आज हम आपको ले जा रहे है ऋषिकेश की वादियों में जहाँ सुन्दर पहाड़ियों में खेलती गंगा की लहरें मन को मोह लेती हैं, जहाँ की वायु मन को चित को शांत कर देती है, जहाँ गंगा स्वयं साक्षी बनती है वातावरण की पवित्रता की…….आईये चलते है ऋषिकेश की यात्रा पे।
यह यात्रा हमारी हरिद्वार की यात्रा का अगला पड़ाव है। जैसा कि मैंने आप सभी को अपने बीते ब्लाॅग में बताया था। हरिद्वार से टैक्सी, बस व रेल द्वारा उचित रूप से जुड़े होने के कारण ऋषिकेश पहुंचना अत्यंत सरल है। सबसे नज़दीक हवाई अड्डा जॉली ग्रांट हवाई अड्डा, देहरादून है। हमने अपनी यात्रा टैक्सी द्वारा शुरू की जो की हमे हर की पौड़ी से कुछ दुरी पर स्थित भीम गोडा नमक स्थान से मिल गयी,ये टैक्सी आपको ऋषिकेश के प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला के निकट उतारेगी। इन टैक्सी द्वारा हरिद्वार से ऋषिकेश जाने का किराया 60-70 रुपये है। आप बस द्वारा जाना चाहे तो आपको बस स्टैंड जाना होगा। रेल द्वारा जाने पर पहाड़ियों के मनोरम दृश्य का आनंद उठा सकते है। और अंततः हम सभी पहुंच गए अपने मंजिल की ओर। यानी कि " योग भूमि ऋषिकेष ।”
लक्ष्मण झूले से हम अपनी ऋषिकेश की यात्रा प्रारम्भ करते है। लक्ष्मण झूला असल में एक पुल है जिसे 1929 में बनवाया गया था। इस से पहले इसी स्थान पे एक और पुल था जो 1924 की बाढ़ में नष्ट हो गया था । ऐसा माना जाता है की जूट की बानी रसियों के पुल द्वारा लक्ष्मण ने यहाँ से गंगा को पार किया था इसलिए उस पुल का नाम लक्ष्मण झूला पड़ गया। इस पुल से पहाड़ियों के बीच से आती हुई गंगा नदी का अति-मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। राम झूला नामक एक अन्य पुल लक्ष्मण झूले से कुछ दूरी पे हैं।
अगर योग सीखने में आपकी दिलचस्पी है तो फिर कई योग और ध्यान केंद्र आपको मिल जाएंगे। इनमें प्रमुख हैं : शिवनन्दा आश्रम, ओंकारनन्दा गंगा सदन,साधना मंदिर, संस्कृति योग पीठ ,योग निकेतन, स्वामी दया नंदा आश्रम, फूल चट्टी आश्रम, अनंदा प्रकाश आश्रम और ओशो गंगा आश्रम, कैलाश आश्रम ब्रह्माविद्यापीठ, विट्ठल आश्रम और योग केंद्र, शंकराचार्य मेडिटेशन सेंटर, वनमाली गीता योगाश्रम, वेदांत आश्रम, वेदनिकेतन दयानंद, वानप्रस्थ आश्रम, योग निकेतन, परमार्थ निकेतन आदि। आप परमार्थ निकेतन में ठहर भी सकते हैं. तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिये 1000 कमरों के साथ परमार्थ निकेतन ऋषिकेश का सबसे बड़ा आश्रम है। ठहरने की सुविधाओं के अलावा परमार्थ निकेतन आयुर्वेदिक और संगीत द्वारा भी उपचार करता है। यह गंगा नदी के तट पर महान हिमालय के बीच स्थित है। और सच कहूं तो यहां एक अलग ही तरह का शांति प्रिय दृश्य देेेेेेेखने को और महसूूस करने को मिलता है। इसलिए आप सब एक बार जरूर यहां आए।
फिर हम सभी त्रिवेणी घाट की तरफ गए। वहा का शांति प्रिय दृश्य भी देखने योग्य था। मानो इतना शांति प्रिय दृश्य और माहौल मैंने काफी दिनों बाद महसूस किया हो।🙂🙂…….. फिर क्या था मेरे दोस्तो को तो पानी देखते ही पता नहीं क्या खुशी मिल जाती थी। 😂… तुरंत पानी में डुबकियां लगाना शुरू कर देते थे सब। 🤷🤦😂😂😂…. लेकिन हरिद्वार में जैसा मैं पानी के तेज बहाव के कारण स्नान नहीं कर पाई वैसा ही स्थिति हूबहू त्रिवेणी घाट पर भी देखने को मिला। 😛🤭🤭….मेरे दोस्तो ने इस बात से मुझे काफी चिढ़ाया।🙈🙈🙈....जब तक मेरे दोस्तो ने त्रिवेणी घाट पर स्नान किया तब तक मैं घाट के सुंदर दृश्यों का आनन्द लिया। काफी सुंदर दृश्य था। त्रिवेणी घाट के एक छोर पर शिवजी की जटा से निकलती गंगा की मनोहर प्रतिमा है तो दूसरी ओर अर्जुन को गीता ज्ञान देते हुए श्री कृष्ण की मनोहारी विशाल मूर्ति और एक विशाल गंगा माता का मन्दिर हैं। घाट पर चलते हुए जब दूसरी ओर की सीढ़ियाँ उतरते हैं तब यहाँ से गंगा के सुंदर रूप के दर्शन होते हैं। ऋषिकेश जहाँ एक ओर आध्यात्म का केन्द्र है वहीँ दूसरी ओर रोमान्च से भरी एक्टिविटीज के लिए भी मशहूर है। शायद आप सभी समझ चुके होंगे कि मैं किस एक्टिविटी के बारे में बात कर रही हूं। 💁… तो जी हा मैं बात कर रही हूं। “रिवर राफ्टिंग” की। व्हाइट वाटर रिवर राफ्टिंग लोगों के बीच तेजी से विकसित होता एक रोमांचकारी टूरिज्म है। गौमुख से निकली गंगा जैसे-जैसे आगे बढ़ती है उसकी लहरों में तूफानी तेजी आ जाती है। यही हाल ऋशिकेश में देखने को मिलता है और इन्हीं लहरों के बीच में नाव चलाने के खतरनाक खेल को ही राफ्टिंग का नाम दिया गया। तूफानी लहरों के बीच का ये रोमांचक खेल इन दिनों भारत में खूब लोकप्रिय होता जा रहा है। ऋषिकेश व्हाइट वाटर रिवर राफ्टिंग के केंद्र के रूप में मशहूर है।यहाँ रिवर राफ्टिंग के अलावा कैम्पिंग, ट्रेक्किंग, बोटिंग, स्कीइंग, डाइविंग, स्नोर्कलिंग, पैराग्लाइडिंग आदि सम्मिलित हैं।
ऋषिकेश में रिवर राफ्टिंग की शुरूआत शहर से 18 किलोमीटर दूर – टिहरी जिले के शिवपुरी से शुरू होती है खत्म होती है ऋषिकेश के लक्ष्मणझूला में। बेस कैंप से रंग बिरंगी राफ्ट सभी सेफ्टी उपकरणों से सुसज्जित हो सैलानियों या कहें दुस्साहसी नाविकों को ले गंगा में उतरती है। पानी बड़ा ही निर्मल और शान्त गति से बह रहा है.कोई सोच भी नहीं सकता की थोड़ा आगे जा कर पानी का बहाव इतना तेज़ हो जाएगा कि कलेजा मुँह को आने लगेगा। हमारे सामने गंगा पूरे आवेग के साथ बह रही थी….हमें बताया गया कि आमतौर पर गंगा की गहराई 60 से 80 फिट की है….यानी अगर डूबे तो फिर भगवान ही मालिक…..जबकि राफ्टिंग के लिए तैरना आना पहली शर्त है…पर हम सभी को ठीक से तैरना नहीं आता था।.. लेकिन इस खेल के रोमांच से हम अपने आपको नहीं रोक पाए….और फिर हम तैयार होकर गंगा की लहरों से खेलने निकल पड़े….रॉफ्टिंग में सिर्फ दूसरों से आगे निकलने की होड़ नहीं होती…यहां नदी के तेज़ बहाव से भी बचना पड़ता है…. ज़रा सी चूक काम तमाम कर सकती है…..ये खेल उन लोगों को काफी पसंद आता है..जिन्हें खतरों से प्यार है…जिन्हें रोमांच पसंद है…..छोटी सी राफ्ट और हाथ में चप्पू के सहारे नदी की लहरों से खेलने की हिमाकत हर कोई नहीं कर सकता… पर हम ने ऐसा कर लिया था। … जैसे जैसे राफ्ट आगे बढ़ी रैपिड से सामना होता है……हमारे राफ्ट ने हिचकोले खाना शुरू कर दिया….. पानी का रौद्र रूप रौंगटे खड़े करने वाला था। हमारे गाइड ने बताया कि रोलर कोस्टर रैपिड में तो कभी कभी राफ्ट भी पलट जाती है। मैंने पूछा -अगर कोई रैपिड में गिर जाए तो उसे क्या करना चाहिए? गाइड ने बताया -उसे घबराना नहीं चाहिए और फ्लोट करने की कोशिश करना चाहिए। तो इस प्रकार हम सभी ने रिवर राफ्टिंग का आनन्द लिया। डर तो काफी लगा… पर वो कहते है ना ” डर के आगे जीत है। “ तो बस हम सभी को बहुत अच्छा लग रहा था। जों एडवेंचर एक्सपीरियंस के लिए हम यहां आए थेे वो कंप्लीट हुआ। ….
रिवर राफ्टिंग की बुकिंग के लिए अनेक पैकेज ऑनलाइन वेब साइट्स पे उपलब्ध है परन्तु सीधा ऋषिकेश पहुंंच के वहाँ के राफ्टिंग एजेंट से संपर्क करने से आपको राफ्टिंग का मूल्य सस्ता पड़ेगा। हम सभी ने भी यहां पहुंच कर ही बुकिंग की थी। ऋषिकेश में राफ्टिंग के लिए फरवरी जून और फिर अक्तूबर से दिसंबर मध्य तक का समय आदर्श माना जाता है। मानसून में वॉटर स्पोट्र्स बंद हो जाते हैं, इसलिए अगर कोई इनकी पेशकश भी करता है तो आप खुद अपनी सुरक्षा की खातिर उनसे दूर रहें ताकि एडवेंचर आपकी ज़रा-सी लापरवाही से मिसएडवेंचर में न बदल जाए। राफ्टिंग के अलावा आप यहाँ कैम्पिंग का आनंद ले सकते हैं.गंगा नदी के किनारे किनारे बने ये सुन्दर सुन्दर कैंप आपका मन मोह लेंगे। आप चाहे तो शिवपुरी में कैम्प करें या फिर नीलकण्ठ मंदिर के रास्ते पर बने कैम्पों में रुकें। यह सभी कैम्प लोकल लोगों द्वारा संचालित किये जाते हैं. इनमे से कुछ कैम्प हैं हवेल रिवर कॉटेज एंड राफ्टिंग कैम्प, राफ्टिंग मस्ती, गंगा बीच रिसोर्ट आदि।
ऋषिकेश में खाना खाने के लिए चोटीवाला रेस्टोरेन्ट बहुत मशहूर है। लोग यहाँ दूर-दूर से खाना खाने आते हैं। रेस्टोरेन्ट के बाहर एक व्यक्ति चोटीवाले महाराज का रूप धार कर आने वालों को आकर्षित करता है।
यह रेस्टोरेन्ट लक्ष्मण झूले के नज़दीक पड़ता है। अगर आप शहर में अच्छा भोजन करना चाहते हैं तो मुख्य बाजार में त्रिवेणी घाट के पास विशाल भोजनालय में ज़रूर जाए। यह एक साधारण भोजनालय है जिसका खाना बहुत स्वाद है। ऋषिकेश में एक मिठाई की दुकान है- रजिस्थानी मिष्ठान भण्डार यहाँ से मिठाई ज़रूर लेकर जाएं।
ऋषिकेश जाने का सबसे अच्छा समय: गर्मी में तापमान अधिकतम तक पहुँच जाता है ऋषिकेश का दौरा साल में कभी भी किया जा सकता है, केवल मई माह में यात्रा करने से बचना चाहिए।
कैसे पहुंचें? ऋषिकेश दिल्ली, देहरादून और हरिद्वार जैसे आसपास के शहरों से नियमित बस सेवाओं द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यात्री इन शहरों से प्राइवेट और राज्य स्वामित्व की बसों का लाभ ले सकते हैं।
ऋषिकेश रेलवे स्टेशन दिल्ली, मुम्बई, कोटद्वार और देहरादून जैसे भारत के महत्वपूर्ण शहरों से जुड़ा हुआ है।
यह शहर के केन्द्र से 4 किमी की दूरी पर स्थित है।
18 किमी की दूरी पर स्थित देहरादून का जॉली ग्रान्ट हवाईअड्डा ऋषिकेश के लिये निकटतम हवाईअड्डा है।
यह हवाईअड्डा दिल्ली के इन्दिरा गाँधी अन्तर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से जुड़ा हुआ है जहाँ से भारत के प्रमुख शहरों के लिये उड़ाने ली जा सकती हैं। यात्री हवाईअड्डे से ऋषिकेश तक पहुँचने के लिये टैक्सियाँ किराये पर ले सकते हैं।
मेरी यात्रा का वर्णन आप सभी को कैसा लगा। अपने विचार अवश्य व्यक्त करे। अभी तक के लिए इतना ही….
तो मिलते है फिर अगले ब्लॉग में।……💁