बिहार में गया अंतराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन मानचित्र में अपनी जगह बना चुका है। इसी बिहार में अभी तक एक ऐसा क्षेत्र है जो अपनी विशिष्ट वास्तुकला एवं समृद्ध संस्कृति होने के बावजूद पर्यटकों से दूर रहा है, वो क्षेत्र है मिथिला। माता जानकी की धरती मिथिला का बौद्ध साहित्य में भी एक विशिष्ट स्थान रहा है। दरभंगा महाराज के महलों की कलाकृतियों को देखने पर आप फ़ोटो लिए बिना रह ही नहीं सकते। आशीष सिंह और कनकबाला ने मिलकर पहली बार इस क्षेत्र को पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिये 'घुमू मिथिला' की शुरुआत की है। राजनगर के महलों की नक्काशी भूकंप में तबाह होने के बाद भी कपल एवं इतिहासकारों के लिए खास पलों को यादगार बनाने वाला है। गांव के इको-टूरिज्म से लेकर यहां के लज़ीज़ व्यंजनों को समेटे 'घुमू मिथिला' की शुरुआत कोरोना के बाद आने वाले दिनों में पर्यटकों के लिये एक नया रोमांच पैदा करने वाला है। यहां के पारंपरिक नृत्य, जैसे- झिझिया, जट जटिन को देखकर देशी ही नहीं विदेशी भी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। विश्व प्रसिद्ध मिथिला चित्रकला को नजदीक से जानने का मौका आपके जीवन में भी रंग भर देने वाला है। 'घुमू मिथिला' के साथ मिथिला जैसे नये क्षेत्र का भ्रमण आपके पर्यटन को यादगार बना देगा।
फ़ोटो: डॉ राज अरोड़ा एवं
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