अगस्त का महीना मुझे बहुत ही अच्छा लगता है, और अगर आप असम जैसी जगह में हो तो कहने ही क्या. जहां तक आपकी नजर जाएगी बस हरियाली ही हरियाली नयनों में समाने की कोशिस करेगी. बहुत दिनों से कहीं जाना नहीं हो पा रहा था. मन बहुत गुलाटी मार रहा था. जाना तो था कहीं आस पास लेकिन सब से बड़ा सवाल था कहॉं. मैं तेज़पुर में पिछले 1 महीने से समय से रह रहा था, ज्यादा जगहों का पता नहीं था. एक दोस्त के माध्यम से ये पता चला की थोड़ा दूर एक बहुत सुंदर जलप्रपात है जिसका नाम है काकोचांग.
गूगल मे थोड़ा हाथ फेरे और जगह की जानकारी ली. गूगल बाबा भी ज्यादा कुछ बताने में असमर्थ नजर आये. बस इतना पता चला घर से 108 km की दूरी पर ये जलप्रपात स्थित है. सोचा फैमली के साथ जाना सही है अगर एक फैमिली को और साथ ले लिया जाय तो बेहतर होगा.
एक दोस्त को ये बात बतायी तो वो अपनी फैमिली के साथ चलने को तैयार हो गया. अगले दिन सुबह 8 बजे दोनों अपनी अपनी कार ले कर निकल गये काकोचांग जलप्रपात की ओर.
रास्ते में ही काजीरंगा नैशनल पार्क भी मिला. जहां बहुत आसानी से कुछ जंगली जानवर रोड के किनारे बने व्यू पॉइंट से देखने को मिल गये
करीब 11 बजे हम लोग बोकाखाट पहुँच गये.
गोलाघाट जिले में एक नगर पालिका बोर्ड है. यह विश्व धरोहर स्थल काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से लगभग 23 किमी दूर है. बोकाखाट मे एक दुकान में जा कर रास्ता पता करने पर पता चला अभी शहर के बीचो बीच से दाएँ हाथ की ओर मुड़ कर 7 Km और जाना होगा. फिर से चल दिये.
7 km आगे जाने के बाद पता चला की गाड़ी यहाँ ही खड़ी करनी पड़ेगी . आगे जा कर 7 या 8 छोटी छोटी पानी की धाराओं को पार करना होगा जहां का रास्ता काफी संकरा है जिसमें गाड़ी को उतारना संभव नहीं है. अगर बाइक है तो जा सकते हैं. फिर वहाँ से हम लोग उतर कर पैदल ही चल दिये.
मैंने और मेरे दोस्त ने अपने अपने- बच्चों को अपने - अपने कंधों पर रख लिया और एक- एक बैग भी कंधों पर पहले से ही विराजमान था. बाकी बचा समान अपनी- अपनी गृहणियों को थमा दिया.
पहले पता नहीं था की काकोचांग जाते हुए हमको पैदल भी चलना पड़ेगा नहीं तो हम लोग और जल्दी घर से निकलते . हस्ते गाते खाते पीते पानी के बीच से होते हुए हम सब गुजर रहे थे. मौसम बहुत सुहाना था. कभी कभी हल्की सी पानी की बौछार भी हो रही थी जिस से चलने मे और भी आनंद आ रहा था.
बोकाखाट से मैंने कुछ बियर भी ले ली थी जिसके बारे में किसी को नहीं पता था, कुछ दूर चलने के बाद मैंने अपने दोस्त को रोक लिया और बाकी लोगों को बोला तुम लोग चलो हम लोग पीछे से आ रहे हैं. सब को लगा हमको लघुशंका लगी है. जब बाकी लोग कुछ आगे चले गये तो एक गुमटी के नीचे हम लोगों ने बियर के मजे लिए.
गले को ठंडा कर के कुछ समय बाद हम दोनों ने बाकी लोगों को जॉइन कर लिया. जल्द ही हम लोग अपनी मंजिल में दस्तक दे चुके थे. जब पहली बार जलप्रपात को देखा तो यकीन ही नहीं हुआ ऐसी जगह इतना प्यारा कुदरत का तोहफा भी हो सकता है. बस देखते ही रहा बहुत देर तक उस सजीव जलप्रपात को.
अब समय था वहाँ कुछ जल क्रीड़ा करने का. जल्दी से बिना कपड़े उतारने सब के सब कूद पड़े पानी में. सब से आगे थे दोनों बच्चे बहुत मस्ती की सब ने वहाँ और बहुत से अलग अलग पोज देते हुये बहुत सी फोटोग्राफ भी लिए.
कैसे पहुँचे
काकोचांग आप 2 जगह से पहुचे सकते हैं पहला गुवाहाटी से और दूसरा जोहराट से. गुवाहटी और जोहराट दोनों जगह एयरपोर्ट है. गुवाहटी से यहां की दूरी करीब 250 km है जबकि जोहराट से करीब 70 km है. दोनों जगह से आपको टैक्सी बहुत आसानी से मिल जायेगी.
यहाँ पहुंचने के लिए सब से नजदीकी रेल्वे स्टेशन है मरियानी जंक्शन जहां डिब्रूगढ़ राजधानी रुकती है. मरयानी से जोहराट की दूरी 10 km है जबकि काकोचांग की दूरी 80 km है. यहाँ पहुंचने के लिए आपको करीब 7 Km का ट्रेक भी करना पड़ेगा
जाने का सही समय
जून से सितंबर
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