कटरा यूनिवर्सिटी "श्री माता वैष्णो देवी यूनिवर्सिटी " का नाम तो सुना होगा आपने, यह यूनिवर्सिटी कटरा में माता वैष्णो देवी के चरणों में स्थित है| तब मैं वहां एक विद्यार्थी था, अभी अभी परीक्षायें ख़तम हुई थी तो हम सब दोस्तों ने सोचा क्यों न एक छोटी से पिकनिक बनाये जाए | फिर बात चली की जायें कहाँ ? तभी मैंने सुझाव दिया क्यों न बाबा धनसर चले वो यूनिवर्सिटी से जायदा दूर भी नहीं है और अगर हम एक मिनी वैन करले तो उसमे हम सातों के सातों आजायँगे|| यूनिवर्सिटी से लगभग बाबा धनसर की दुरी 25 किलोमीटर होगी | सब मेरी बात से सहमत होगये और तैयार होने चले गए| मेरे भाई आज ही जम्मू आ रहा था उसकी ट्रैन आज सुबह ही जम्मू पहुंचनी थी तो मैंने सोचा क्यों न उसको भी बुला लू | उसे भी लगभग तीन घंटे लग जाते वहां पहुंचने में क्यूंकि जम्मू से अगर वो बस लेता है तो उसे 52 किलोमीटर की दुरी तय करनी पड़ती कटरा तक और उसके बाद वो कटरा से मिनी बस लेता जो रियासी की तरफ जाती है तो बाबा धनसर पहुंच सकता था| यह सब मैंने उसको समझाया और वो जम्मू से बाबा धनसर आने को तैयार होगया| मेरे एक दोस्त ने मिनी वैन भी करवाली|
रस्ते में दोस्तों ने गाने गाये और कुछ ने तो अपनी दिल टूटने ने कहानियां सुनाई, आखिर में इस सुझाव पर आये की दिल किसी से नहीं लगाना चाहिए | इस पर सब हंस पड़े | हमें एक दोस्त ने बताया की जहाँ हम जा रहे हैं उसके आसपास कुछ दुरी पर और भी धार्मिक स्थान हैं जैसे नौ देवियाँ , सियाड बाबा और बाबा जित्तो || बातों बातों में हमें पता नहीं चला कब हम बाबा धनसर की और जाने वाली सड़क पर आगये | कटरा से रियासी जाते हुए एक सड़क बायें तरफ जाती है वहीं से बाबा धनसर का रास्ता जाता है उसकी दायें तरफ पहाड़ी पे एक स्कूल है| यह रास्ता कुछ कच्चा था इसलिए गाड़ी में कुछ धक्के लग रहे थे| हम सब गाड़ी से उतरे और नीचे की तरफ सीढ़ियों पे चलने लगे| कोई लगभग 30 -35 सीढ़ियां उतरने के बाद हम बाबा धनसर के प्रवेश द्वार तक पहुंचे, वहां हम सबने अपने जूते उतारे और अंदर की ओर जाने लगे |
जैसे ही हम अंदर गए हम आश्चर्य चकित रह गए| इतनी सूंदर झील मनो जैसे मोतियों को वर्षा हो रही हो और वो मोती कुछ इस तरह वहां इकठे हो रहे हो जिसमे हम अपना ही अक्स देख सके | उस झील ने तो जैसे मन को महो लिया | यह झील करुआ नामक झील से विख्यात है क्यूंकि पुराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि एक राक्षस हुआ करता था जो करुआ झील के किनारे रहता था वह गाओं के लोगों पर अत्याचार करता था तब गाओं के लोगों ने बाबा धनसर से सहयता मांगी| बाबा धनसर ने फिर भगवान शिवजी की पूजा की और उनकी मदद से राक्षस को मार गिराया|| यह करुआ झील काफी पवित्र मानी जाती है कि आज भी इस झील में नहाना मना है |
फिर हमने वहां मंदिर पे माथा टेका और कुछ देर वहीं एक पेड़ के नीचे थोड़ा विश्राम किया, वहां हमारी यूनिवर्सिटी से कुछ और दोस्त भी आये थे तो हम सबने मिलकर फोटो लिए|
यह भी माना जाता है की जब शिवजी भगवान् पारवती माता को अमरता की कथा सुनाने अमरनाथ की गुफा में आये थे तब उन्होंने सर्प राजा शेषनाग को अनंतनाग छोड़ दिया | शेषनाग ने वासुदेव के नाम से मानव योनि में जन्म लिया| वासुदेव के ही एक पुत्र बाबा धनसर हुए जिन्होंने राक्षस हो मारकर गाओं के लोगों की रक्षा की| फिर वहीं मंदिर से, बहार नीचे की ओर जाकर हम पानी में उतर गए| उस दिन हमने काफी मज़े किये ||