उत्तराखंड का वो नगीना जिससे आपको इश्क हो जाएगा 

Tripoto
14th Aug 2019
Photo of उत्तराखंड का वो नगीना जिससे आपको इश्क हो जाएगा by Adarsh Sharma

कई पॉपुलर हिल स्टेशन घूम चूका हूँ। इसलिए इस बार तय किया एक ऐसी जगह जाने का जो पॉपुलर न हो। सर्च करने पर कई ऑप्शन आ रहे थे जो मुझे और कन्फ्यूज कर रहे थे। फिर एक जगह पर नज़र ठहर गई और वो जगह थी कसार देवी। थोडा गूगल किया तो पता चला ये जगह तो ऐतिहासिक है। फिर मैंने ट्रेवल प्लान बनाया और निकल पड़ा।

कसार देवी उत्तराखंड के कुमाऊं रीजन में अल्मोड़ा के करीब एक क़स्बा है। मेरे साथ मेरी बीवी भी थी। हमारी शादी को 3 साल हो चुके थे. बैचलर लाइफ में मैंने खूब ऑफबीट डेस्टिनेशन को कवर किया था। लेकिन बीवी के साथ तीन सालों में अक्सर पॉपुलर डेस्टिनेश पर ही गया था। इसलिए इस बार थोडा डर था कि पता नहीं कैसी जगह है? अच्छे होमस्टे मिलेंगे भी या नहीं? खैर अब जाना था तो जाना था। सोचा जो भी होगा, जैसा भी होगा वहां जा कर देखा जाएगा।

कुछ ऐसे शुरू हुआ सफ़र

दिल्ली से रात 12 बजे हमारा सफ़र शुरू हुआ। आनंद विहार से हमने बस ली सुबह 9 बजे तक काठगोदाम पहुंचे। वैसे आप चाहे तो दिल्ली से ट्रेन भी ले सकते हैं। काठगोदाम के लिए कई ट्रेनें हैं. काठगोदाम पहुँच कर हमने अल्मोड़ा के लिए टैक्सी लिया। यूँ तो काठगोदाम से शेयर टैक्सी भी मिलते हैं लेकिन अगर आप फोटोग्राफी के शौक़ीन हैं तो प्राइवेट टैक्सी कर लें क्योंकि काठगोदाम से अल्मोड़ा के रस्ते में आपको कई ऐसे लोकेशन मिलेंगे कि आप फोटोज क्लिक करने से खुद को रोक नहीं पायेंगे। शेयर टैक्सी आपको 300 रुपये में मिल जायेंगे और प्राइवेट टैक्सी 1200 तक में। साढ़े तीन घंटे में हम अल्मोड़ा पहुँच गए।

सफ़र काफी लंबा था इसलिए हम बिलकुल थक गए थे। बस अब जल्द से जल्द कसार पहुँच कर अपने रूम में आराम करना चाहते थे. चूँकि अल्मोड़ा मैं पहले भी आ चुका था, इसलिए अल्मोड़ा में न रुक कर सीधे लोकल टैक्सी लिया कसार देवी के लिए। अल्मोड़ा -बिनसर हाइवे पर अल्मोड़ा से करीब 8 किलोमीटर दूर है कसार देवी गाँव। पहली बार पहाड़ के लोकल टैक्सी में सफ़र किया और अद्भुत अनुभव था। वो दरअसल टैक्सी नही एक जीप थी, जिसमे कई लोकल पहाड़ी लोग बैठे थे। उनकी कुमाउनी भाषा कुछ समझ तो नहीं आ रही थी लेकिन बड़ा ही अच्छा लग रहा था।

कसार देवी

कसार देवी पहुँच कर लगा ये वाकई में उत्तराखंड के मुकुट में छुपा एक नगीना। कसार में वो सब कुछ है जो बैगपैकर्स के लिए इसे एक परफेक्ट डेस्टिनेशन बनाती है- अच्छे लोग, बजट फ्रेंडली, शांत, भीड़ का नामोनिशान नहीं, ना गाड़ियों का शोर, कुछ ट्रेक्स और शानदार लैंडस्केप।

नाम से ऐसा लगता है जैसे ये कोई तीर्थ स्थल हो लेकिन ऐसा है नहीं। कसार एक कस्बा है। उस गाँव में है कसार माता का मंदिर जो दूसरी शताब्दी में बना था और उसी मंदिर के नाम पर इस गाँव का नाम पड़ा कसार देवी। एक बेहद छोटा क़स्बा।

हमने एक हॉस्टल बुक कर रखा था। बरसात का मौसम था। वैसे मैं तो चला गया बरसात में लेकिन आपको सलाह दूंगा की आप बरसात के मौसम में न जाएँ। कसार देवी पहुँचते ही बादलों ने हमारा स्वागत किया। अगस्त में भी मौसम ठंडा हो चला था। हमने जिस हॉस्टल को बुक किया था, उसका नाम था Hot's Hostel. एक छोटा सा हॉस्टल जहाँ से कसार का बेहद खुबसूरत व्यू नज़र आता था।

हमारी बालकनी से दिखने वाला नज़ारा

हमने थोड़ी देर आराम किया। लेकिन मौसम इतना अच्छा था कि ज्यादा देर तक हम कमरे में नहीं रह सके। हम निकल पड़े कसार देवी मंदिर तक ट्रेक करने, जो हमारे हॉस्टल से करीब 2 किलोमीटर दूर था। कसार देवी मंदिर तक ट्रेक करते हुए जाना एक बहुत ही शानदार अनुभव था। कितनी शांति थी यहाँ, यहाँ से लौटने का मन ही नहीं कर रहा था।

कसार देवी मंदिर

कसार देवी माँ दुर्गा के 9 रूपों में से एक माता कात्यायनी को समर्पित है। 1890 में स्वामी विवेकानंद ध्यान के लिए कसार देवी मंदिर में आये थे और कई महीनों तक यहाँ रहे। मंदिर परिसर में लगे एक बोर्ड पर इसकी जानकारी लिखी है। यहाँ कि आध्यात्मिक शांति ने विदेशियों को भी आकर्षित किया। अमेरिकी कवि एलन गिन्सबर्ग, अमेरिकी गायक-गीतकार बॉब डायलन और अंग्रेजी संगीतकार जॉर्ज हैरिसन भी आध्यात्म की खोज में कसार देवी आ चुके हैं। नासा के अनुसार ये पहाड़ वेन एलन नाम की बेल्ट पर स्थित है, जिसकी वजह से यहाँ पर पृथ्वी का चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न होता है और असीम ऊर्जा उत्पन्न होती है।

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कसार देवी मंदिर

कसार देवी की खाली खाली सड़कें, चीड़ के जंगल, ठंडी ठंडी हवा, पीठ पर बैग टांगे पैदल या फिर साइकिल से कसार नापते विदेशी पर्यटक इस जगह को विशिष्ट बनाते हैं। अगर मौसम साफ़ रहा तो आपको यहाँ से नंदा देवी, पंचाचूली और त्रिशूल पर्वत आराम से दिख जायेंगे। हम नहीं देख सकें क्योंकि हम बरसात के मौसम में गए थे और बादलों ने हमारा पीछा छोड़ा ही नहीं।

कसार में टूरिस्ट रेस्ट हाउस के पास है दीनापानी ग्राउंड। ये मैदान पहाड़ की चोटी पर है और यहाँ पहाड़ी बच्चे आपको फुटबॉल खेलते हुए दिन के किसी भी वक़्त मिल जायेंगे। इस मैदान में बैठकर आप बिनसर की चोटियों को देख सकते हैं। इस मैदान से सूर्योदय और सूर्यास्त का शानदार नजारा देखने को मिलता है।

कसार आने से पहले हमने सोचा था कि छोटा क़स्बा है, एक दिन में घूम कर अगले दिन बिनसर या फिर जागेश्वर के लिए निकल लेंगे। बिनसर यहाँ से महज 16 किलोमीटर है और जागेश्वर करीब 40 किलोमीटर। लेकिन कसार ने हमें ऐसा बाँध लिया और हम 2 दिनों तक वहां रुके। तीसरे दिन हमने जागेश्वर जाने का वक़्त निकाल ही लिया।

जागेश्वर धाम

जागेश्वर जाने के लिए अल्मोड़ा से टैक्सी मिलती है। हमारी किस्मत अच्छी थी कि हमें इस बार भी एक लोकल जीप मिल गई। उस जीप का ड्राइवर नेपाली था। उसने हमें बहुत ही सस्ते में जागेश्वर तक छोड़ दिया। जागेश्वर धाम भागवान शिव का मंदिर हैं। यहाँ एक ही परिसर में छोटे बड़े करीब 124 मंदिर हैं। प्रत्येक मन्दिर के भिन्न भिन्न नाम हैं। सावन में वहां श्रावणी मेला लगता है और बहुत भीड़ होती है। हम गए तो एक दिन पहले ही मेला ख़त्म हुआ था। इसलिए अभी भी वहां कुछ भीड़ थी।

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जागेश्वर मंदिर

जागेश्वर से आप एक दिन में ही लौट सकते हैं। कसार के आसपास और भी कई गाँव है जहाँ आप ट्रेकिंग करते हुए जा सकते हैं और कुमाऊं की संस्कृति को करीब से महसूस कर सकते हैं।

कहाँ ठहरे

कसार देवी में कई छोटे बड़े गेस्ट हाउस हैं। कसार जंगल रिसॉर्ट, इम्पीरियल हाइट्स (लक्जरी कॉटेज), हॉट्स होस्टल (बजट फ्रेंडली), मोक्ष, टूरिस्ट रेस्ट हाउस, डोलमा गेस्टहाउस के अलावा कुछ और रेस्ट हाउस हैं। यहाँ आप होमस्टे भी ले सकते हैं। स्थानीय लोगों के साथ रहना आपके लिए नया अनुभव होगा।

और हाँ यहाँ पहुँच कर कुमाउनी खाना जरूर चखें। हमने जहाँ कुमाउनी खाना खाया था उस छोटे से रेस्टोरेंट का नाम था “द कसार किचेन” और उस खाने का स्वाद अब तक हमारी जुबान पर है।

मेरे लिए इस सफ़र की सबसे बड़ी खासियत ये रही कि मेरी श्रीमती जी को कसार बहुत पसंद आया। लौटते वक़्त तो मैडम का कहना था कि अब हम ऑफ़बीट डेस्टिनेशन पर ही आया करेंगे। यहाँ भीड़ बिलकुल नहीं होती।

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