अगर आप यात्रा कर रहे हो आपके साथ मां हो तो मेरे ख्याल से उससे अच्छा साथी कोई नहीं हो सकता ये बात मुझे समझ आ गई उस यात्रा के दौरान जब मैं अपनी मां के साथ हिमाचल प्रदेश की यात्रा पर निकला .... चंबा, पालमपुर, धर्मशाला, शिमला, ज्वालाजी, मनाली, मंडी, कुल्लू , कांगड़ा इन सब जगह अपनी मा के साथ निकला।
रात में जब यात्रा शुरू हुई लेकिन जब हम सुबह ऊंचाई वाले इलाकों में पहुंचे, हिमालय श्रृंखला देख के जो मेरी मां के आंखों में जो खुशी थी वो एहसास मुझे आज भी याद है।
चंबा की हसीन वादियां, तो कांगड़ा की कड़कती चाय का स्वाद,
वो धौलाधार पर्वत पर सफेद चांदी, कांगड़ा की छुक छुक गाड़ी ,
मां ने पहनी मनाली की शाल और वहां की सुहानी शाम ,
शिमला में पारदर्शी ट्रेन की यात्रा तो एक तरफ मा की वो मुस्कान, ना कोई दोस्त ना कोई यार बस मेरी मां और वो बर्फीला खज्जियार...
मां फिर से लेे जाऊंगा हिमाचल की ओर और क्यूंकि अब बचा है स्पीति और किन्नौर...
आखरी में यही कहूंगा मैं
Mountains and mother after this perfect combination you don't need any other...