बादलों को चूमते पहाड़ , हरे -हरे तरुवरो से घिरे रस्ते पत्तो से छन कर आती सूरज की किरणे वाकई एक मंत्रमुग्ध करने वाला दृश्य, शीतल व्यार, कॉफ़ी की मनमोहक खुशबू, कल- कल करती कावेरी , नाना प्रकार के रंग और प्रकृति की अपार सुंदरता समेटे बैठा हुआ एक सरल शहर -कूर्ग
बॉम्बे से कुछ दोस्त बैंगलोर एक दोस्त की शादी में शामिल होने आये I स्कूल कि किसी साथी की शादी हो तो सारे ज़माने से बिछड़े दोस्त जो अब सिर्फ फेसबुक इंस्टा के डीएम में मिलते हैं , वास्तव में भी मिल जाते हैं। साथ वक़्त बिताने के लिए यात्रा करने से बेहतर कोई उपाए सूझा नहीं वो भी तब जब शनिवार रविवार चौखट पे दस्तक देने वाले हो I
औपनिवेशिक बंगले, विशाल सम्पदा, वृक्षारोपण जीवन शैली के आकर्षण ने कूर्ग में कई पर्यटकों को लुभाया है ,झटपट तय किया की यक़ीनन कूर्ग से बेहतर दूसरा विकल्प नहीं हो सकता I
शुक्रवार की रात को गाडी किराये पे ली और निकल पड़े, बैंगलोर से कूर्ग लगभग २७० किलोमीटर की दूरी पे स्थित हैं I
सुबह सूरज की किरणे धरातल पे पड़ती उससे पहले हमलोग पहुंच गए स्कॉटलैंड कहे जाने वाले शहर कूर्ग I दूर -दूर तक, न लोग, न मकान न दुकान, सुनाई देती हैं जो वह हैं पवन की सनसनाहट I
सबसे पहले तिब्बती बस्ती जाने का तय किया फिर कावेरी नदी की सुंदरता निहारी जाये फिर होम स्टे में रात गुज़री जाये
१- नाम्ड्रोलिंग मठ
बायल्कुप्पे जो तिब्बत के बाहर दूसरी सबसे बड़ी तिब्बती बस्ती है, जिसमें नामर्दोलिंग मठ स्थित है। तिब्बती बौद्ध धर्म के वंशज निंगमापा का सबसे बड़ा शिक्षण केंद्र है। गोल्डन टेंपल के रूप में संदर्भित,विशाल मठ के अंदर की दीवारें जीवंत तिब्बती चित्रों के साथ जीवंत हैं। प्रार्थना कक्ष में संत पद्मसंभव, सुखायमी और अमितायस की तीन स्वर्ण-निर्मित मूर्तियाँ दिखाई देती हैं।
चमकदार नीली और चमचमाती सुनहरी संरचना तिब्बती शिल्प कौशल का बेहतरीन प्रदर्शन है। प्रार्थना कक्ष छोटे डेस्क के साथ पंक्तिबद्ध है, फर्श को छोटे-छोटे मत्संदों के साथ कवर किया गया है I
जो लोग ध्यान करना चाहते हैं, उनकी सहायता के लिए आने वालो से से चुप्पी बनाए रखने के लिए कहा जाता हैं।
यहाँ धयान कीजिये लुफ्त उठाइये
कावेरी नदी
कावेरी की सुंदरता ने तो दिल ही लूट लिया
नदी जितनी भी चंचल हो अपने भाव से जब भी आप ब्याकुल मन से उसके करीब जाओ आपको नदी की संगीतमय लैय सुकून प्रदान करती हैं
कावेरी नदी, दक्षिणी भारत की एक बहुत ही पवित्र नदी मानी जाती है। कूर्ग जिले में पश्चिमी घाट में ब्रह्मगिरी पहाड़ी से निकलती है।नदी दक्षिण-पूर्वी दिशा में कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों से होकर बहती है। (कावेरी नदी पे अगली बार और विस्तार से)
चिड़ियों की आवाज़ कि साथ ही शाम भी आ गई , थकान भी और आराम आवयशक भी क्यकि सुबह फिर से ट्रैक्किंग कि लिए ताडियनडामोल निकलना हैं रंग बिरंगी पेड़ो पतों कि रस्ते से गुजरते शाम का लुफ्त उठाते हुआ हम पहुंचे अपने होम स्टे , रात का खाना खाया , सुबह की उत्सुकता में नींद देर से आई लेकिन गहरी आयी
ताडियनडामोल ट्रेक
समुद्र तल से लगभग 1746 मीटर की ऊँचाई के साथ, ताडियनडामोल कूर्ग की सबसे ऊँची चोटी है।यह कर्नाटक राज्य का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत है। , ताडियनडामोल कूर्ग के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में है।
हमें ऊपर छोटी तक जाने और आने में कुल ६ घंटो का समय लगा, रस्ते में और भी साथ मिले जो हमसाथ हुए शीर्ष तक पहुंचने में।
सबकी अपनी अपनी कहानी और किस्से ने सफर को और रोचक बन दिया। वापसी के वक़्त पहाड़ पर मैगी खाई,
हरे-भरे घाटियों के मनमोहक दृश्य और मैगी वाकई एक लाजबाब दिन
निजी कॉफी बागानों के बीच, कॉफी बागानों के हरे और घने पत्ते के माध्यम से एक संकीर्ण घुमावदार सड़क, अब्बे फाल्स कीओर जाता है।
झरनेसे गिरते हुए पानी ऐसी गगनभेदी ,लयकारी ध्वनि उत्पन्न होती है जो दूर से ही इस जगह के होने का आभाष करा देती हैं यहाँ के आसपास के सुन्दर- सुंदर स्थान एक आदर्श पिकनिक गंतव्य के लिए माने जाते हैं।
अब्बे फाल्स के साथ ही हमें अपनी इस सूंदर यात्रा पे पूर्णविराम लगाना पड़ा और हम अपनी गाड़ी से वापस बैंगलोर के लिए रवाना हो गए।
अगर आप सामूहिक यात्रा में हैं तो अपनी गाड़ी रिज़र्व करके जाना सबसे अधिक सफल निर्णय हैं
वैसे बैंगलोर से मदिकेरी बस से फिर मदिकेरी से कूर्ग के लिए यातायात के अच्छे साधन उपलब्ध हैं।