अमरनाथ यात्रा का ख्याल आते ही हम सभी के मन में एक धार्मिक तरह की यात्रा का ख्याल आता है लेकिन मेरे लिये धार्मिक से ज्यादा प्रकृति से नज़दीक से रुबरु होने के साथ ही एक और प्राकृतिक स्वर्ग को अपनी घुमक्कड़ी तिजोरी में कैद करना था। जितना मैंनें सर्च किया था उससे कहीं अलग ही थी यह यात्रा । हम सभी काफी समय से इसका प्लान कर रहे थे । लेकिन इस बार यह यात्रा हमारे मेडिकल कराने से शुरु हो गयी थी, बता दें इस यात्रा पर जाने से पहले आपको अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा आपके शहर में गठित पैनल के द्वारा मेडिकल सर्टिफिकेट लेना होता है । आपको बता दूँ इस पैनल पर ज्यादा भरोसा ना करते हुए आप शरीर को चुस्त-दुरस्त रखने हेतु रोजाना कुछ समय निकाल कर दौड़ या व्यायाम करें । किसी भी तरह की हार्ट या सांस की बिमारी होने पर इस यात्रा से दूर रहें क्योंकि यह यात्रा का रुट काफी दुर्गम है और आक्सीजन की भी काफी कमी हो जाती है । यात्रा के दो रुट हैं एक पहलगाम रुट व दूसरा बालटाल । पहलगाम पुराना व काफी लम्बा व प्राकृतिक रुप से धनी है जबकि बालटाल नया व इससे आप एक दिन में दर्शन प्राप्त कर लौट सकते हैं । इसके अलावा हेलीकाप्टर की सुविधा भी है जिससे आप पंजतरणी तक जा सकते हैं उसके बाद ट्रेक कर या घोड़े से ।
यात्रा कार्यक्रम-
कानपुर -जम्मू - पहलगाम - अमरनाथ गुफा-बालटाल
ट्रेन टिकट - कानपुर से जम्मू - ₹1340 (3टियर ए0सी)
टैक्सी - जम्मू बेस कैम्प से पहलगाम बेस कैम्प - ₹4000
पहलगाम बेस कैम्प - ₹150 से ₹350 प्रतिव्यक्ति
निकटतम रेलवे स्टेशन- जम्मू-तवी रेलवे स्टेशन
निकटतम हवाई अड्डा- श्रीनगर हवाई अड्डा
यात्रा के लिये जरुरी सामान- 1. गर्म कपड़े/जैकेट
2. रेनकोट
3. वाटरप्रूफ जूते
4. टॉर्च
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जम्मू
कानपुर से जम्मू स्टेशन पर उतरने के बाद हम निकल लिए जम्मू के भगवती नगर बेस कैम्प के लिए। रास्ते में जगह- जगह भण्डारे यात्रियों के लिए चल रहे थे। सेक्योरिटी बहुत ही ज्यादा थी करीब 500 मी0 की चेक पोस्ट में अपनी चेकिंग/स्कैन के बाद हम दाखिल हुए बेस कैम्प में। वहाँ यात्रियों के लिए सभी तरह की व्यवस्था मौजूद थी जहाँ गद्दा आदि लेकर एसी/ऩॉन एसी हॉल में रुक सकते थे । सभी सुविधाएँ पेड थी लेकिन काफी कम रुपये में, वहाँ हम लोगों को बताया गया कि स्नान आदि करने के बाद भोजन कर कल जाने के लिए कॉउन्टर से बस के टिकट ले लें क्योंकि यात्रा सुबह 04 बजे के आसपास ही एक जत्थे में ही सी0आर0पी0एफ/आर्मी/पुलिस की सुरक्षा में निकलती है । जत्थे के निकलने के वक्त जम्मू कश्मीर हाई-वे को आमजनों के लिये सुरक्षा करणों से बन्द कर दिया जाता है । सिर्फ यात्री ही जा सकते हैं । साधारण/वोल्वो आदि बसों का किराया ₹450 से ₹800 तक था । आप टैक्सी आदि करके की भी जत्थे के साथ जा सकते हैं । हम लोगों ने बेस कैम्प में ना रुक जम्मू में ही गुर्जर नगर में जाकर होटल लेकर सामान रखा व फ्रेश होने के बाद लोकल दर्शन के लिए निकल गए साथ ही हमें कल सुबह के लिए टैक्सी भी करनी थी । बाजार में काफी जांच-परख ₹4000 में पहलगाम के लिए टैक्सी कर ली । टैक्सी वाले ने हमें होटल के बाहर सुबह 04 बजे मिलने के लिए बोला । बाजार से ही हमने बी0एस0एन0एल के सिम लिए व होटल आ गए । क्योंकि हमारे सिम यहाँ काम नहीं कर रहे थे ।
जम्मू से पहलगाम
सुबह 04 बजे के आसपास हम होटल से यात्रा पर निकल लिए । जैसे ही हम हाई-वे पर पहुँचे जत्था भी निकल ही रहा था । हम उसके पीछे हो लिए लेकिन आगे चेकपोस्ट पर सिक्योरिटी ने हमें रोक लिया । क्योंकि बेस कैम्प की गाड़ियों पर एक टैग लगा होता है जो हमारी गाड़ी पर नहीं था । फिर हम लोगों ने जाकर उन ऑफिसर से बात की और बताया की हम भी यात्री हैं । तो उन्होंने हमारा रेजिस्ट्रेशन स्लिप आदि चेक करने के 10 मिनट बाद हमको जाने दिया । आर्मी व सीआरपीएफ के जवान चप्पे-चप्पे पर हम लोगों की सुरक्षा हेतु लगे हुए थे । सुबह की सर्द हवा कश्मीर की वादियों में एक सूकुन दे रही थी । कुछ दूरी चलने पर 9.2 कि0मी0 की चेनानी-नाशरी टनल से गुजरें जो कि आधुनिक इन्जीनियरिंग का एक अच्छा उदाहरण है । यह टनल सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है ।
पहाड़ों के बीच काफी खूबसूरत जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर हम चले जा रहे थे, पूरे हाईवे पर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर यात्रियों के लिए बड़े लंगर चल रहे थे, जो कि गाड़ियों को रोक-रोककर चाय नाश्ता करा रहे थे । हम लोगों ने भी लंगर में नाश्ता किया, यात्रियों के लिये काफी अच्छा इंतजाम था । पूरे भारत के अलग-अलग क्षेत्रों से आये लोगों के लिये सभी तरह के नाश्ते का इंतजाम किया गया था । इतना तो समझ आगया कि पूरी यात्रा में खाने के बारे में सोचना नहीं पड़ेगा ।
वादियों की यात्रा मन को मोह लेने वाली थी। जैसे ही पहलगाम के करीब पहुँच रहे थे वादियाँ और भी खूबसूरत होती जा रही थी, हाईवे के साथ बहती स्वच्छ बिल्कुल ठंडे पानी की नदी ने हम लोगों का पहलगाम में स्वागत किया । इस नज़ारे को देखते ही मन हुआ बस गाड़ी रोक दी जाये । पहलगाम का नज़ारा अत्यंत ही आँखों को सुकून देने वाला था जो मेरे फोटो/वीडियो में आप देख पाएँगे । आज समझ आया कश्मीर को जन्नत क्यों बोलते हैं । हम लोग भी गाड़ी किनारे पार्क कराकर पानी में उतर गए, वो पानी नहीं था बिल्कुल बर्फ था पैर गल रहे थे, बिल्कुल शीशे सा साफ पानी हम लोग कुछ फोटो वगैरह लेने के बाद आगे को बढ़ गए । य़े नदी हमारे साथ ही साथ आगे बढ़ रही थी लेकिन इसका वेग व सुन्दरता और बढ़ती जा रही थी, आगे के नज़ारे और भी सुन्दर थे क्योंकि इस नदी किनारे ही घास के बड़े-2 मैदान हमें रोक रहे थे । हम इन नज़ारों को आँखो में कैद कर आगे बढ़ रहे थे ।
दोपहर 03 बजे के आसपास हम लोग पहलगाम बेस कैम्प पहुंच गये । सिक्योरिटी चेक के बाद हम लोग अन्दर गये । टेन्ट के रेट 150, 250 प्रति व्यक्ति के हिसाब से थे, हम लोगों ने काफी बातचीत के बाद चार लोगों के लिये 1000 रुपये में एक टेण्ट ले लिया । जोकि काफी बड़ा व साफ-सुथरा था । हमारे खाने से लेकर नहाने आदि के लिये काफी अच्छा इंतजाम था । खाने में ऐसा कोई भी डिश नहीं थी जो वहां लंगर में हमारे लिये उपलब्ध नहीं थी ।
एक छोटा बाज़ार भी बेस कैम्प में था जहाँ से आप गर्म कपड़े, दस्ताने, टोपी, रेनकोट, ट्रेकिंग के लिए डण्डे आदि ले सकते थे जो काफी सही रेट पर मिल रहे थे । हमारे एक साथी का जन्मदिन था और यहाँ केक लाना भी एक टास्क था, अपने टेन्ट वाले सरताज भाई ने केक लाने में हमारी काफी मदद की और हम जन्मदिन सेलीब्रेट कर अगले दिन की सारी तैयारी कर सो गये ।
हम लोग नाश्ता कर सुबह के 05 बजे बेस कैम्प के गेट पर लाइन में लग गए । लंगर की इतनी अच्छी व उच्च कोटि की व्यवस्था मैंने कहीं भी नहीं देखी, लाइन में भी लंगर वाले चाय/नाश्ता लाकर हाथों में दे रहे थे । यहाँ से 12 कि0मी0 की यात्रा चंदनवाड़ी तक हम लोगों को कार से करनी थी । चेक पोस्ट से निकल ₹100 प्रतिव्यक्ति के किराये पर टैक्सी द्वारा हम लोग चंदनवाड़ी पहुँच गए। यहाँ चेक पोस्ट पर मेला जैसा नज़ारा था । लंगर वालों ने मानो दिल ही जीत लिया था सुबह के वक्त फल, चाय, चॉकलेट, बादाम-दूध, पोहा आदि कुछ भी बाकी नहीं था ,हम लोगों को जबरजस्ती दे रहे थे । हम लोग बस आगे बढ़े ही थे की प्रकृति ने मन को छू लिया पहाड़ों के बीच जमी हुई बर्फ से हमें जाना था बगल में पानी का शोर क्या बात । लेकिन अब समय था ट्रेकिंग का क्यों कि आगे चढ़ाई थी पिस्सूटॉप की जो काफी कठिन है । कुछ समय की मशक्कत के बाद हम उपर थे। लेकिन 10 मिनट आराम कर, लंगर से गरम पानी ले हम आगे बढ़ गये यहाँ भी लंगर की व्यवस्था थी हम तो यही सोच रहे थे ये लंगर का सामान यहाँ आया कैसे होगा । क्या नजारे थे प्राकृतिक सुन्दरता चरम पर थी जैसे-2 आगे बढ़ रहे थे रोमाचं बढ़ता जा रहा था ।
आप समझिये इतनी ऊँचाई पर आपको डी0जे0 मिल जाये फिर क्या था । हम लोग 10 मिनट थिरकने के बाद नजारों का आनन्द लेते हुये दोपहर 1:30 बजे शेषनाग बेस कैम्प पहुँच गये थे । इससे आगे जाने के लिये हमारे पास 30 मिनट का टाइम था क्योंकि 02 बजे के बाद इसका गेट बन्द हो जाता है । इसके बाद आपको रात्रि यहीं रुकना पड़ेगा । थोड़ा विचार करने के बाद हम लोगों ने आगे जाने का निर्णय लिया । लेकिन कुछ दूर चलने पर ही यह फैसला गलत लगने लगा क्योंकि यह और भी कठिन ट्रेक था महागणेश टॉप का, इसकी ऊँचाई 14500 फीट है । ऑक्सीजन की बहुत कमी महसूस हो रही थी । लेकिन किसी तरह हम पोषपत्री शाम 05 बजे तक पहुँच गये थे । ऑक्सीजन की कमी के कारण सभी के सिर मे दर्द हो रहा था । वहाँ हम लोगों को 04-04 कम्बल दिये गये व एक-01 बेड वो भी फ्री । इतनी ऊँचाई पर पोषपत्री में लंगर वालों की ओर से यह सारी व्यवस्था थी ।
हम लोगों को बताया आप सभी फ्रेश हो लें व आरती के बाद 07 बजे खाना चालू होगा । यहाँ लंगर वालों ने लाइट के लिये अपना एक छोटा सा हाइड्रो पावर प्लांट भी लगा रखा था । खाने के बाद हम सो गये । रात को करीब 09 बजे डाक्टर हमारी डॉरमेट्री में आये और जिसको भी समस्या हो रही थी उनको चेक कर दवा दी और बताया कि ऑक्सीजन की कमी के कारण आपको नींद नहीं आ रही होगी परेशान न हो आंखे बंद कर सोने की कोशिश करें ।
पोषपत्री से पंचतरणी से होली केव
पूरी यात्रा के दौरान एन.डी.आर.एफ. व सेना के जवान हमारी सुरक्षा के लिये चप्पे- चप्पे पर तैनात थे, जहाँ ऑक्सीजन की कमी थी वहाँ आक्सीजन सिलेण्डर के साथ तैनात थे । जगह-जगह मेडिकल कैम्प की व्यवस्था थे । इन सभी को दिल से जय हिन्द ।
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