भारत की आध्यात्मिक राजधानी कही जाने वाली वाराणसी की यात्रा के बिना आपकी भारत यात्रा अधूरी ही है। विश्व के सबसे पुराने शहरों में से एक वाराणसी हज़ारों सालों से ज्ञान और संस्कृति का केंद्र रहा है। विश्व को दिशा देने का काम किया है इस शहर ने। इसका महत्व आप इस तरह समझ सकते हैं कि आयुर्वेद की खोज यहीं हुई। एनी बेसेंट ने अपनी 'थीयोसोफिकल सोसाइटी' का केंद्र इसे रखा। पंडित मदन मोहन मालवीय ने बनारस हिंदू विश्विद्यालय की स्थापना यहाँ की। प्लास्टिक सर्जरी की खोज यहाँ पर की गई, हज़ारों आध्यात्मिक रचनाओं का केंद्र रहा है ये शहर। यहाँ आते ही आपको इतना दैवीय माहौल महसूस होगा जिसे आप कभी भुला ना सकेंगे। आइए, तो आज वाराणसी की दो दिन की यात्रा का प्ला और बताते हैं कम-से-कम लागत में आप क्या-क्या कर सकते हैं वहाँ।
कैसे पहुँचें?
दिल्ली से वाराणसी जाने के लिए यूँ तो बस, ट्रेन और हवाई तीनों सुविधा हैं पर आप कम लागत में वहाँ जाना चाहते हैं तो सबसे बेहतरीन माध्यम ट्रेन का है। दिल्ली से वाराणसी कई ट्रेनें जाती हैं पर मेरी सलाह रहेगी कि आप आनंद विहार टर्मिनल से शाम 04:25 पर खुलने वाली सद्भावना एक्सप्रेस लें जोकि वाराणसी आपको अगली सुबह 9 बजे तक पहुँचा देगी। ये ट्रेन लेने से आपके पास शहर घूमने के लिए भरपूर समय रहेगा।
कहाँ ठहरें?
1. सूरज गेस्ट हाउस
ललिता घाट के करीब पड़ने वाला ये होटल सिर्फ ₹300 में ठहरने की अच्छी व्यवस्था देता है। सबसे अच्छी बात ये कि ये माँ गंगा के बिल्कुल पास है। तमाम सुविधाओं के भरपूर ये होटल आपके ठहरने के लिए अच्छी जगह है। एडवांस बुकिंग कराने के बाद आप अगले दिन यहीं से अपनी वाराणसी यात्रा शुरू कर सकते हैं।
पता:- सीके 10/37, ललिता घाट, चौक, नेपाली मन्दिर के निकट, वाराणसी।
फोन:- 09838085923
2. स्टे इन होस्टल
अस्सी घाट के पास पड़ने वाला ये होस्टल ठहरने के लिए अच्छी जगह है। ऑनलाइन बुकिंग में सिर्फ ₹315 में आप यहाँ ठहर सकते हैं। साफ-सुथरे कमरे और बेहतरीन सहायकों के कारण ये जगह ठहरने के लिए बेहतर जगह है।
पता: B 1/128 c, प्लॉट नम्बर-5, अस्सी घाट रोड, हैंड कैफे के पास, बाग कॉलोनी, वाराणसी।
फोन:- 09670400008
होटल में चेक इन करने के बाद आप पहले दिन की यात्रा करने के लिए बाहर निकल आएँ। अपने पहले दिन की यात्रा पर आप सारनाथ, बनारस हिंदू विश्विद्यालय, अस्सी घाट के पास नौकायन और शाम की आरती देखेंगे।
वाराणसी से सारनाथ महज 10 कि.मी. दूर है, जहाँ जाने के लिए आपको बस और ऑटो जैसे वाहन महज ₹10 की लागत में मिल जाते हैं। सारनाथ में आप गौतम बुद्ध डियर पार्क जा सकते हैं, जहाँ आपको 103 फीट ऊँचा धमेक स्तूप दिखेगा। ये जगह बौद्ध धर्म के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यहीं गौतम बुद्ध ने अपना पहला प्रवचन दिया था। इसके अलावा म्यूजियम, बौद्ध धरोहरों से भरी-पूरी ये काफी बेहतरीन जगह है।
प्रवेश शुल्क: ₹5/-
समय: सूर्योदय से सूर्यास्त
वाराणसी आने के बाद अगर आपने बनारस हिंदू विश्विद्यालय नहीं देखा तो कुछ रह गया। ये विश्विद्यालय वाराणसी की पहचान है। पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित होने के बाद से इसने एक लम्बा सफर देखा है और कहने की बात नहीं कि अपने अनुभव से इसने देश को अनेक बुद्धिजीवी दिए हैं।
1. अस्सी घाट पर सुबह की नाव यात्रा
घाट पर बने दुकानों की गलियों से तेज़ी से उतरते हुए सुबह 5 बजे ही अस्सी घाट आ जाएँ और वापस ₹50 की लागत पर नाव से गंगा यात्रा के लिए निकल जाएँ। सुबह उगता सूरज, लाल आसमान, चिड़ियों की चहचहाहट, मंदिरों की घन्टी और गंगा आरती से आपका दिल खुश हो जाएगा। वाराणसी आने पर सुबह की नाव यात्रा करना बिल्कुल भी ना भूलें।
3. अस्सी घाट पर नाव यात्रा
मणिकर्णिका से अस्सी घाट की ये नाव यात्रा आपको माँ गंगा की गोद से वाराणसी की सभ्यता के दर्शन करवाती है। ₹50 प्रति व्यक्ति की लागत की ये नाव यात्रा आपके मन को स्फूर्ति से भर देगी। नदी में नहाते लोग, खूबसूरती से बसाया शहर, संस्कृति, मंदिर सबका बेहतरीन नज़ारा मिलेगा आपको।
4. दश्वमेध घाट पर शाम की आरती
सूर्यास्त होते ही पूरी वाराणसी अपना रुख दश्वमेध घाट की ओर मोड़ लेती है। ये घाट प्रमुख गंगा घाट है और यहाँ शाम की आरती को देखने दुनिया भर से पर्यटक आते हैं। 45 मिनट चलने वाली ये आरती आपको मंत्रमुग्ध कर देगी और आपकी बस यहीं रह जाने को कहेगी।
प्रवेश शुल्क: निःशुल्क
समय: सूर्यास्त के बाद।
पहले दिन के लिए इतना ही। गंगा आरती के बाद घाट से होते हुए बाज़ार दर्शन कर सकते हैं। चाहें तो सैकड़ों छोटे-छोटे मंदिरों में भी हो आ सकते हैं। थोड़ा घूमने के बाद होटल लौट जाएँ और आराम करें क्योंकि दूसरे दिन और अधिक घूमना है।
वाराणसी यात्रा का दूसरा दिन सुबह घाट की नाव यात्रा, काशी विश्वनाथ मंदिर, रामनगर का किला देखने के लिए बचाएँ।
2. काशी विश्वनाथ मंदिर
भगवान शिव को समर्पित काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी का प्रमुख आकर्षण है। वेद-पुराणों में भी इस मंदिर का कई जगहों पर ज़िक्र है और इसकी भव्यता और ऐतिहासिकता हर किसी के आकर्षण का केंद्र है। वाराणसी यात्रा में आपको यहाँ ज़रूर चाहिए पर हाँ, पंडो से सावधान!
3. रामनगर का किला
लाल संगमरमर से निर्मित वाराणसी के राजाओं का ये किला वाराणसी के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर ये किला सूर्योदय और सूर्यास्त देखने के लिए बेहतरीन जगह है। यहाँ आमलोगों के लिए एक दरबार हॉल भी बनाया गया है। महाराज के कारों का भी कलेक्शन आपको यहाँ देखने के लिए मिल जाएगा।
प्रवेश शुल्क: ₹15/- प्रति व्यक्ति।
समय: सूर्योदय से सूर्यास्त।
इन जगहों के अलावा आप अगर समय रहा तो वाराणसी की अन्य मन्दिरों जैसे संकट मोचन मंदिर, दुर्गा मंदिर, विष्णु मंदिर आदि भी घूम सकते हैं।
क्या खाएँ?
वाराणसी ना सिर्फ अपनी सांस्कृतिक और आध्यामिक वजहों से मशहूर है, बल्कि खान-पान के लिए भी। कुछ ऐसे ही खास व्यंजनों का ज़िक्र हम यहाँ कर रहे हैं जोकि आपको वाराणसी की गली-गली में मिल जाएगी। आपको इन्हें ज़रूर चखना चाहिए।
1. कचौड़ी-सब्जी
कचौड़ी सब्जी से ही वाराणसी की सुबह होती है। लाल मिर्च के मसाले और धनिया और अन्य स्वादिष्ट मसालों से तैयार आलू की सब्जी को जब आप बनता देखेंगे, तभी आपके मुँह में पानी आ जाएगा। खाने के बाद तो स्वाद का अंदाजा शब्दों में बता पाना नामुमकिन है। राम भंडार, ठठेरी बाज़ार और कचौड़ी गली की कचौड़ी सब्जी बेहद मशहूर हैं।
2. चूड़ा-मटर
वाराणसी का खास पोहा एक बेहतरीन नाश्ता है। घी में तैयार किए गए पोहे को जब किशमिश और काजू के साथ-साथ मटर में भूनकर आपके लिए परोसा जाता है तो आप खुद पर काबू नहीं रख सकते। ये व्यंजन वाराणसी में खासा प्रसिद्ध है और हर गली में मिल ही जाएगा पर गोपाल मंदिर गली में मिलने वाले चूड़ा-मटर सर्वश्रेष्ठ हैं।
3. दही चटनी गोलगप्पे
मीठे गोलगप्पे के नाम से मशहूर इन गोलगप्पों की तस्वीर देखकर ही किसी के मुँह में पानी आ जाए, स्वाद का अंदाजा लगा ही सकते हैं। चटनी, दही, अनारदाने, पुदीना के साथ जब आप इन्हें चखते हैं तो और माँगे बिना नहीं रह पाते। गोल गंज की दीना चाट बाज़ार में मिलने वाले गोलगप्पे ज़रूर खाइएगा।
तो ये है वाराणसी के दो दिन की यात्रा का लेखा-जोखा। वाराणसी एक महान शहर है जहाँ आकर, चाहे आप किसी भी मज़हब के हों, धन्य हो जाते हैं। वाराणसी के कण-कण में भक्ति है और जो एक बार यहाँ आया, बस यहीं का हो जाता है। वाराणसी में ये समय गुज़ारकर आप यात्रा के दूसरे दिन शाम 7 बजे वाराणसी जंक्शन से महामना एक्सप्रेस पकड़कर अगली सुबह दिल्ली उतर सकते हैं। पर और रुकने का मन हो तो रुक जाइए, इस शहर ने हजारों सालों से सबका स्वागत ही किया है।
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