाना खाते हैं। रेस्तरां में घुसने से लेकर वापस बाहर निकलने तक सब काम आपको बिना रोशनी के ही करना होता है। कैफे में जाने के लिए आपको एक जगह हिलता हुए पुल भी पार करना होता है। यकीन मानिए इस कैफे में आपको आपनी सूंघने और महसूस करने की शक्ति पर ही काम करना होगा।
चाहे आप फूडी हो य न हो पर शहर में अगर कोई नई खाने कि जगह खुलती है तो सबके अंदर कुलबुलाहट मचने लगती है।
क्या आप भी ऐसे किसी अटपटे कैफे में गए हैं, हमें कमेंट बॉक्स में बताएं।
कैसा लगा आपको यह आर्टिकल, हमें कमेंट बॉक्स में बताएँ।
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