झरोखों से झांकती आगरा की खूबसूरती

Tripoto
20th Feb 2020
Tajmahal view at sunrise, Picture was captured at around 7 am

आगरा का नाम जेहन में आते ही मुहब्बत के प्रतीक ताजमहल का दृश्य आंखों के आगे उभर आता है, लेकिन यहां कई और प्राचीन स्मारक भी हैं, जिनकी वास्तुकला पर्यटकों को हैरान करती है। इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए यहां कहानियों की भरमार है। ऐसे ही कुछ खास स्मारकों के बारे में बता रहे हैं पंकज घिल्डियाल

ताजमहल का दीदार, वैसे तो काफी साल पहले ही कर चुका था, लेकिन इस बार जिस नगरी में ताज है, उसे करीब से जानने का मन था। ताजमहल के अलावा मुझे उन ऐतिहासिक महत्व वाले स्मारकों को देखना था, जिनकी वास्तुकला के बारे में काफी कुछ सुन रखा था। उत्सुकता इसलिए भी थी कि पुरानी वास्तुकला को सहेजने की बीते सालों में काफी कोशिशें की गई हैं। मुगलकाल और ब्रिटिश दौर की बहुत-सी अनसुनी कहानियांे को समझना था, तो निकल पड़े आगरा।

हमारी यात्रा का पहला पड़ाव था, जामा मस्जिद। आगरा कैंट स्टेशन से यहां की दूरी महज पांच किलोमीटर है। यह भव्य जामा मस्जिद 130 फुट लंबी और 100 फुट चौड़ी है। इसके परिसर में सूफी संत शेख सलीम चिश्ती का मकबरा है। जामा मस्जिद से जब हम लौट रहे थे, तो मुझे एक अलग ही खुशबू का एहसास हुआ। हमारे गाइड वीरेंद्र गुप्ता ने बताया,‘ आप जो सड़क किनारे बाजार देख रहे हैं, यहां इत्र के अलावा किस्म-किस्म के शर्बत मिलते हैं। आगरा आमतौर पर गर्म रहता है, इसलिए इन शर्बतों की मांग हमेशा रहती है।’ इत्र और शर्बत की चाहत है, तो आपको यहां इनकी कई वैरायटी मिल सकती हैं।

झरोखों की बात ही अलग थी

यहां के प्राचीन स्मारक ही नहीं, झरोखे भी लोगों का ध्यान आकर्षित करते हैं। कुछ ऐसा ही नायाब नजारा हमें जामा मस्जिद के पास स्थित ऐतिहासिक रावतपाड़ा इलाके में देखने का मिला। यहां के खूबसूरत झरोखे वाकई हैरान करने वाले थे। बातचीत से पता चला कि कभी चमड़ों के बैग में यहां विदेशी सामान आया करता था। धीरे-धीरे इतना चमड़ा जमा हो गया कि इसी से बने सामान का कारोबार शुरू हो गया। बाद में पता चला कि यहां का अचार भी काफी मशहूर है, इसे खरीदने लोग दूरदराज के इलाकों से आते हैं। हमने अचार चखा तो नहीं, मगर इसकी खुशबू इसके उम्दा गुणवत्ता को खुद ही बयां कर रही थी। यहीं चौबेजी का फाटक भी है, जहां से कभी ज्वेलर सोने-चांदी की ईंट खरीद कर ले जाते थे। यहां आने वाले लोग गलियों में हो रहे पुश्तैनी ठप्पा कार्य को भी नजरअंदाज नहीं कर सकेंगे। एक दुकान पर बैठे सज्जन ने हमें दिखाया कि कैसे एक अंगूठी का डिजाइन ठप्पे से तैयार किया जाता था। घूमते-घूमते हम उस सेठ गली जा पहुंचे, जो खासतौर पर चाट के लिए मशहूर है। सिर्फ चाट ही नहीं, यहां की स्थानीय मिठाइयां भी आपको लुभा सकती हैं।

लौटते हुए हमने देखा कि कहीं-कहीं लोग जहां अपने पुराने ढांचे को तोड़ कर उन्हें नया कर रहे हैं, वहीं सरकार पुराने ढांचे को बनाए रखने के लिए लोगों को मदद भी कर रही है। रास्ते में हमें ऐसे घर भी दिखे, जिनकी पुरानी खूबसूरती को बरकरार रखते हुए इन धरोहरों को रीस्टोर किया गया था। यहां स्थित घरों में मुगलिया व ब्रिटिश वास्तुकला या उससे पुरानी वास्तुकला की झलक देखी जा सकती है। गाइड के मुताबिक स्मार्ट सिटी बनने के बाद सरकार ने आगरा में ऐतिहासिक महत्व वाली पुरानी इमारतों को खूबसूरत बनाने में दिलचस्पी दिखाई है और इसका प्रभाव हमें वहां दिखा भी।

जहां पान के लिए लगती है भीड़

यहां से आगे बढ़ कर हम जिस तिराहे पर पहुंचे, वहां चिमन लाल पूरी वाले की मशहूर दुकान थी। पता चला कि 1840 में स्थापित यह दुकान आज भी स्वाद में अव्वल है। आप 15-20 रुपये में पूरी-सब्जी का भरपूर आनंद उठा सकते हैं। कुछ आगे चलने पर एक जैसी छोटी-बड़ी टोकरी पर नजर गई। गाइड ने बताया कि यहां हर सुबह देश के कोने-कोने से किस्म-किस्म का पान पहुंचता है। सुबह के समय यहां का नजारा किसी मेले जैसा होता है। आगे चलते हुए हम जिस संकरी गली में पहुंचे, वह थी वैद्य रामदत्त गली, जो अपने वक्त के मशहूर वैद्य थे। दूसरों को निरोग करने वाला यह पेशा, पीढ़ियों से आज भी जारी है। बहुत ही कम पैसे में बिना किसी साइड इफेक्ट के लोग जब स्वस्थ होते हैं तो यहां दूरदराज से आना भी नहीं खलता। कुछ अन्य तंग गलियों से होते हुए हम जिस तिराहे पर पहुंचे, वहां शादी-ब्याह जैसे मंगल कार्यों के लिए सामान की कुछेक दुकानें दिखीं। अच्छी बात यह है कि इनके दाम भी वाजिब हैं।

यहीं से करीब 200 मीटर की दूरी पर मनकामेश्वर नाम का एक ऐतिहासिक मंदिर है। मान्यता है कि यहां शिवलिंग की स्थापना खुद भगवान शिव ने द्वापर युग में की थी। यह रावतपाड़ा शहर के ठीक मध्य में स्थित है। इन सबके अलावा यहां जौहरी बाजार, किनारी बाजार, रावत पाड़ा, दरेसी आदि पुराने बाजार भी हैं, जिन्हें देखा जा सकता है।

Photo of झरोखों से झांकती आगरा की खूबसूरती 1/2 by Pankaj Ghildiyal
Baby taj at agra

आगरा के कुछ

ऑफबीट डेस्टिनेशन

लाल ताजमहल : लाल ताजमहल नाम से मशहूर यह जॉन हेसिंग का मकबरा है, जिसे उनकी पत्नी ऐन हेसिंग ने उनकी याद में बनवाया था। आज यह पूरा परिसर ‘रोमन-कैथोलिक कब्रिस्तान’ के नाम से जाना जाता है। दरअसल, जॉन हेसिंग डच ट्रेवलर थे, जिन्होंने न सिर्फ हैदराबाद के निजामों के लिए कार्य किया, बल्कि मराठाओं के साथ भी जुड़े रहे। गाइड योगेश शर्मा के मुताबिक, उस वक्त उत्तर भारत में कहीं भी किसी रोमन कैथोलिक की मृत्यु होती थी, तो उसे इसी कब्रिस्तान में लाकर दफनाया जाता था।

अकबर का चर्च: कहा जाता है कि पुर्तगाली और आर्मेनियन को यह जमीन चर्च के लिए अकबर ने दी थी। आर्मेनियन बड़े व्यापारी थे, जो भारत आते रहते थे। उन्होंने ही अकबर से बात करके यह जमीन चर्च के लिए हासिल की थी। इसके करीब पादरी टोला है, जहां आज भी ईसाई रहते हैं।

Photo of झरोखों से झांकती आगरा की खूबसूरती 2/2 by Pankaj Ghildiyal
मुंशी अब्दुल करीम मकबरा

मुंशी अब्दुल करीम मकबरा : आपने भी अब्दुल करीम और महारानी विक्टोरिया को फिल्म के जरिये समझने की कोशिश की होगी, लेकिन अब्दुल करीम को जहां दफनाया गया, वह जगह आगरा के पंचकुइयां में है। करीम के मकबरे के सामने जाते ही उनसे जुड़ा इतिहास भी आपके सामने दोबारा जीवंत होने लगता है। मकबरे के सामने एक पट्टी में अब्दुल करीम के बारे में लिखे चंद अल्फाज हैं। कहानी उससे कहीं बड़ी और दूर तक की है।

बेबी ताज : मुगलिया शहर आगरा में स्मारकों की भरमार है, उसमें से एक है ऐत्माद्दौला स्मारक। ताजमहल जैसी आकृति का नजर आने वाले इस संगमरमरी स्मारक को बेबी ताज के नाम से भी पुकारा जाता है।

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