जब हम अपने आस पास देखने की नीयत से देखते हैं तब हमारे मन से उन चीजों को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ खड़े होते हैं, जिन्हें हम देख तो सालों से रहे हैं लेकिन देखने की नीयत से न देखने के चलते उसके वजूद को लेकर कभी क्या और क्यों जैसे सवाल नहीं किए। यही कारण है कि आज अगर मैं आपसे यह जानना चाहूं कि सड़क किनारे बने मील के पत्थरों के अलग-अलग रंग के होने का क्या राज है? तो आप में से कई लोग बगले झाँकने लग जाएंगे। तो चलिए जानते है सड़क किनारे दूरी बताने के लिए लगे इन मील के पत्थरों के अलग-अलग रंगों का राज...
क्या कहते है नारंगी रंग वाले मील के पत्थर:-
सड़क से लंबा सफर तय करने के दौरान अगर आपको किनारे लगे मील के पत्थर नारंगी रंग में रंगे दिखाई दे। तो आप यह तुंरत समझ जाइएगा कि आप किसी गांव की ओर या ग्रामीण इलाके की तरफ बढ़ रहे हैं। क्योंकि नारंगी रंग प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत बनाई जाने वाली सड़क के किनारे लगे मील के पत्थरों पर लगाया जाता है।
क्या कहानी है हरे रंग में रंगे मील के पत्थर की:-
गाड़ी से सफर करने के दौरान अगर आपको नारंगी की बजाय मील के पत्थर हरे रंग में रंगे दिखाई देने लगे। तो बिना देर किए यह समझ जाइएगा कि आप प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत ग्रामीण इलाकों को जोड़ने के लिए बनाई गई किसी ग्रामीण सड़क से होते हुए राज्य सरकार द्वारा दो राज्यों को आपस मे जोड़ने के लिए बनाए गए 'राज्य राजमार्ग' पर आ गए हैं।
फिर पीले रंग वाले मील के पत्थर का राज क्या है?
इसके बाद जब आपको सड़क के दोनों किनारे पीले रंग से रंगे मील के पत्थर दिखाई देने लगे। इसका मतलब आप अब 'राष्ट्रीय राजमार्ग' पर अपना सफर कर रहे हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण और रख रखाव की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के हिस्से आती है। नेशनल हाइवे का निर्माण देश के राज्यों को सड़क के रास्ते एक दूसरे के जोडने के उद्देश्य से किया गया।
मील के पत्थर के काले रंग में रंगे होने का कारण:-
सड़क के किनारे काले रंग से रंगे मील के पत्थर आपको इस बात का संकेत देते है कि जल्द ही आप देश के किसी बड़े शहर या नगर में प्रवेश करने वाले है। यही कारण है कि काले रंग में रंगे मील के पत्थर आपको सिर्फ दिल्ली, गुड़गांव,मुंबई, पुणे, बैंगलोर जैसे बड़े शहरों में ही दिखाई देंगे। इन सड़कों के निर्माण और रख रखाव की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होती है।
- रोशन सास्तिक