Dakshin Bharat Yatra : Tirupati Balaji Temple
दक्षिण भारत का सुहाना और धार्मिक सफर
[[ 07-04-2016 ]]
सुबह तकरीबन 4.00 हम तिरूपति रेलवे स्टेशन पहुंचे मुझे तो ट्रेन में नींद कम ही आती है सो मैं तो जग ही रहा था मैंने सब को जगा दिया फटाफट समान उतारा स्टेशन पर काफी भीड़ थी हम सब बाहर चल दिए बाहर देखा कि बहुत लोग ग्रुप में जा रहे थे पुछने पर पता लगा कि यह मार्ग पैदल यात्रियों का है हमने ओटो कर लिया और चल दिए तिरुपति देवस्थानम् ट्रस्ट भवन कि और यह भवन मंदिर कि तरफ से संचलित होता है इस भवन में काफी कमरे हैं हमने दो कमरे बुक कर लिये और नहा-धोकर तैयार हो गये ट्रस्ट के अंदर ही बस का टिकट काउंटर है बस कि टिकट लेकर हम चाय नाश्ता करने लगे थोड़ी देर में ही बस कि सवारी पुरी हो गई बस चल दी तिरुमाला पहाड़ियों कि तरफ जल्द ही पहाड़ों का सफर शुरू हो गया हम 10.30 तक तिरूपति बालाजी मंदिर पहुंचे
तिरुपति बालाजी मंदिर
तिरुपति रेलवे स्टेशन से करीब 22 किलोमीटर दूर तिरुमाला पहाड़ियों पर है. इसे भगवान वेंकटेश्वर बालाजी का मंंदिर कहा जाता है. ये विशाल परिसर वाला मंदिर है. यहां मंदिर की गतिविधियां सुबह पांच बजे से शुरू होकर तकरीबन रात 9.00 बजे तक चलती रहती हैं. मंदिर आंध्र प्रदेश के दक्षिणी हिस्से में चित्तूर जिले में है. तिरुपति सड़क़, रेल और हवाई मार्ग से बहुत बेहतर ढंग से जुड़ा है मंदिर परिसर में खूबसूरती से बनाए गए कई द्वार, मंडपम और छोटे मंदिर हैं. आमतौर पर ये माना जाता है कि तिरुपति बालाजी मंदिर में लोगों को दर्शन करने में 24 से 36 घंटे का समय लग सकता है क्योंकि इस मंदिर में औरसतन 50 हजार से एक लाख लोग रोज दर्शन करने आते हैं. त्यौहार पर तो लोगो कि संख्या और भी ज्यादा हो जाती है
तिरुपति बालाजी मंदिर में बालों के दान कि परंपरा है बाल दान के बारे में कहा जाता है कि जो मनुष्य यहां अपने बालों का दान करता है उसे देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही सारी परेशानी खत्म हो जाती है। मान्यता है कि जो व्यक्ति अपने मन से सभी पाप और बुराइयों को यहां छोड़ जाता है उसके सभी दुख देवी लक्ष्मी खत्म कर देती हैं। इसलिए यहां सभी बुराइयों और पापों के रूप में लोग अपने बाल छोड़ जाते हैं। ताकि भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी उस पर प्रसन्न रहें। बता दें कि तिरुपति मंदिर में प्रतिदिन करीब 20 हजार भक्त यहां अपने बाल दान करके जाते हैं। वहीं इस कार्य को सम्पन्न करने के लिए मंदिर परिसर में करीब 600 नाइयों को भी रखा गया है। हमें भी अपने बाल दान करने थे इसलिए हम चल दिए कल्याण कट्टा के भवन वहीं बाल दान होते है बाल दान करने के बाद हम चल दिए पुष्करणी सरोवर तरफ सरोवर में नहाने के बाद दर्शन कि लाईन में लग गए, हम सब यात्रीयो को एक गलियारे मे भेज दिया वहीं से तिरुपति मंदिर के मशहूर लड्डू का टोकन मिल रहा था लड्डू पाने के लिए आपको लंबी कतार में खड़े होकर हाईटेक कूपन लेना होता है. इसमें सुरक्षा कोड और बायोमेट्रिक विवरण जैसे, चेहरे को पहचानना वगैरह मौजूद होते हैं.
कुछ देर बाद हम मन्दिर के प्रांगण मे प्रवेश किया.सभी लोग गोविन्दा गोविन्दा कह रहे थे
तिरूपति बाला जी का मन्दिर अन्दर से पूरी तरह से सोने का बना है जो दिखने मे बहुत ही सुन्दर लगता है.तिरूपतिबाला जी के बराबर मे ही लक्ष्मी माता का मन्दिर है. मंदिर को काफी सजा रखा था दर्शन करें और हम बहार आ गये ,
रात 10.30 तक हम तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट पहुंचे सब काफी थक चुके थे होटल से खाना खाया और कमरों में जाते ही सो गए.