गाँधी सागर बाँध के बेक वाटर के किनारे प्रकृति की गोद में चम्बल नदी के किनारे बसा हिंगलाज रिसोर्ट जो की 3 साल पहले प्रारंभ हुआ है, यह पर्यटकों के लिए स्वर्ग बन चूका है. यहाँ राजस्थान एवं मध्य प्रदेश के टूरिस्ट अपना वीकेंड गुजरने के लिए आते है. यहाँ ठहरने एवं यहाँ से प्रकृति के नज़ारे देखने की बात ही कुछ अलग है.
मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम गांधीसागर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रहा है. यहां हिंगलाज रिसोर्ट व बोट क्लब भी राज्य सरकार द्वारा बनाया गया है. गांधीसागर के विभिन्न सेक्टरों को आपस में जोड़ने वाले मुख्य मार्ग पर जंगल सफारी से यात्रा करना एक रोमांचक अनुभव है .
हिंगलाज रिसोर्ट के प्रभारी अधिकारी बिम्बिसार ने बताया की हमारे रिसोर्ट में 3 से 4 दिन का स्टे प्लान करके पुरे क्षेत्र के कई टूरिस्ट स्पॉट कवर किये जा सकते है.
हमारे यहाँ स्विमिंग पुल एवं जिम की सुविधा उपलब्ध है. हमारे यहाँ स्टे करने वाले टूरिस्ट यहाँ के स्टे की तुलना ऊटी एवं हिल स्टेशन से करते है. हमारे 22 लक्जरी कमरों से गाँधी सागर डेम का जो विहंगम द्रश्य देखने को मिलता है उसकी किसी से तुलना नहीं की जा सकती है. हमारे मेहमान इतने विहंगम द्रश्यो को देखकर चकित हो जाते है.
स्विमिंग पुल में पुरे परिवार के साथ स्विमिंग का आनंद लेने की बात ही कुछ और है .
उन्होंने बताया की 5 मिनट की दुरी पर हमारा बोट क्लब है जहा बोटिंग का मजा लिया जा सकता है.
बोटिंग करते हुए डेम के मध्य में बने टापू पर जाना जिंदगी भर ना भूलने वाला अनुभव होता है.
भारत का दूसरा सबसे बड़ा जलाशय होने के साथ गांधी सागर बाँध हज़ारों प्रवासी पक्षियों को आश्रय प्रदान करता है और इसी कारण अंतर्राष्ट्रीय बर्ड लाइफ एजेंसी द्वारा इस जलाशय को प्रमाणित किया गया है. यहाँ बर्ड वाचिंग का अपना एक अलग मजा है.
हिंगलाज रिसोर्ट से गांधी सागर अभयारण्य जो की प्रकृति का जादू है को देखने के लिए और खोज करने के लिए एक अभूतपूर्व स्थल है, यह अभ्यारण्य मध्यप्रदेश में नीमच और मंदसौर जिले की उत्तरी सीमा पर स्थित है. गांधी सागर अभयारण्य को 1974 में अधिसूचित किया गया था एवं 1983 में सरकार ने इसमें और क्षेत्र सम्मिलित कर दियाथा. गांधी सागर अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 368.62 वर्ग किलोमीटर से भी अधिक है. यहाँ 55 तेंदुए एवं हजारो वानर एवं अन्य जंगली जानवर है.
हमारे यहाँ रुकने वाले पर्यटक इस अभयारण्य में आकर कुछ समय शांतिपूर्वक व्यतीत कर सकते हैं. यह अभयारण्य राजस्थान राज्य की सीमा से लगा हुआ है. चंबल नदी सोने पर सुहागे का काम करती है जो अभयारण्य के मध्य में से गुजरती है और अभ्यारण्य को दो हिस्सों में बांटती है. नदी के बीच से सूर्यास्त को देखने का आनंद लिया जा सकता है.
यह नदी इस अभयारण्य को पश्चिमी एवं पूर्वी दो भागों में बांटती है, जिसमें से पश्चिमी भाग नीमच जिले में और पूर्वी भाग मंदसौर जिले में स्थित है. गांधी सागर अभयारण्य आने वाले पर्यटकों के लिए निश्चित रूप से यहाँ देखने को बहुत कुछ है.
वनस्पति और जीव जंतु -
अभयारण्य पूरे साल खुला रहता है। जंगली पहाड़ियों के एक अलग इलाके के साथ – जंगल सूखे, मिश्रित और पर्णपाती- और गांधी सागर बांध डूबने के आसपास फ्लैट घास के मैदानों में, यह विभिन्न वन्यजीवन को देखने के प्रचुर अवसर प्रदान करता है. अभयारण्य में पाए जाने वाले प्रमुख वृक्ष प्रजातियां खैर (बाकिया केटेचु), सलाई, करधाई, ढवड़ा, तेंदु, पलाश इत्यादि हैं. यहाँ सागौन के पेड़ नहीं पाए जाते है.
अभयारण्य में रहने वाली प्रमुख पशु प्रजातियां हिरण हैं, जिनमें से सबसे आसानी से चिंकारा या भारतीय गज़े, नीलगाई और सांभर हैं. इसके अलावा भारतीय तेंदुए, लंगूर, भारतीय जंगली कुत्ता, मोर, ओटर, और मगरमच्छ मौजूद हैं.
पुरातात्विक और धार्मिक महत्व स्थान-
रिसोर्ट के आसपास ऐतिहासिक, पुरातात्विक और धार्मिक महत्व के कई स्थान हैं, ये चौरासगढ़, चतुरभुजनाथ मंदिर, भद्राजी रॉक पेंटिंग्स, नरसिंहजर, हिंगलाजगढ़ किला, करकेश्वर मंदिर आदि हैं.
परमार काल के दौरान में यह किला अपने वैभव के चरम पर था. किले में विभिन्न कालखंडों की मूर्तियों की कलाकृतियाँ आज भी मौजूद हैं. हिंगलाजगढ़ किला लगभग 800 साल तक गुप्त और परमार काल के दौरान मूर्ति शिल्प कला का मुख्य केंद्र रहा है.
किले में मिली सबसे पुरानी मूर्तियां जो 1600 साल पुरानी हैं और चौथी व पांचवीं शताब्दी की बताई जाती हैं. यहां से प्राप्त नंदी और उमा-महेश्वर की प्रतिमाओ ने फ्रांस और वाशिंगटन में हुए भारत फेस्टिवल में आंतरिक मंच पर ख्याति प्राप्त की है.
इस बाँध का उत्प्लवान मार्ग(स्पिलवे) प्रति सेकंड 21,238 क्यूबिक मीटर पानी का निर्वहन करता है, इससे यह साबित होता है कि यह बाँध बहुत बड़ा है. अनुसंधान एवं पर्यटन दोनों के संदर्भ में गांधी सागर बाँध का बहुत महत्व है.
पर्यटन की संभावनाएं
गांधीसागर बांध के बैकवाटर क्षेत्र में मिनी गोवा नाम से प्रसिद्ध हुए गांव कंवला, सुनारी, राड़ीवाले बालाजी सहित धर्मराजेश्वर, पोला डूंगर, हिंगोरिया जल प्रताप, शंकुद्वार, साठखेड़ा कालेश्वर महाराज, केसरमाई (दुधाखेड़ी माताजी), श्री अमरवास बालाजी, भानपुरा संग्रहालय छतरी, छोटे-बड़े महादेव जल प्रताप, हिंगलाज माता मंदिर एवंं किला, ताकेश्वर (ताकाजी), हिंगलाजगढ़़ रिसोर्ट एवं बोट क्लब, गांधीसागर बांध सहित चंबल नदी एवंं गांधीसागर अभ्यारण पर्यटन क्षेत्रों को जोड़कर एक बड़ा पर्यटन हब बनाया जा सकता है. इस संबध में मा. विधायक देवीलाल जी धाकड़ राज्य एवं केंद्र सरकार से प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर अनुरोध कर रहे है.