साल 2011 के हिसाब से भारत में सबसे ज्यादा जनजातीय जनसंख्या वाले राज्यों में छत्तीसगढ़ का स्थान सातवां है। छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) वर्ग की जनसंख्या लगभग 78 लाख है। यहां मुरिया, अबूझमारिया, दांडामी, बैगा, कोल, गोंड आदि जनजातियां रहती हैं। इन जनजातीयों की अपनी-अपनी कला और संस्कृति है। इनके अपने-अपने डांस भी हैं। इनकी वेशभूषा, ज्यूलरी कलरफुल होती हैं। आदिवासी ये डांस त्योहारों और कुछ विशेष अवसरों पर करते हैं। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के महंत घासीदास म्यूजियम में इन्हीं आदिवासियों के डांस करते हुए मॉडल हैं।
1. गौर डांस (GAUR DANCE) - ये डांस छत्तीसगढ़ की मुरिया जनजाति करती है। बस्तर की मुरिया जनजाति इसे साल भर में एक बार होने वाले जात्रा (JATRA) फेस्टिवल के दौरान करती है। ये डांस अच्छी बारिश और गांवों की संपन्नता के लिए किया जाता है। इसमें महिला और पुरुष दोनों हिस्सा लेते हैं। पुरुष अपने सिर पर सींग वाला मुकुट भी पहनते हैं।
2. करमा डांस (KARMA DANCE) - छत्तीसगढ़ के सरगुजा, रायगढ़ और कवर्धा में रहने वाली बैगा जनजाति इस डांस को करती है। मांदर नाम के वाद्ययंत्र (Musical instrument) पर महिला और पुरुष डांस करते हैं।
3. सैला डांस (SAILA DANCE) - छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में बैगा जनजाति के लोगों के द्वारा किया जाता है। इसे मांदर और झांझ की थाप पर धोती पहनकर पुरुष एक गोल घेरे में करते हैं। इस डांस को फसल की कटाई के बाद किया जाता है।
4.ककसार डांस (KAKSAR DANCE) - छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके की अबूझमारिया जनजाति द्वारा अच्छी फसल होने की खुशी में ककसार डांस किया जाता है। इसी डांस के दौरान युवक-युवतियां अपने जीवनसाथी भी चुनते हैं।
5. सुआ डांस (SUWA DANCE) - छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके में सतनामी जनजातीय समूह डांस को करता है। बांस से बनी एक टोकरी में चावल भरे जाते हैं, मिट्टी से तोते रखे जाते हैं और दीप जलाकर इसके चारों ओर महिलाएं और लड़कियां सुआ डांस करती हैं।
6. गेड़ी डांस (GEDI DANCE) - गेड़ी डांस छत्तीसगढ़ की मुरिया जनजाति का एक प्रमुख डांस है। ये घोटुल प्रथा का अहम हिस्सा है। इसमें पुरुष लकड़ी की गेड़ी पर चढ़कर डांस करते हैं। इसमें केवल पुरुष भाग लेते हैं। इस डांस को डिटोंग पाटा भी कहा जाता है।
7. गौरा-गौरी (GAURA-GAURI) - दीवाली के दूसरे दिन गौरा और गौरी की मिट्टी मूर्ति स्थापित की जाती है। शाम को इन मूर्तियों को नाचते-गाते हुए नदी या तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है। इसे सभी जाति वर्ग के लोग मनाते हैं।
8. सरहुल डांस (SARHUL DANCE) - छत्तीसगढ़ में इस डांस को उरांव जनजाति के द्वारा किया जाता है। साल पेड़ की पूजा की जाती है और धरती माता को धन्यवाद दिया जाता है। मांदर की थाप पर महिलाएं गले में डालकर टोली बनाकर डांस करती हैं।
9. पंडवानी (PANDWANI) - छत्तीसगढ़ में महाभारत की किस्से-कहानियां छत्तीसगढ़ी में गई जाती है, इसे ही पंडवानी कहा जाता है। इसे व्यक्ति पारंपरिक वेशभूषा (Traditional Attire) पहनकर पंडवानी का अंकन किया जाता है।
📃BY_vinaykushwaha
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