वृंदावन, जैसे ही पहली बार हमारे कनो में ये शब्द पड़ते हैं हमारे मन में सबसे पहले श्री कृष्ण आ जाते है लेकिन क्या कभी वृंदावन सुनने के बाद चोर याद आया है अपको वो भी एक बंदर चोर? नहीं? आओ बताता हूं एक कहानी।
तो अपने ऑफिस के काम से मथुरा गया था उसी समय साथ में काम करने वालों के साथ वृंदावन जाने का प्लान बन गया, मैं पहनता हूं चश्मा और मेरा पॉवर है -5.5 तो जिनको मेज़रमेंट के बारे में नहीं पता उनको बता दू की मै पूरा दिन चश्मा पहनता हूं।
जैसे ही हम लोग कार से उतरे और 5-10फीट आगे ही बढ़े थे पीछे से एक बंदर आया और मेरा चश्मा गायब, लगभग 2मिनट तो मुझे ये रियलाइज करने में लग गए की मेरी आंखो से बंदर चश्मा खींच के ले गया। उस बंदर की भी इमानदारी देखो उसने मेरे चश्मा लिया और सामने की दीवार पे बैठ गया अब वो इंतेज़ार कर रहा था कि उसे कुछ दिया जाए। मेरे दोस्त दुकान गए और वहां उन्हें बता गया की फ्रूटी देने से ही मिलेगा चश्मा वापस तो ठीक है हमने फ्रूटी दी और उस ईमानदार बंदर ने तुरंत हमे चश्मा दिया और चला गया।
उसके बाद मै सीधा कार में बैठा मैंने कहा बांके बिहारी के दर्शन हो या ना हो हनुमान जी के दर्शन हो गए और वापस चला आया।
अब अगर आप लोगो ने इतनी बकवास पढ़ ही ली है तो मेरे अंदर का कन्फ्यूजन भी ख़तम कर दो, वो बंदर चोर था या ईमानदार...