इसमें कोई शक नहीं कि भारत की सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है लेह-लद्दाख और आपको अपने जीवन में कम से कम एक बार यहां जरूर जाना चाहिए। अगर आपको अडवेंचर पसंद है और आप अपनी बाइक से देशभर में कई जगहों पर घूम चुके हैं तो एक बार बाइक ट्रिप से लेह-लद्दाख भी जाएं। हालांकि लेह तक बाइक से जाना आसान नहीं है क्योंकि यह दुनिया के सबसे मुश्किल रोड ट्रिप्स में से एक है लेकिन इस दौरान रास्ते में दिखने वाली खूबसूरती हमेशा के लिए आपकी यादों में बस जाएगी।
आप जिस रास्ते से लेह जाना चाहते हैं उसका प्लान पहले से बना लें। वैसे तो ज्यादातर ट्रैवलर्स मनाली के रास्ते लेह जाना पसंद करते हैं। मनाली हाइवे से लेह जाने में 2 दिन का वक्त लगता है। वापसी का सफर भी इसी हाइवे के जरिए पूरा किया जाता है।
- आमतौर पर बाइक ट्रिप से लेह-लद्दाख जाने में 12 से 15 दिन का वक्त लगता है।
- यात्रा शुरू करने से पहले लेह की और रास्ते में पड़ने वाली जगहों के मौसम की भी जानकारी हासिल कर लें। लेह-मनाली रूट समुद्र तल से 4 हजार फीट की ऊंचाई पर है और लेह का मौसम बेहद ठंडा होता है और कभी-कभी तापमान -30 डिग्री तक पहुंच जाता है। पहाड़ों की ऊंचाई पर आपको ऑक्सिजन लेवल कम होने पर मुश्किलों का सामना भी करना पड़ सकता है। लिहाजा इन बातों के लिए तैयार रहें।
- बाइक ट्रिप पर निकलने से पहले ढंग के कपड़े और अक्सेसरीज अपने साथ रखें ताकि रास्ते में या फिर लेह पहुंचने के बाद आपको ठंड न लगे।
- बाइक राइड के दौरान जरूरत पड़ने वाली सभी चीजें जैसे- राइडिंग गियर, जैकेट, ग्लव्स, हेलमेट, नी गार्ड, रेन कवर, रेन क्लोद्ज, एक्सट्रा जूते.... को साथ रखना न भूलें।
- चूंकि आप बाइक ट्रिप से जा रहे हैं लिहाजा आपकी बाइक का भी अच्छे कंडिशन में होना जरूरी है।\
लद्दाख में रोड ट्रिप करने के बेस्ट समय
लद्दाख के लिए बाइक राइड पर जाने का सही समय जून से सितंबर तक का समय लद्दाख की बाइक ट्रिप के लिए सबसे बेहतर होता है क्योंकि इस दौरान लद्दाख में सालभर की तुलना में कम ठंड होती है। हालांकि, अपने साथ गर्म कपड़े, जैकेट और बढ़िया क्वालिटी के जूते जरूर लेकर जाएं और हिमालय की ठंड के लिए खुद को तैयार रखें।
खरदुंगा ला पास
खरदुंगा ला लेह से लगभग 39 किमी दूर पर स्थित दुनिया की सबसे ऊँची सड़क है, जिस पर बाइक चलाना सबसे ज्यादा चैलेंजिंग माना जाता है, यहां आप थ्रिलिंग बाइक राइड अनुभव कर सकते हैं। ये पास श्याक और नुबरा घाटियों का प्रवेश द्वार है। वर्ष 1976 में इस सड़क को बनाया गया था, और मोटर वाहनों की आवा-जाही के सार्वजनिक रूप से इसे 1988 में खोला गया था, तब से यह पास रोड ट्रिप लवर्स के बीच खासा प्रसिद्ध है, यह पास भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका उपयोग सियाचिन ग्लेशियर को आपूर्ति करने के लिए किया जाता है।
चांग ला पास
चांग ला समुद्र तल से 5360 मी. (17,590 फीट) की ऊँचाई पर स्थित, खारदुंगा ला के बाद दूसरी सबसे उच्च मोटरेबल सड़क है। यह रोड ट्रिप को एन्जॉय करने के लिए अच्छी सड़क है, लेकिन खड़ी चढ़ाई के कारण थोड़ी सी खतरनाक भी है। बर्फ से ढक जाने के कारण सर्दियों में यह बंद रहता है। यह दुनिया का तीसरा सबसे ऊँचा परिवहन योग्य दर्रा है, जो सिन्धु घाटी को पांगोंग झील के क्षेत्र से जोड़ता है। इस दर्रे की ऊंचाई पर पहुँचने के बाद आप एक अच्छी चाय का आनन्द लेते हुए दूर दूर तक फैली पैंगोग झील के नजारों को देख सकते हैं।
बारालाचा पास
लेह से करीबन 283 किमी की दूरी पर स्थित बारालाचा पास लेह मनाली हाइवे पर पड़ने वाला दर्रा है। 4,890 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा जांसकर घाटी का सबसे उच्च पर्वत है। सर्दियों के दौरान यह पर्वत पूरी तरह बर्फ से ढका रहता है, तो वहीं गर्मियों में भी यात्रियों कि इसे दोपहर में ही क्रॉस करने की सलाह दी जाती है। सर्दियों के दौरान भारी बर्फबारी के कारण इस रास्ते को बंद कर दिया है, मनाली-लेह हाइवे होने के कारण सड़क काफी अच्छी है, हालंकि कभी कभी बर्फ की वजह से फिसलन हो सकती है। अगर आप मनाली से लेह की रोड ट्रिप कर रहे हैं, तो इस जगह की खूबसूरती को जरुर निहारे और अनुभव करें।
एडवेंचर से भरपूर लेह के इन खजानों को भी घूमना ना भूलें
लेह महल
भारत के अन्य महलों से बिल्कुल अलग व साधारण, लेह महल अपनी एक अलग चमक के साथ लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह तिब्बत में स्थित ल्हासा के प्रसिद्ध पोटाला महल का लघु-संस्करण माना जाता है। लेह महल को राजा सेंग्गे नामग्याल द्वारा 17 वीं शताब्दी में बनवाया गया था। इस महल में नौ मंजिलों का निर्माण किया गया, जिनमें से सबसे ऊपर वाले मंज़िल में शाही परिवार निवास करता था और बाकि के नीचे वाले मंज़िलों में अन्य कमरे जैसे की अस्तबल, स्टोर रूम, रसोई घर आदि वगैरह हुआ करते थे।महल का संरक्षण भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण द्वारा किया जा रहा है। यह महल आम यात्रियों के लिए खुला हुआ है और इस महल के छत से साफ़-साफ़ लेह और उसके चारों ओर का अद्भुत व मनोरम दृश्य नज़र आता है।
जोरावर सिंह किला
जनरल ज़ोरावर का किला, लेह महल और नामग्याल त्समो के गोम्पा के ऊपर स्थित है। इस प्रागैतिहासिक स्मारक को रियासी किले के रूप में भी जाना जाता है, कभी जम्मू में डोगरा शासकों की दौलत को रखा जाता था हालाँकि यह वर्तमान में बहुत खराब हालत में है। पुरातत्व, प्रागैतिहासिक संस्कृति, और कलाकृतियों में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिए, चेन्नाव नदी के पास स्थित यह किला आकर्षण का केंद्र है। किले के अन्दर एक मस्ज़िद, एक प्राकृतिक जल-स्त्रोत एवं हिंदू देवी दुर्गा और काली को समर्पित एक मंदिर है।