"सफ़र एक नए सिरे से ज़िंदगी को आयाम देता है,एक नवीन ऊर्जा और रस का संचार करता है। न जाने सफ़र की मोड़ पर आपको क्या सीखा जाए"
जोधपुर नाम सुनते ही नसों में वीर रस का प्रवाह होने लगता है। एक धरती जिसे वीरों ने अपने लहू से सींचा है, जिसकी मिट्टी से स्वर्णिम इतिहास की खुशबू आती है।
जोधपुर राव जोधा का गढ़ ,शहर जहां सूरज की सुनहरी किरण पड़ते ही सारा शहर नीले रंग की चादर ओढ़ लेती है जो पर्यटकों को अपनी तरफ़ आर्कषित करने का प्रमुख कारण है।यहां के पुराने शहर के अधिकांश घर नीले रंग के है और कुछ लोगो का कहना है कि यह रंग ब्राह्मणों से जुड़ा हुआ है और शहर के नीले मकान उस जाति के लोगों के है। इसके पीछे एकमात्र कहानी नहीं है कुछ लोग करते है कि मौसम पुरे साल ग्रीष्म और धूप रहता है, और घरों को ठंडा रखने के लिए यहा के लोग नीले रंग का उपलोग करते थे
शहर का इतिहास
जोधपुर शहर के उत्पत्ति का इतिहास एक कबीले समुदाय से है जिसका नाम राठौड़ कबीला था। जिसके मुखिया का नाम राव जोधा थे उन्होंने 1495 के आसपास जोधपुर शहर की नींव डाली थी।
कहा जाता है कि जब अफगानों ने भारत पर हमला किया था तब इस काबिले को अपनी मूल भूमि कन्नौज से विस्थापित होना पड़ा और ये लोग मारवाड़ (जोधपुर ) के पास पाली आ गए।
काबिले के मुखिया राव जोधा पाली से अपनी साम्राज्य का विस्तार किया और मंडोर को अपनी राजधानी स्थापित किया और 1459 मे जोधपुर दुर्ग की स्थापना की।
सुप्रसिद्ध इतिहासकार पंडित गौरीशंकर हीरचन्द्र ओझा के अनुसार जोधपुर साम्राज्य का राजनितिक सम्बन्ध अच्छा रहा है सिवा औरंगजेब के। औरंगजेब की मृत्यु के बाद महाराजा अजीतसिंह ने अजमेर से मुगलों को बाहर निकल दिया और से जोधपुर मे जोड़ा। महाराज उदयसिंह के शासनकाल में मारवाड़ जो अब जोधपुर है एक आधुनिक शहर बन कर उभरा।
1947 में भारत के आज़ादी के बाद जोधपुर भारत के संघ में विलय होने वाला दूसरा राजस्थान का शहर बना।
कैसे पहुंचे?
जोधपुर दिल्ली से 622 किलोमीटर के करीब और जयपुर से 353 किलोमीटर की दुरी पर है।
यहाँ आप भारत के किसी भी घरेलू हवाई अड्डे से या फिर बस के रास्ते से पहुंच सकते है।
अगर आप भारत के बाहर से आ रहे है तो आप जयपुर अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट और दिल्ली अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का उपयोग कर सकते है।
घूमने का बेस्ट समय :
जोधपुर घूमने का परफेक्ट समय अक्टूबर से मार्च तक है क्योंकि इस समय सर्दी रहती है और तापमान 24°C से 7°C तक रहता है, जो आपके यात्रा के हिसाब से बेस्ट रहेगा। जोधपुर गर्मियों के मौसम में आग से कम नहीं होती है इसलिए अधिकांश पर्यटक सर्दियों के मौसम में ही यात्रा करना पसंद करते है।
देखने लायक कुछ खास जगहें :
वैसे तो पुरे राजस्थान की बात ही निराली है जितना भ्रमण कर लो मन नहीं भरता है।
1. मेहरानगढ़ किला : यह राजस्थान के सबसे बड़े फ़ोर्ट के से दूसरा सबसे बड़ा किला है। इस किले का निर्माण 1495 में राव जोधा द्वारा किया गया था। किला शहर से 410 फ़ीट की ऊचाई पर है, पहुंचने के 5 किलोमीटर घुमाबदार रास्तों से जाना होगा।
इस किले में कुल 7 दरबाजे है जिसमे कुछ मुख्य है फतेहपाल गेट जिसका निर्माण अजित सिंह ने 1707 में मुगलों पर जीत हासिल करने कि याद में बनाया था।
किले को अब एक म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया है जहां राजघरानों के शाही पालकियां, हथियार, पोशाक, पेंटिंगस और तोप रखे हुए है।
प्रवेश शुल्क - 60 भारतीय और 400 विदेशी पर्यटकों के लिए
खुलने का समय - 9am से 5pm
प्रवेश शुल्क - 60 भारतीय और 400 विदेशी पर्यटकों के लिए खुलने का समय - 9am से 5pm
2. जसवंत थड़ा : इसे मेवाड़ का ताजमहल भी कहा जाता है क्योंकि इसका निर्माण शुद्ध मकराना के संगमरमर से किया गया है। जशवंत थड़ा का निर्माण यहा के महाराज जशवंत सिंह की याद में उनके पुत्र महाराजा सदर सिंह ने 1899 में करवाया था। थड़ा के नीचें उद्यान में शाही स्मारक बने है, महल के भीतर राजघरानों के पेंटिंग्स लगे है जो इनके इतिहास को जीवित करती है
महल के पीछे एक झील का निर्माण किया गया था शाही रीति रिवाजों के लिए जो अब जलीय जीवों का आश्रय है।
प्रवेश शुल्क - 15 भारतीय और 30 विदेशी पर्यटकों के लिए खुलने का समय - 9am से 5pm
3. क्लॉक टावर : यह एक प्रकार से जोधपुर शहर के लैंडमार्क का काम करता है इसका निर्माण 1910 में राजा सरदारसिंह ने करवाया था। जहां अब हस्तशिल्प, साड़ी, मसालें, सब्जियाँ की मंडी लगती है। यहां क़रीब 700 से ज्यादा दुकानें है जहां आप जी भर के शॉपिंग का मज़ा उठा सकते है।
प्रवेश शुल्क - कोई शुल्क नहीं खुलने का समय - 10am से 9pm.
4.उमेद भवन प्लेस : इस महान भवन का नाम इनके संस्थापक महाराजा उम्मेद सिंह के नाम पर रखा गया है। यह दुनिया के सबसे निजी महलों में से एक है इस पैलेस के तीन भाग है, एक ताज होटल, एक शाही परिवार के लिए और एक संग्रहालय। इसका निर्माण 1930 में पड़े भीषण अकाल के दौरान महाराजा उम्मेद सिंह ने लोगों को रोज़गार देने के शुरू करवाया था जो 1943 में बनकर तैयार हुआ। अभी वर्तमान में इस पैलेस में 347 कमरे है।
संग्रहालय में शाही परिवार द्वारा इस्तेमाल की गए पुरानी वस्तुओं को रखा गया है, हवाईजहाज के मॉडल, पुराने हथियार, घड़िया, बर्तन, इम्पोर्टेन्ट कार ऐसी ही कई प्राचीन वस्तुओ का अनूठा संग्रह है ये पैलेस।
प्रवेश शुल्क - 30 भारतीय और 100 विदेशी पर्यटकों के लिए खुलने का समय - 10am से 4:30pm
6. मंडोर गार्डन : यह राठौड़ राजघरानों का स्मारक है जहां बहुत ही आकर्षित छतरियां बनीं हुई है। यू कहे तो यह सांप्रदायिक भाव और एकता का प्रतीक भी है क्योंकि यहां तनापीर की दरगाह, मक़बरे, जैन मंदिर और वैष्णव मंदिर सब एक ही साथ देखने को मिलेंगे। यहां कई सदियों से होली के दूसरे दिन राव के मेले का आयोजन होता है, जहां आपको राजस्थान के असली रंग दिखेंगे।
प्रवेश शुल्क - कोई शुल्क नहीं
खुलने का समय - हमेशा खुला
7. कैलाना झील : यह मानवनिर्मित झील है जो जोधपुर शहर से क़रीब 8 किलोमीटर दूर जैसलमेर रोड़ पर है। जहां आप प्राकृतिक सौंदर्य के साथ विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों को भी देख सकते है। झील का मुख्य आकर्षित करने वाला यहां का सूर्यास्त का अतुल्यनीय दृश्य है। जब सूर्यास्त होती है लगता है प्रकृति ने अपने सारे रंग एक कैनवास पर उड़ेल दी हो।
प्रवेश शुल्क - कोई शुल्क नहीं खुलने का समय - सूर्योदय से सूर्यास्त तक