Dakshin Bharat Yatra : Meenakshi Temple
दक्षिण भारत का सुहाना और धार्मिक सफर
[[ 02-04-2016 ]]
मीनाक्षी मंदिर
सुबह सब जल्दी ही उठ गये। कुछ उठने में अलस कर रहे थे परन्तु मैंने सबको उठ दिया क्योंकि हमें मीनाक्षी मंदिर देखने जाना था समय कम था सुबह के 5:30 रहे थे। 9:00 बजे कि बस बुक कर रखी थी रामेश्वर जाने कि लिए फटाफट सब तैयार हो गए मंदिर जाने के लिए। जल्दी पहुंचने के लिए रिक्शा कर लिया। मंदिर पहुंचे ही प्रसाद लिए और चल दिए मंदिर के अंदर। यह खुबसूरत मंदिर देवी मीनाक्षी तथा भगवान शिव को समर्पित है इस मंदिर का गर्भगृह लगभग 3000 वर्षों से अधिक पुराना है इस मंदिर में कुल 12 प्रवेश द्वार है इन सब पर देवी-देवताओं के चित्र अंकित है वैसे मीनाक्षी मंदिर का पूरा नाम मीनाक्षी ‘सुंदरेश्वर मंदिर’ है। दरअसल एक ही परिसर में मीनाक्षी अम्मन मंदिर के साथ ही विशाल सुंदरेश्वर मंदिर भी है। इस मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण इसके ऊंचे-ऊंचे टावर हैं। जिन्हें वहां कि भाषा में गोपुरम भी कहा जाता है चारों दिशाओं में स्थित द्वारों के गोपुरम काफी बड़े है। अंदर के द्वारों पर स्थित गोपुरम आकार में छोटे है। मंदिर लगभग 3500 वर्ष पुराना बताया जाता है, किन्तु इसका आधुनिक ढांचा और बाहरी निर्माण लगभग 1500-2000 वर्ष पुराना है इस मंदिर में एक मुग़ल शासक मलिक कपूर द्वारा 1310 में खूब लूटपाट की गयी थी और इस मंदिर को नष्ट भी किया गया, किन्तु तत्कालीन राजाओं ने इसके पुनर्निर्माण का कराया यह मंदिर पूरे 45 एकड़ की भूमि में फैला हुआ है, जिसमे मुख्य मंदिर की लम्बाई 254 मीटर और चौड़ाई 237 मीटर है। मंदिर में सरोवर भी है जो काफी सुंदर है। मंदिर में हम काफी देर रुके मंदिर का प्रत्येक भाग देखा मेरे ख्याल से यह भारत का सबसे विशाल मंदिर है। दर्शन करने के बाद हम बहार आ गये। और चल दिये अपने कमरे कि तरफ जहां बस खड़ी थी
जब हम बस तक पहुंचें तो लगभग सभी सवारी आ चुकी थी बस दो सवारी नहीं आई थी जब तक हमने चाय नाश्ता कर लिया। जल्दी वो सवारी भी आ गई बस चल पड़ी रामेश्वर के लिये देर से आने कि वज़ह से हमें पीछे कि सीट मिली।