बहुप्रसिद्ध इंडिया गेट के ठीक पीछे प्रिंसेस पार्क में 40 एकड़ में है, देश के लिए कुर्बान हुए शहीदों की याद में निर्मित 'नेशनल वॉर मेमोरियल' यानि राष्ट्रीय समर स्मारक। इस स्मारक का निर्माण आजादी के बाद 1947, 1965, 1971 के भारत-पाक युद्ध, 1962 के भारत-चीन युद्ध, कारगिल युद्ध जैसी लड़ाइयों में शहादत देने वाले भारत के वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए हुआ है।
काफी विशाल और विस्तृत क्षेत्र में फैला नेशनल वॉर मेमोरियल अपनी अनूठी निर्माण शैली की वजह से भी लोगों का ध्यान खींचता है। चक्रव्यूह शैली में निर्मित इस स्मारक का डिजाइन चुनने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर डिजाइनिंग प्रतियोगिता करवाई गई थी, जिसे जीतकर चेन्नई के 'WeBe डिजाइन लैब' के योगेश चन्द्रहसन ने इसका निर्माणकार्य अपनी देख-रेख में लिया।
स्मारक का मुख्य भाग चार गोलाकार चक्रों में बना है, जहाँ हर चक्र सेना से जुड़े विभिन्न भावों की गौरव-गाथा कहता है। मध्य में स्थित अमर चक्र में एक 15 मीटर ऊँचा खंभा है, जिसके नीचे अमर ज्योति जल रही है। वीरता चक्र थल, जल और वायु सेना द्वारा लड़े गए छह युद्धों का प्रतिनिधित्व करता है। ये भाग सम्पूर्ण रूप में पीतल से निर्मित है। त्याग चक्र डेढ़ मीटर ऊँची दीवार पर, देश के लिए शहीद हुए 25 हजार से ज्यादा सैनिकों के नामों के साथ सुशोभित है। बाहरी ओर से निर्मित सुरक्षा चक्र 695 पेड़ों द्वारा सैनिकों को सम्मान देता प्रतीत होता है।
नेशनल वॉर मेमोरियल के शुरुआती भाग में ही आपको 21 परमवीर चक्रधारियों को समर्पित एक स्मारिका भी दिख जाएगी। इस स्मारक में 25, 942 वीर सैनिकों के नाम अंकित हैं, जिन्हें देखकर आपके अंदर भी देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा जाग उठेगा। राजस्थान से लाये बलुए पत्थर से निर्मित ये स्मारक मृत्यु से ज्यादा जीवंतता का प्रतीक है।
इसके निर्माण से जुड़ी एक और खास बात ये है कि जब इसके निर्माण के लिए यहाँ के 22 पेड़ों को काटा गया था, तब निर्माणकार्य में जुड़े लोगों ने पूरी जिम्मेदारी के साथ 715 नए पौधे भी लगाए, जोकि इसकी सार्थकता को और बढ़ा देता है। मुख्य स्मारक के बिल्कुल समीप ही नेशनल वॉर म्यूजियम भी, निर्माणाधीन है, जिसके बनते ही, ये स्मारक और भी गौरवशाली हो जाएगा। यदि दिल्ली भ्रमण के लिए कभी आना हुआ, और आप इंडिया गेट आये, तो इंडिया गेट के पिछले भाग में निर्मित नेशनल वॉर मेमोरियो जाना मत भूलिएगा। शहीदों की शहादत को दर्शाता अभूतपूर्व प्रतीक है ये...
कैसे जाएँ?:- निकटतम मेट्रो स्टेशन है केंद्रीय सचिवालय, जहाँ उतरकर आप ऑटो या पैदल ही यहाँ आ सकते हैं।
प्रवेश शुल्क:- निःशुल्क
समय:- प्रातः 06:30 से सांध्य 07:30 का समय सर्वोत्तम।