कुसमा, सिरोही 04 मार्च 2019 जब सुकून नही मिलता दिखावे की बस्ती में, तब खो जाता हूँ मेरे महाकाल की मस्ती में..! आज महाशिव रात्रि हैं आज मेरे लिए एक महापर्व का दिन हैं क्यों की आज मेरे महाकाल का दिन हैं वैसे तो आज में उज्जैन में नहीं हु | आज की सबसे बड़ी बात यह है कि आज शिवरात्रि और सोमवार दोनों है ओर ऎसा संयोग बहुत वर्षो में आता हैं | बात दोपहर की है मेरे कुछ मित्रो ने फोन करके पास में ही राजस्थान सीमा पर बने एक शिव मंदिर में जाने का विचार कियाI मुझे मालूम नहीं था कि कंहा जाना है! बाद में पता चला कि हम कुसमा जा रहे हैं अब नाम तो सुना हुआ था लेकिन इससे पहले कभी जाना नहीं हुआ था. हम भोले के भक्त दानतिवाड़ा गुजरात से रवाना होकर कुसमा पहुंच ही गए. यंहा का शिव मंदिर पहाड़ी के ऊपर बना हुआ है
अब हम पहाड़ी के नीचे तो पहुंच गए. सबसे बड़ी परीक्षा तो अब थी की आगे मंदिर तक चल कर ही जाना था. गाड़ी से उतरने के बाद हमने देखा कि कुछ साल पहले हुए बारिश ने यंहा काफ़ी नुकसान किया था.
कहते हैं ना कि प्रकृति के आगे किसी की नहीं चलती. वो कब बना दे कब बनाया हुआ बिगाड़ दे किसी को पता नहीं होता मंदिर पर जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई दिखाई दे रही थी.
बीच बीच में कंही सीढ़ियाँ भी टूटी हुयी थी लेकिन सबसे अच्छी बात यह थी कि jignesh भाई बीच बीच में how's the Josh..... बोलते हुए चल रहे थे . मार्च के महीने में जबकी पतझड़आ गया था तो सारे पेड़ सूखे हुए से लग रहे थे. अंदाजा लगाया जा सकता है कि बारिश में यंहा का वातावरण और पहाड़ियों का नजारा देखते ही बनता होगा | अगर आप हरे भरे जंगल के बिना पहाड़िया देखना चाहते हे तो आपको पतझड़ में आना चाहिि, बाकी पहाड़ों का अपना मजा है. यह स्थान हर एक मौसम में अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता हैं चाहे गर्मी , हो या बरसात. यंहा का प्राकृतिक द्रस्य मन को मोह हि लेता हैं | एक बात जो आपको धयान म रखना चाहिए अगर आप का वजन ज्यादा हे तो आप सीढ़ियों से बना रस्ता न चुने | हजारो की संख्या में यह की छोटी -छोटी सिडिया चट्टानों और पेड़ो के बिच से गुजरती हुई मंदिर तक पहुंचती है. मंदिर तक का सफर बहुत ही मनमोहक था | सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर जाने पे पता चला कि एक दूसरा रास्ता भी है ओर उससे आप गाड़ी भी मंदिर तक ला सकते हो. खेर कोई बात नहीं हम तो अब आ गए थे.
मंदिर पर लगे भगवन भोले नाथ के भगवा ध्वज , जो क मंदिर के पुराने होने का अहसास भक्तो को आपने आप ही होने लगता हैं , यह पर भगवन भोले नाथ की पूजा करने रह रहे साधु अनायास ही कभी निचे आते होंगे , जैसे ही सभी मित्र भगवान के दर्शन करके बाबा से मिले , कुछ देर बात करने के बाद हमारे साथी ने बाबा से भांग का प्रसाद मांग लिया | परन्तु आप ऐसा बिलकुल न करे क्यूंकि बाबा का तो यह रोज का काम हैं परन्तु आप को समस्या हो सकती हैं | होना भी यही था हमारे मित्र की हालत ख़राब हो गयी और उन्हे निचे सकुशल लाने का एक अलग ही आंनद था , क्यों की वह व्यक्ति भगवान का बड़ा भक्त हे उसको इस अवस्था में देखना आश्चर्य चकित भरा था | उनकी हालत देख कर एक गाना याद आ रहा था "आजकल पाँव जमी पर नहीं पड़ते मेरे" यहां पर बनी गुफाये बड़ी -बड़ी चट्टानें विज्ञानं को पीछे छोड़ कर लोगो में एक विश्वास जगती हैं की वह परमसत्ता अभी भी हैं , यही पर हजारो टन वजनी चट्टान महज एक मिटटी से जुडी हैं , गुरुत्वकर्षण के नियम को पीछे छोड़कर विशाल चट्टान ढलान पर तिकी हुई हैं | यह पर बनी पाप गुफा , ऐसा माना जाता हैं की अगर आप इस संकीर्ण गुफा में बिना फसे निकल गए तो आप एक धर्मात्मि इंसान हैं ,यूँ कहे तो यह एक इम्तिहान हैं
यह से आगे का द्र्स्य और भी अद्भुत था अपने बंदरो को इंसानो से डरते या इंसान को बंदर से डरते तो देखा ही होगा , खेर बन्दर को कुत्तो से डरते तो देखा ही होगा परन्तु यह का नजारा कुछ अलग ही था , यहां इंसान , बन्दर बाकि दूसरे जानवर सब घुलमिलकर रहते हैं , यह अपने आप में एक अलग ही उदाहरण हैं जो इंसानो को भाईचारे का सन्देश देता हैं
आप राजस्थान में आय और ऊंट की सवारी नहीं की तो यह तो ऐसा हुआ की आप गुजरात हो और कच्छ नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा| यहां शिवरात्रि का पुण्य दिन हमारा यही मौज -मस्ती के साथ ख़तम हो गया ,बाकि सभी मित्र - साथियो को बहुत ही याद किया , अगर सभी साथ होते तो इसका आनंद कुछ अलग होता |