बिहार के पूर्णियाँ जिले के काझा ग्राम में स्थित स्व. भोला पासवान शास्त्री काझा कोठी पूर्णियाँ की जनता का प्रिय पर्यटन क्षेत्र है। स्व. भोला पासवान शास्त्री बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री थे, और उनका घर भी इसी क्षेत्र में पड़ता है। 'काझा कोठी' नाम से प्रसिद्ध यह कैम्पस खुद में एक भरा-पूरा इतिहास समेटे है। आज कुछ बात उसी के बारे में।
असल में जिसे आज काझा कोठी कहते हैं, अंग्रेजों के जमाने में इसे 'नील कोठी' कहा जाता था। कहते हैं मैक्स इलटे नामक एक अंग्रेज अफसर ने बड़हड़ा कोठी प्रखंड से यहाँ की जनता पर दबाव बनाकर सन् 1769 में नील की खेती शुरू करवाई थी और उसी पर नजर रखने के लिए सन् 1775 में इस काझा कोठी का भी निर्माण करवाया गया था।
'काझा कोठी' वर्तमान में देख-रेख के अभाव से जूझ रहा, बावजूद इसके लोगों में इसका आकर्षण कम नहीं होता। नए साल व कुछ अन्य त्यौहारों में जितनी भीड़ यहाँ रहती है, उतनी किसी और जगह नहीं। ये पूर्णियाँ के मुख्य शहर से लगभग 15 किलोमीटर अंदर स्थित है, बावजूद इसके यहाँ लोग आते रहते हैं। पिकनिक मनाने के लिहाज से ये एक बेहतरीन जगह है, पर अगर थोड़ा ध्यान दिया जाए इसके जीर्णोद्धार पर तो और भी बेहतरीन होगी।
'काझा कोठी' मेरे घर से बेहद निकट है, बावजूद इसके मैं आजतक यहाँ दो बार ही गया। पर जब भी गया तो अनुभव अच्छा रहा। इस जगह की हरियाली आपका मन मोह लेगी, और जैसे-जैसे आप इसके चक्कर लगायेंगे, आपको अच्छा ही अच्छा लगेगा। पुराने छोटे-छोटे पक्के भवन, दाएँ तरफ ऐतिहासिक कोठी, सामने बड़ा-सा पोखर, मंदिर और एक छोटा-सा दरगाह। इसके अलावा चिड़ियों की चहचहाहट और खुशनुमा माहौल। तालाब में पहले बोटिंग भी होती थी, परन्तु अब उसे बन्द कर दिया गया है। हाँ, कुछ बच्चे जरूर आपको वहाँ छप-छप नहाते दिख जाएँगे।
जब मैंने इस जगह को देखा तो महसूस किया कि अगर थोड़ा ध्यान दिया जाए इसपर तो इसे बहुत ही बेहतरीन बनाया जा सकता है। एक समय पर जब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम माँझी इस ओर आये थे तो इस बेहतरीन जगह को कुव्यवस्था में जकड़े देख अधिकारियों को खूब फटकार लगाई थी। अपनी तरफ से इसके जीर्णोद्धार के लिए 4 करोड़ का फंड भी दिया था। काम शुरू तो हुआ मगर फिर सब लचर-पचर हो गए। पूर्णियाँ में अबतक मैंने जितनी जगहें व पार्क देखी हैं, उसमें शांति से अच्छा वक्त बिताने के लिहाज से सबसे बेहतरीन जगह मुझे यही लगी। कभी वक्त निकालकर आप भी यहाँ हो आइयेगा, वक्त अच्छा गुजरेगा।
पता:- पूर्णियाँ से काझा कोठी की ओर बस और ऑटो दोनों मिलती हैं।
प्रवेश शुल्क:- ₹10/-
समय:- सूर्योदय से सूर्यास्त।