एक मंकी वैली जो बसा हैं अरावली पर्वतों के बीचों- बीच

Tripoto
31st Aug 2020
Photo of एक मंकी वैली जो बसा हैं अरावली पर्वतों के बीचों- बीच by Yadav Vishal
Day 2

सलाम नमस्ते केम छू दोस्तों 🙏

राजस्थान को वीरों की भूमि कहा जाता है। जयपुर से लेकर बीकानेर तक और भरतपुर से लेकर उदयपुर तक राजस्थान का कोना-कोना स्वर्णिम इतिहास की गवाही देता है। राजधानी जयपुर में वैसे तो कई सारी जगह हैं जहां ऐतिहासिक विरासत की झलक देखने को मिलती है। जयपुर में ऐसी ही जगह है जो इतिहास के साथ-साथ अपने में आस्था भी समेटे हुए है।

जब मैं कॉलेज में था तो मुझे इस जगह के बारे में पता चला तो मैं इसे देखने और यहां के बारे में और जानने के लिए उत्सुक हो गया। फिर एक दिन मैंने और मेरे दोस्तो ने प्लान कि आज चलते हैं यहां फिर क्या था हम निकल लिए यहां के लिए।

गलता घाटी को जयपुर और पूरे राजस्थान में गलताजी के नाम से भी जाना जाता है। यह जगह केवल धार्मिक (religious) नहीं है बल्कि यह आंखों को सुकून देने वाली जगह भी है। गलता जी अरावली पर्वत की गोद में बसी एक प्यारी सी जगह है। यहां बरसात के महीने में हरी चादर बिछ जाती है ।

यहां की एक खासियत बन्दर है। जी हां, यहां बन्दर इतने ज्यादा है कि इसकी वजह से इसे मंकी वैली भी कहा जाता है। नेशनल ज्योग्राफी चैनल ने यहां के बन्दरों पर सीरीज बनाकर टेलीकॉस्ट भी की है। बंदरों की वजह से यह जगह बहुत फेमस हैं।

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गलता जी को धार्मिक स्थान कहने के पीछे एक कहानी है। गालव नामक एक प्रसिद्ध ऋषि हुए। ऋषि गालव ने लगातार सौ वर्षों तक इसी जगह पर तपस्या की। तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने यह वरदान दिया की यह स्थान तीर्थ स्थान के रूप में प्रसिद्ध होगा। यहां हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन के महीने में कांवड़िए अपनी कांवड़ में जल भर ले जाते हैं। कई लोग इस जगह पर अपने पूर्वजों का पिंडदान करने भी आते हैं।

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यहां कुल मिलाकर सात कुंड हैं जिनमें 12 महीने पानी भरा रहता है। यहां इन कुंडों का निर्माण चट्टानों को काटकर किया गया है। पानी एक कुंड से दूसरे कुंड में प्रवाहित होता है। तीर्थ स्थानों में पानी के स्त्रोत का बहुत महत्व होता है। ऋषि गालव वही ऋषि हैं जिनके नाम पर ग्वालियर का नाम रखा गया है।

गलता जी में बहुत सारे मंदिर हैं जिनमें सीताराम मंदिर,बालाजी मंदिर और सूर्य मंदिर प्रमुख हैं। गलताजी को धाम बनाने का श्रेय जयपुर के राजा मानसिंह के दीवान राव कृपाराम को जाता है। कृपाराम ने गलताजी को संवारने का काम किया। इसके बाद विभिन्न लोगों के द्वारा इसका जीर्णोद्धार किया गया। जीर्णोद्धार करवाने में बिरला परिवार का अहम स्थान है। बालाजी मंदिर द्रविड़ शैली(dravid style) में बना मंदिर है। वहीं सीताराम मंदिर नागर शैली (north indian style) में बना मंदिर है। इसके अलावा सूर्य मंदिर खजुराहो शैली में बना एक प्रसिद्ध मंदिर है।

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गलताजी केवल धार्मिक ही नहीं आंखों का सुकून देने वाली जगह भी है। बरसात के मौसम में यह जगह किसी जन्नत की तरह दिखाई देती है। ऊंची-ऊंची पहाड़ियां और उस पर हरियाली की चादर और रंग-बिरंगे खिले फूलों की लड़ियां चार चांद लगा देती हैं। बरसात में बनने वाले अस्थाई झरने दूध की धार की तरह दिखाई देते हैंज। जयपुर घूमने आने वाले बहुत ही कम लोग गलताजी घूमने जाते हैं। बहुत सारे लोग गलता जी के बारे में जानते ही नहीं हैं। यहां केवल प्राकृतिक और धार्मिक नहीं बल्कि जयपुर को देखने का अनोखा अानंद पाने के लिए एक बार जरूर गलता जी आना चाहिए। गलता जी के सूर्य मंदिर से जयपुर का नजारा अद्भुत, अकल्पनीय, विस्मृत करने वाला होता है। यहां से दूर-दूर तक फैले जयपुर को देखा जा सकता है।

अगली बार जब भी जयपुर आएं तो गलता जी जरूर जाएं। प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ धार्मिक काज का भी लाभ उठाएं।

मन्दिर में दर्शन का समय:
यहां पर कभी भी पहुंचा जा सकता है। हालांकि यहां स्थित मन्दिर दिन में दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक बन्द रहते है।

कैसे पहुंचें 

रेल मार्ग— नजदीकी रेलवे स्टेशन जयपुर रेल्वे स्टेशन एवं गांधी नगर स्टेशन है। दोनों ही यहां से करीब 15 किलोमीटर दूरी पर है।

सड़क मार्ग— नजदीकी बस स्टैंड सिंधी कैम्प है। जो करीब 15 किलोमीटर दूर है।

एयरपोर्ट— सांगानेर एयर पोर्ट यहां से करीब 25 किलोमीटर दूरी पर है।

टैक्सी से यहां पहुंचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त यहां तक विभिन्न इलाकों से बस सेवा भी उपलब्ध है।

फोटो के माध्यम से आप यहां का आनन्द उठाएं

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